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Jharkhand: कोरोना काल में बड़ी संख्या में बच्चों ने छोड़ा है स्कूल, ड्राप आउट बच्चों के लिए चलेगा 'स्कूल वापस चलें' अभियान

Jharkhand कोरोना काल में स्कूलों के लंबे समय से बंद रहने के कारण बड़ी संख्या में बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया है। इसे ध्यान में रखते हुए झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने बच्चों को वापस स्कूल लाने का अभियान चलाने का निर्णय लिया है।

By Kanchan SinghEdited By: Published: Fri, 22 Oct 2021 03:59 PM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 03:59 PM (IST)
झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने बच्चों को वापस स्कूल लाने का अभियान चलाने का निर्णय लिया है।

रांची, राब्यू। कोरोना काल में स्कूलों के लंबे समय से बंद रहने के कारण बड़ी संख्या में बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया है। इसे ध्यान में रखते हुए झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने बच्चों को वापस स्कूल लाने का अभियान चलाने का निर्णय लिया है। प्रत्येक साल सरकारी स्कूलों में बच्चों के अधिक से अधिक नामांकन करने तथा पढ़ाई से वंचित बच्चों को स्कूल तक खींचकर लाने के लिए स्कूल चलें अभियान चलाया जाता रहा है। अब इसी तर्ज पर 'स्कूल वापस चलें' अभियान चलाया जाएगा। झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने इसे लेकर प्रस्ताव तैयार कर स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को भेजा है।

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स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा कराए गए सर्वे में यह बात सामने आई है कि लगभग छह लाख बच्चों ने स्कूलों में अगली कक्षाओं में नामांकन नहीं लिया। हालांकि यूडायस की रिपोर्ट की मानें तो स्कूल छोडऩवाले बच्चों की संख्या लगभग 75 हजार ही है। झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के पदाधिकारियों के अनुसार जो बच्चे स्मार्ट फोन नहीं होने से आनलाइन पढ़ाई से जुड़ नहीं सके हैं, उन्हें भी ड्राप आउट मान लिया गया। परिषद का मानना है कि इनमें अधिसंख्य बच्चों ने अगली कक्षाओं में नामांकन लिया है।

हालांकि स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग भी मान रहा है कि बड़ी संख्या में बच्चे ड्राप हुए हैं। अब इन बच्चों का दोबारा स्कूलों में नामांकन सुनिश्चित करने तथा उन्हें आफलाइन या आनलाइन कक्षाओं से जोडऩे के लिए स्कूल वापस चलें अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान को शुरू करने से पहले गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग से भी अनुमति ली जाएगी।  तैयार प्रस्ताव के अनुसार, इस अभियान में शिक्षकों एवं विद्यालय प्रबंध समिति को ड्राप आउट बच्चों की पहचान करने तथा अभिभावकों को जागरूक कर उनका दोबारा नामांकन सुनिश्चित करने की कार्रवाई की जाएगी। इसमें स्थानीय जन प्रतिनिधियों से भी सहयोग लिया जाएगा। इसमें राज्य से लेकर प्रखंड स्तर के पदाधिकारियों, बीआरपी, सीआरपी आदि की जवाबदेही तय की जाएगी।


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