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Jharkhand: डिजीटाइजेशन के बाद भी लैंड म्यूटेशन में हो रही समस्या

लैंड म्युटेशन डिजीटाइजेशन के साथ ही गिरिडीह एवं देवघर जिले में व्याप्त कठिनाईयों के समाधान को लेकर आज झारखंड चैंबर आफ कामर्स की एक बैठक राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव केके सोन के साथ प्रोजेक्ट भवन में संपन्न हुई।

By Vikram GiriEdited By: Published: Tue, 26 Jan 2021 12:07 PM (IST)Updated: Tue, 26 Jan 2021 12:07 PM (IST)
Jharkhand: डिजीटाइजेशन के बाद भी लैंड म्यूटेशन में हो रही समस्या
डिजीटाइजेशन के बाद भी लैंड म्यूटेशन में हो रही समस्या। जागरण

रांची, जासं । लैंड म्यूटेशन, डिजीटाइजेशन के साथ ही गिरिडीह एवं देवघर जिले में व्याप्त कठिनाईयों के समाधान को लेकर आज झारखंड चैंबर आफ कामर्स की एक बैठक राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव केके सोन के साथ प्रोजेक्ट भवन में संपन्न हुई। बैठक के दौरान चैंबर अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबडा ने कहा कि कार्य आसानी से हो, इस लिए सरकार द्वारा जमीनों के दस्तावेजों को डिजीटाइज किया गया किंतु अभी भी कठिनाईयां बनी हुई हैं। जमीन इत्यादि की रजिस्ट्री के बाद म्युटेशन की आनलाइन प्रक्रिया में लोगों को कठिनाई हो रही है। इसपर विभागीय सचिव केके सोन ने मामले की जांच कर, शीघ्र सुधार का आश्वासन दिया।

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चैंबर अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबडा ने कहा कि भूमि के निबंधन एवं म्युटेशन में देवघर जिले में पिछले 9 वर्षों से एक अनावश्यक भूमि सत्यापन प्रमाण पत्र (एलपीसी) के प्रावधान के कारण हो रही अनियमितताओं से जिले के नागरिक त्रस्त हैं। यह व्यवस्था वर्ष 2011 में लागू की गई थी, जो वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अव्यवहारिक है। देवघर जिले में इस एलपीसी व्यवस्था के कारण व्यवसायी बैंकों से ऋण/कार्यषील पूंजी लेने के लिए अपनी जमीन मोर्गेज नहीं कर पा रहे। डेवलपर्स एवं बिल्डर अपनी परियोजनाएं आसानी से शुरू नहीं कर पा रहे और मकान मालिक रजिस्ट्री नहीं करा पा रहे हैं। बिल्डरों को नये प्रोजेक्ट के लिए जमीन/प्लाट उपलब्ध होने में समस्या आ रही है। वहीं उद्यमी नया उद्योग लगाने के लिए या तो जमीन नहीं ले पा रहे या फिर जमीन की कीमत अधिक हो जा रही है।

झारखंड चैंबर आफ कामर्स ने आग्रह किया गया कि देवघर जिले में असंवैधानिक रूप से लागू एलपीसी की व्यवस्था को यथाषीघ्र समाप्त करने की पहल करें। विभागीय सचिव ने कहा कि मामले के समाधान के लिए जिले के उपायुक्त को कार्रवाई निर्देशित किया गया है।

चैंबर ने गिरिडीह में अन्य समस्या पर भी चर्चा की। चैंबर की तरफ से बताया गया कि सरकारी जमीनों की अवैध खरीद-बिक्री पर नियंत्रण के लिए झारखंड सरकार के पूर्व के एक आदेषानुसार तत्कालीन गिरिडीह अंचलाधिकारी द्वारा वर्ष 1910-11 के खतियान के अनुसार ऐसे सभी गैर मजरूआ आम और खास सभी सरकारी भूमि को प्रतिबंधित सूचि में डाल दिया गया है। यह चिंतनीय है कि जिस भूमि का वर्ष 1955-56 से रसीद कटता आ रहा है, उसे भी इस प्रतिबंधित सूचि में डाला गया है जिस कारण जिले का विकास प्रभावित है। प्रवीण जैन छाबड़ा ने आग्रह किया गया कि उस प्रतिबंधित सूचि को रद्द करने की पहल की जाय, जिसपर विभागीय सचिव ने कहा कि इस हेतु जिले के उपायुक्त से वार्ता की जायेगी।

विभागीय सचिव केके सोन ने चैंबर द्वारा सुझाये गये सभी सुझावों को गंभीरतापूर्वक सुना एवं समस्याओं के निष्पादन हेतु उचित कार्रवाई का आष्वासन दिया। प्रतिनिधिमण्डल में चैंबर अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबडा, उपाध्यक्ष किषोर मंत्री, महासचिव राहुल मारू, सह सचिव राम बांगड, कोषाध्यक्ष परेश गट्टानी एवं पूर्व अध्यक्ष विनय अग्रवाल सम्मिलित थे।


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