405 घंटे के कोर्स से दक्ष बनेंगे झारखंड के 51 हजार छात्र
झारखंड के 51 हजार छात्र 405 घंटे के कोर्स से तकनीकी रूप से दक्ष हो जाएंगे।
वेंकटेश्वर राव, जमशेदपुर। महज 17 दिन यानि 405 घंटे के कोर्स से झारखंड के 51 हजार छात्र तकनीकी रूप से दक्ष हो जाएंगे। सिर्फ यही नहीं इस कोर्स की समाप्ति के साथ ही इन छात्रों को झारखंड सरकार रोजगार भी उपलब्ध कराएगी। यह कार्य टाटा स्टील ऑफ सोशल साइंस (टिस) के द्वारा किया जाएगा। इसके लिए झारखंड सरकार के उच्च शिक्षा, तकनीकी एवं कौशल विभाग के साथ टिस व कॉलेजों का एमओयू भी हो चुका है। इस योजना की शुरुआत कोल्हान विश्वविद्यालय से प्रारंभ की गई।
कोल्हान विश्वविद्यालय के टाटा कॉलेज चाईबासा व महिला कॉलेज चाईबासा में इस कोर्स की पढ़ाई प्रारंभ हो गई है। झारखंड के अन्य कॉलेजों में जून के अंतिम सप्ताह से पढ़ाई प्रारंभ हो जाएगा। इस संबंध में टिस की ओर से सभी कॉलेजों को पत्र भी भेजा जा चुका है। झारखंड के कुल 400 कॉलेजों में इस एक्सल योजना को लागू किया जाना है। इस योजना के तहत सर्टिफिकेट इन सॉफ्टवेयर स्किल एंड मैनेजमेंट का कोर्स कराया जाएगा। इसके लिए टिस की टीम झारखंड के मुख्यमंत्री व उच्च शिक्षा विभाग से प्राप्त निर्देश के अनुसार काम कर रही है। एक बैच में मात्र 30 छात्र-छात्राएं इस कोर्स का लाभ ले पाएंगी। दूसरा बैच प्रारंभ होगा की नहीं यह कॉलेज की छात्र-छात्राओं की रूचि पर निर्भर करेगा।
कोर्स के तहत क्या सीखेंगे छात्र
इंग्लिश कम्युनिकेशन, डिजिटल लिटरेसी, व्यवहारिक विज्ञान, फाइनांसियल लिटरेसी, हेल्थ एंड हाइजिन, करियर स्किल्स, एनालेटिकल स्किल्स।
इस योजना को लेकर काफी आशान्वित हैं। झारखंड के छात्र-छात्राओं की रूचि के अनुसार इस कोर्स को अमलीजामा पहनाया गया है। हमारा लक्ष्य है 51 हजार छात्रों को तकनीकी रूप से दक्ष बनाना। यह कार्य पूर्ण रूप से जून के अंतिम सप्ताह से प्रारंभ हो जाएगा। यह झारखंड सरकार की महत्वपूर्ण योजना है।
-डॉ. रमण वल्लभ, झारखंड स्टेट लीड, एक्सेल प्रोजेक्ट, टिस।
रोजगार मेले में चयनित छात्र कम पैसे में अन्य राज्यों में नहीं करना चाहते कार्य
कोल्हान विश्र्वविद्यालय के अंगीभूत कॉलेजों के प्लेसमेंट सेल व जनवरी माह में आयोजित झारखंड सरकार के रोजगार मेले में प्राप्त रोजगार में छात्र-छात्राएं दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। यह चिंता की बात है। कोल्हान विश्वविद्यालय के प्लेसमेंट सेल से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार पिछले डेढ़ साल में कॉलेजों द्वारा कराए गए कैंपस में 1500 छात्र-छात्राओं का चयन विभिन्न कंपनियों ने किया था। इसके अलावा जनवरी 2018 में आयोजित झारखंड सरकार के रोजगार मेला में कोल्हान विवि के 1500 छात्र-छात्राओं का चयन हुआ था। कुल मिलाकर 3000 छात्र-छात्राओं का चयन विभिन्न कंपनियों में हुआ। लेकिन हैरत की बात है कि इसमें से 10 फीसद छात्र-छात्राएं ही विभिन्न कंपनियों में कार्य कर रही हैं।
रोजगार मेला में चयनित मात्र पांच फीसद छात्र ही कार्य कर रहे हैं, बाकी नौकरी छोड़कर आ चुके हैं। कोल्हान विश्र्वविद्यालय के प्लेसमेंट सेल के प्रभारी डॉ. आरके कर्ण का कहना है कि विश्वविद्यालय के छात्र दूसरे प्रदेशों में जाना ही नहीं चाहते हैं। यह चिंतनीय विषय है। इसके लिए छात्र-छात्राओं की काउंसिलिंग कार्य को जारी रखने की आवश्यकता है। एक बार फिर से प्लेसमेंट विभाग को इस बारे में सक्रिय होना होगा। तीन लाख का पैकेज पाने वाले छात्र भी मुंबई, इंदौर, दिल्ली, गुड़गांव में कार्य नहीं करना चाहते। इस पर जागरूकता अभियान चलाए जाने की जरूरत है।