आठ डीएसपी के नेतृत्व में 40 अफसरों की टीम डकैतों की तलाश में जुटी
लालपुर थाना क्षेत्र के अमरावती कांप्लेक्स स्थित ज्वेलरी दुकान गहना घर के दो व्यवसायी भाइयों गोली मारने की घटना की जांच में पुलिस सरगर्मी से जुट गई है।
रांची । लालपुर थाना क्षेत्र के अमरावती कांप्लेक्स स्थित ज्वेलरी दुकान 'गहना घर' के दो व्यवसायी भाइयों को लूटपाट में विफल होने पर गोली मारने वाले डकैतों की तलाश तेज है। इस कांड के खुलासे के लिए रांची पुलिस की विशेष अनुसंधान टीम राज्य व राज्य से बाहर भी छापेमारी कर रही है।
आठ डीएसपी के नेतृत्व में अलग-अलग आठ टीमें बनी हैं, जिसमें 40 अफसर लगाए गए हैं। ये टीम बिहार के औरंगाबाद व गया के अलावा झारखंड में हजारीबाग, कोडरमा, चतरा, पलामू व गढ़वा में छापेमारी कर रही है। अब तक डकैतों के बारे में कोई जानकारी हाथ नहीं लगी है।
घायल व्यवसायी भाइयों में रोहित खिरवाल और राहुल खिरवाल शामिल हैं। उनके पिता बनवारी लाल खिरवाल के बयान पर मंगलवार को लालपुर थाने में पांच अज्ञात अपराधियों के खिलाफ डकैती की कोशिश व विफल होने पर गोली चलाने के मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है।
घटना के 24 घंटे के बाद भी अपराधियों के बारे में पुलिस को कोई सफलता हाथ नहीं लगी है। पुलिस को आशंका है कि एक अपराधी रांची का है, अन्य अपराधी राज्य के बाहर के हो सकते हैं। यह आशंका इसलिए भी बन रही है, क्योंकि भागने के दौरान अपराधियों ने एक को कोकर में चूना भट्ठा के पास मोटरसाइकिल से उतार दिया था।
जेलों में बंद अपराधियों से सुराग तलाशने में जुटी पुलिस :
डकैती की इस घटना के बाद पुलिस को पांचों डकैतों के सीसीटीवी फुटेज मिले थे। अब सीसीटीवी फुटेज राज्य की जेलों में बंद लूट-डकैती के अपराधियों को दिखाया जा रहा है, ताकि यह पता चल सके कि ये अपराधी कौन हैं। रामगढ़ में भी इसी तरह की एक घटना घटी थी और विभाष पासवान नाम का अपराधी इस मामले में जेल में बंद है। उसे भी फुटेज दिखाया गया, लेकिन वह भी अपराधियों को नहीं पहचान सका। रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार में भी अपराधियों से फुटेज दिखाकर उनकी पहचान की कोशिश की जा रही है।
फोरेंसिक साक्ष्य व फिंगर प्रिंट को किया गया सुरक्षित
डकैती के प्रयास व गोलीबारी के बाद पुलिस को कई वैज्ञानिक साक्ष्य हाथ लगे हैं। अपराधियों के चेहरे सीसीटीवी कैमरे में कैद हुए, जिनकी तस्वीरें वायरल हैं। इसके अतिरिक्त फिंगर प्रिंट को भी सुरक्षित रखा गया है, ताकि अपराधियों के पकड़े जाने पर उससे मिलान किया जा सके। यह अनुसंधान को मजबूती देगा।
जेलों की बायोमीट्रिक व्यवस्था का नहीं मिल पाएगा लाभ :
राज्य की जेलों में नए, पुराने, जमानत पर बाहर जा चुके, बरी हो चुके अपराधियों की बायोमीट्रिक ब्योरा उपलब्ध है। इस व्यवस्था का लाभ लालपुर कांड की अनुसंधान टीम को नहीं मिल पाएगा। उसका कारण यह है कि यह व्यवस्था अपराधियों के अंगूठे के मिलान पर ही काम करेगी। अंगूठे की जगह अगर फिंगर प्रिंट का प्रिंटआउट से मिलान करना चाहें, तो ऐसी कोई व्यवस्था जेल के पास नहीं है। उस व्यवस्था का लाभ तब मिलेगा, जब अपराधी पकड़ा जाएगा। अपराधी अगर नहीं पकड़ा गया, तो उसके बारे में ब्योरा जेल के इस बायोमीट्रिक व्यवस्था से नहीं मिल पाएगा।
सभी जिलों को भेजी गई है अपराधियों की तस्वीर
अपराधियों की तलाश के लिए सभी जिलों को सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराया गया है, ताकि इस कांड का खुलासा हो सके। सभी एसपी को निर्देशित किया गया है कि वे थाना स्तर पर भी अपराधियों की तस्वीर का सत्यापन करवाएं, ताकि इस कांड का खुलासा हो सके।
मारना नहीं, लूटपाट ही था उद्देश्य :
पुलिस की प्रारंभिक छानबीन में यह खुलासा हुआ है कि व्यवसायी बंधुओं को मारने का उद्देश्य नहीं था। वहां दिनदहाड़े लूटपाट का पूरा प्लान बना था। डकैत हाथों में ग्लव्स पहने हुए थे और बैग भी लिए हुए थे। लूटपाट के गहनों को बैग में भरकर फरार होने की तैयारी थी।
विभिन्न जगहों से पूछताछ को उठाए गए 80 से ज्यादा संदिग्ध :
डकैती की कोशिश के इस मामले में पुलिस की टीम ने विभिन्न जगहों से 80 से ज्यादा संदिग्धों को उठाया है। पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है। ये वही संदिग्ध हैं, जो कभी लूट या डकैती में शामिल रहे हैं।
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