दैनिक जागरण की खबर का असर : भवन निर्माण विभाग ने आड्रे हाउस के छत की मरम्मत का दिया आदेश
Adre House. दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित होने के बाद भवन निर्माण विभाग के संयुक्त सचिव ने कार्यपालक अभियंता को आड्रे हाउस की मरम्मत करने का निर्देश दिया है।
रांची, जासं। भवन निर्माण विभाग के संयुक्त सचिव ने भवन प्रमंडल संख्या एक के कार्यपालक अभियंता को निर्देश दिया कि वह आड्रे हाउस की छत की मरम्मत करा दे। छत पर घास-पूस उग आया था। दैनिक जागरण में 30 अगस्त 2018 को छपी खबर पर विभाग ने संज्ञान लिया है। संयुक्त सचिव ने पत्र लिखकर दैनिक जागरण का उल्लेख करते हुए आदेश दिया है।
मालूम हो कि डेढ़ सौ साल पुराने ऐतिहासिक इमारत आड्रे हाउस का तीन साल पहले 6.25 करोड़ रुपये की लागत से जीर्णोद्धार किया गया था। नौ जनवरी, 2016 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसका उद्घाटन किया था। उस समय आनन-फानन में काम हुआ। रंगाई-पुताई हुई। इसके बाद उद्घाटन हुआ, लेकिन इसके रख-रखाव को लेकर कला-संस्कृति विभाग सजग नहीं है।
खपड़ों पर एक-एक मीटर की घास उग आई है, जिस लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है, उसे दीमक चाट गए हैं और लकड़ी कहीं-कहीं एकदम जर्जर हो गई है। इसे भी देखने वाला कोई नहीं है। छह करोड़ रुपया यहां पानी की तरह बहाया गया, लेकिन जिस उद्देश्य से इसका जीर्णोद्धार किया गया, वह पूरा होता नहीं दिख रहा है। निर्माण में घनघोर लापरवाही बरती गई है।
1855-56 में बना था आड्रे हाउस इस भव्य इमारत को ब्रिटिश अधिकारी कैप्टन हेनिंगटन ने 1855-56 में रिक्रिएशन सेंटर के रूप में बनाया था। यहां एक हॉल में बैले डांस भी हुआ करता था। यहां काफी पुरानी चीजें भी मिली हैं। औपनिवेशिक काल के विश्व के 12 कोलोनियल स्ट्रक्चर में यह शामिल है। पुरानी बिल्िडग बांस, मिट्टी, चूना-सुर्खी आदि से निर्मित हुआ था।
अंग्रेजों के जाने के बाद रांची को बिहार की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया तो इसे सचिवालय का रूप दे दिया गया। राज्य बनने के बाद यह राजभवन के अधीन का गया। राजभवन का यह सचिवालय बना। अब इसे आर्ट गैलरी की शक्ल दी गई है। गांधीजी ने पहली बार यहीं कदम रखा चंपारण आंदोलन के सिलसिले में महात्मा गांधी पहली बार जब तीन जून 1917 को रांची आए तो आड्रे हाउस में चार जून को उनकी मुलाकात लेफ्टिनेंट गवर्नर गेट से हुई। सरकार ने अब इसके सभागार का नाम गांधी सभागार कर दिया है।