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Jharkhand Government: हेमंत सरकार गिराने के मामले में तीनों आरोपितों को मिली जमानत

Jharkhand News Hemant Government एसीबी की इंचार्ज कोर्ट ने उनकी जमानत मंजूर की। अदालत ने 90 दिनों बाद चार्जशीट दाखिल नहीं होने पर उन्हें जमानत मंजूर की है। तीनों आरोपितों को सीआरपीसी की धारा 167(2) का लाभ मिला।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 04:39 PM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 08:21 PM (IST)
Jharkhand News, Hemant Government एसीबी की इंचार्ज कोर्ट ने उनकी जमानत मंजूर की।

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार को गिराने की साजिश में शामिल तीनों अभियुक्तों को शनिवार को अदालत से बड़ी राहत मिली है। एसीबी की प्रभारी न्यायाधीश आसिफ इकबाल की अदालत ने तीन अभियुक्तों अभिषेक दुबे, निवारण प्रसाद महतो और अमित सिंह को जमानत की सुविधा प्रदान कर दी है। दरअसल, इस मामले में रांची पुलिस ने अभी तक तीनों अभियुक्तों के खिलाफ निचली अदालत में आरोप पत्र दाखिल नहीं किया है।

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शनिवार को 91वां दिन था और अभियुक्तों ने जमानत याचिका दाखिल कर अदालत से जमानत देने की गुहार लगाई। सुनवाई के बाद अदालत ने इनको सीआरपीसी की धारा 167(2) का लाभ देते हुए जमानत प्रदान कर दी। तीनों अभियुक्त 22 जुलाई से जेल में बंद हैं। इस मामले में एसीबी कोर्ट के निर्देश पर ही तीनों के जब्त मोबाइलों की जांच फॉरेंसिक से कराने के लिए कोलकाता भेजा गया है। दरअसल, कांग्रेसी विधायक जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह की शिकायत पर पुलिस ने लीलैक होटल में छापेमारी की थी।

यहां से अमित सिंह, निवारण प्रसाद महतो और अभिषेक दुबे को गिरफ्तार किया गया था। इनके पास से पुलिस ने विधायकों से बातचीत में इस्तेमाल संबंधी मोबाइल, स्थानीय विधायकों के साथ दिल्ली यात्रा की टिकट, दो लाख की नकदी बरामद की है। पुलिस ने इनके खिलाफ राजद्रोह की धारा के साथ-साथ आइपीसी की धारा 419, 420, 124 ए, 120 बी, पीपुल्स रिप्रेजेंटेशन एक्ट, पीसी एक्ट समेत अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज किया है।

यह है सीआरपीसी की धारा 167 (2)

दरअसल, किसी मामले में अगर जांच एजेंसी 90 दिनों में आरोपितों के खिलाफ निचली अदातल में आरोप पत्र दाखिल नहीं करती है, तो आरोपित जमानत पाने का हकदार होता है। इस मामले में पुलिस ने 90 दिन तक आरोप पत्र दाखिल नहीं किया, तो 91वें दिन अभियुक्तों की ओर से अदालत में जमानत याचिका दाखिल कर जमानत की गुहार लगाई गई थी। सुनवाई के दौरान अदालत ने इस मामले में सभी को सीआरपीसी की धारा 167(2) का लाभ देते हुए जमानत प्रदान कर दी।


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