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काफिला रोकने की कोशिश मामले में मुख्‍यमंत्री की समीक्षा के बाद दोषी अफसरों-कर्मियों पर कार्रवाई

Jharkhand CM News मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जांच समिति की रिपोर्ट की समीक्षा करेंगे। मामला किशोरगंज चौक पर सीएम का काफिला रोकने की साजिश का है। दो सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी की रिपोर्ट गृह विभाग को सौंपी गई है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 07:51 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 07:52 PM (IST)
काफिला रोकने की कोशिश मामले में मुख्‍यमंत्री की समीक्षा के बाद दोषी अफसरों-कर्मियों पर कार्रवाई
झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन। फाइल फोटो

रांची, राज्य ब्यूरो। रांची में हरमू रोड स्थित किशोरगंज चौक पर चार जनवरी की शाम मुख्यमंत्री का काफिला रोकने की कोशिश, तोड़फोड़ व उपद्रव मामले में दो सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी ने अपनी रिपोर्ट गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग को सौंप दी है। इस उच्च स्तरीय कमेटी में भूमि निबंधन एवं राजस्व विभाग के सचिव केके सोन व आइजी मानवाधिकारी अखिलेश कुमार झा शामिल थे। अब उच्च स्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट की मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समीक्षा करेंगे। समीक्षा के बाद ही इस घटना के लिए जिम्मेदार व दोषी अफसरों के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी।

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अब तक इस मामले में सुखदेवनगर व कोतवाली थाने के तत्कालीन थानेदार लाइन हाजिर किए जा चुके हैं। सूत्रों के अनुसार उच्च स्तरीय जांच कमेटी की रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि सीएम के काफिले पर हमले की कोशिश में सुरक्षा संबंधित हर स्तर पर चूक हुई है। खुफिया तंत्र से लेकर यातायात पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर पुलिस के अधिकारियों तक की लापरवाही उजागर हो चुकी है।

अब यह तय माना जा रहा है कि सभी दोषी पुलिस अधिकारियों-कर्मियों पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है। उच्च स्तरीय जांच समिति ने पाया कि काफिला मंत्रिमंडल सचिवालय से मुख्यमंत्री आवास के लिए चला था। समय से वायरलेस पर सूचना प्रसारित हुई होती तो मुख्यमंत्री का काफिला दूसरे रास्ते से डायवर्ट करा दिया जाता, लेकिन ऐन वक्त पर सूचना मिलने से हरमू बाईपास रोड से बड़ा तालाब के रास्ते काफिला को भेजना पड़ा।

मुख्यमंत्री के काफिला में डीएसपी स्तर के अधिकारी को रहना अनिवार्य है, लेकिन घटना के दिन काफिला में इंस्पेक्टर स्तर का अधिकारी शामिल था। घटना के दिन कोतवाली व सुखदेवनगर के थानेदार कहीं नहीं दिखे। वरीय पुलिस अधिकारी भी नहीं थे। अगर उपद्रवी मुख्यमंत्री के काफिले की ओर बढ़ जाते तो उन्हें रोकना मुश्किल था। यह सुरक्षा संबंधित बड़ी लापरवाही है। उच्च स्तरीय समिति ने सभी वरिष्ठ अधिकारियों का बयान ले लिया है।

गौरतलब है कि चार जनवरी को ओरमांझी में बरामद एक युवती का सिरकटा शव मिलने के विरोध स्वरूप किशोरगंज चौक पर मुख्यमंत्री का काफिला रोकने की कोशिश की गई थी। किशोरगंज चौक पर उपद्रवियों ने काफिले की पहली गाड़ी में सवार गोंदा यातायात के थाना प्रभारी को जख्मी कर दिया था। इसी बीच काफिला को भारत माता चौक से डायवर्ट कर बड़ा तालाब, मेन रोड, कचहरी चौक होते हुए मुख्यमंत्री आवास के लिए रवाना किया गया था।


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