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Police-Naxal Encounter: गिरिडीह मुठभेड़ की CID जांच, एडीजी का आदेश

Police Naxalite Encounter. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की गाइडलाइंस के अनुसार पूरे मामले की जांच होगी। इस मुठभेड़ में तीन नक्सली मारे गए थे। एक जवान शहीद हुआ था।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 10:29 AM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 05:16 PM (IST)
Police-Naxal Encounter: गिरिडीह मुठभेड़ की CID जांच, एडीजी का आदेश
Police-Naxal Encounter: गिरिडीह मुठभेड़ की CID जांच, एडीजी का आदेश

रांची, राज्य ब्यूरो। गिरिडीह के भेलवाघाटी जंगल में कथित पुलिस मुठभेड़ में मारे गए तीन नक्सलियों के मामले की सीआइडी जांच होगी। इस मुठभेड़ में सीआरपीएफ का एक जवान भी शहीद हो गया था। इस मुठभेड़ में तीन नक्सली मारे गए थे।  इनमें चकाई थाना क्षेत्र के बेहरा गांव निवासी माणिकचंद मुर्मू, बरखुटिया गांव का संजय हांसदा उर्फ प्रभात हांसदा व चरकापाथर थाना क्षेत्र के तेतरिया का सुनील उर्फ विजय मरांडी शामिल थे।

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इस कथित मुठभेड़ में सीआरपीएफ बटालियन-7 के जवान विश्वजीत चौहान (26) शहीद हो गए थे। वे असम के उदयगिरी जिले के कालीगांव के रहने वाले थे। एडीजी सीआइडी अजय कुमार सिंह ने कहा कि पुलिस मुठभेड़ के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की गाइडलाइंस है। उसी के अनुसार  सीआइडी से जांच कराई जाती है। इस मुठभेड़ की भी जांच पूरी गंभीरता और निष्पक्षता से होगी।

गिरिडीह के डीसी ने गृह विभाग को सौंपी प्रारंभिक रिपोर्ट

गिरिडीह के डीसी ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को 15 अप्रैल को हुई कथित पुलिस मुठभेड़ पर प्रारंभिक रिपोर्ट दी है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि बिहार की सीमा से सटे भेलवाघाटी थाना क्षेत्र के बुनियाथर गांव के लमकी पहरी में 15 अप्रैल की सुबह नक्सलियों से मुठभेड़ हो गई थी। इसमें तीन नक्सली मारे गए थे और सीआरपीएफ का एक जवान शहीद हो गया था।

पुलिस ने मुठभेड़ के बाद एक एके 47, पांच सिलेंडर बम, बम बनाने के सामान एवं दो बाइक मौके से बरामद हुई थी। पुलिस को सूचना थी कि कुख्यात माओवादी सीधो कोड़ा व उसके दस्ते के गिरिडीह जिले के चतरो से बिहार की ओर जाने वाले हैं। इसी सूचना पर टीम वहां पहुंची थी, जिसके बाद नक्सलियों से सामना हो गया। सीधो कोड़ा अपने अन्य साथियों के साथ बिहार की सीमा में भाग गया था। डीसी ने यह भी बताया है कि मुठभेड़ के बाद घटनास्थल से लेकर पोस्टमार्टम तक की वीडियोग्राफी में मानवाधिकार के दिशा-निर्देश का पूरी तरह पालन किया गया है।


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