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शिव सरोज आत्महत्याः थानेदार लाइन हाजिर, सीआइडी जांच शुरू

शिव सरोज आत्महत्या मामले में थानेदार को लाइन हाजिर कर सीआइडी जांच शुरू कर दी गई है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Fri, 04 Aug 2017 09:53 AM (IST)Updated: Fri, 04 Aug 2017 04:47 PM (IST)
शिव सरोज आत्महत्याः थानेदार लाइन हाजिर, सीआइडी जांच शुरू
शिव सरोज आत्महत्याः थानेदार लाइन हाजिर, सीआइडी जांच शुरू

जागरण संवाददाता, रांची। पुलिस को सुधारने की लाख कोशिशों के बावजूद कार्यप्रणाली और व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं दिख रहा है। एक बार फिर पुलिस के प्रताड़ना भरे व्यवहार से आहत होकर धनबाद के एक युवक शिव सरोज कुमार (27) ने बुधवार की देर रात आत्महत्या कर ली।

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आत्महत्या के पूर्व उसने अपनी भावनाओं को शब्दों में पिरोया जिसे पढ़कर लोगों के रोंगटे खड़े हो गए। सोशल मीडिया पर विरोध से लेकर सड़कों पर प्रदर्शन तक शुरू हो गए। मामले की गंभीरता देख मुख्यमंत्री रघुवर दास ने तत्काल डीजीपी को जांच कराने का आदेश दिया और 24 घंटे में रिपोर्ट तलब की। डीजीपी के आदेश पर सीआइडी ने जांच शुरू कर दी है।

युवक ने अपने सुसाइड नोट में चुटिया थानेदार अजय कुमार वर्मा और डीएसपी शंभू कुमार सिंह पर गंभीर आरोप लगाए थे। प्रारंभिक जांच के बाद थानेदार को लाइन हाजिर कर दिया गया है। शिव ने मरने से लगभग छह घंटे पहले बुधवार की रात करीब पौने आठ बजे सुसाइड नोट वरीय अधिकारियों को मेल पर भेजा। रात दो बजे अपर बाजार में सेवा सदन हॉस्पिटल के सामने पीपल के पेड़ पर शंभू का शव बरामद किया गया। सुसाइड नोट में उसने चुटिया थानेदार व डीएसपी सिटी पर गाली-गलौज व प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए स्पष्ट कहा था कि उनकी प्रताड़ना से तंग आकर ही वह खुदकशी करने जा रहा है।

इस बीच, शिव के पिता सुरेश कुमार ने पुलिस अधिकारियों पर अपनी भड़ास निकाली। उन्होंने कहा कि उनका एक ही बेटा था, जब वह रहा ही नहीं, तो उनके जीने का भी कोई मतलब नहीं है। वे कभी भी कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि सिटी डीएसपी शंभू कुमार सिंह व चुटिया थानेदार अजय कुमार वर्मा ने उनके बेटे को इस कदर प्रताड़ित किया कि उसने फांसी लगाकर खुदकशी कर ली।

सुसाइड नोट में शिव ने पुलिस पर उठाए सवाल

-क्या पुलिस को गाली देकर बात करने का परमिशन है?

-सामान्य लोगों की थाने में कोई हैसियत होती है क्या?

-वो हमारी समस्या सुलझाने के लिए हैं या समस्या बढ़ाने के लिए?

-हम गुंडों से डरते हैं क्योंकि वे गुंडे होते हैं, लेकिन पुलिस से भी डरते हैं, क्योंकि वे वर्दीवाले गुंडे होते हैं।

-सीनियर पुलिस अधिकारी ही जब मां-बहन की गाली देकर बात करेंगे तो उनके और रोड चलते मवाली में क्या अंतर है?

-क्या एक सामान्य इंसान की कोई रिस्पेक्ट नहीं है? कोई मोरल वैल्यू नहीं है?

सुलगते प्रश्न

-पुलिस मान बैठी थी कि शिव फर्जी आइबी अधिकारी होने का दावा कर रहा है। हो भी सकता है। तो क्या ऐसा लोगों को पुलिस यूं ही आजाद कर देती है?

-क्या पुलिस से लेकर शासन तक में कहीं भी कोई देर शाम के मेल को चेक नहीं करता। शिव का मेल रिसीव होने के बाद कोई कदम क्यों नहीं उठाए गए?

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