बीएयू में होगा कृषि विश्वविद्यालय संघ का 45वां कुलपति सम्मलेन, 70 विवि के कुलपति होंगे शामिल
Birsa Agriculture University Ranchi रांची के बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में कुलपति सम्मलेन का आयोजन किया जाएगा। इसमें देशभर के 70 विवि के कुलपति शामिल होंगे। उद्घघाटन समारोह के मुख्य अतिथि झारखंड के राज्यपाल एवं विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति रमेश बैस होंगे।
रांची, जासं। रांची के बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में 20 और 21 दिसंबर को भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ (आइएयूए) के 45वां कुलपति सम्मलेन का आयोजन किया जाएगा। बीएयू के कुलपति डा. ओंकार नाथ सिंह ने बताया कि सम्मलेन का मुख्य विषय कृषि विश्वविद्यालयों के मानक, स्थिरता और सामाजिक प्रभाव में सुधार रखा गया है।
इसके अधीन नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में कृषि शिक्षा और अनुसंधान में अंतरराष्ट्रीय मानक प्राप्त करना, कृषि उत्पादकता को बढ़ाने और बनाए रखने की रणनीति, उपयुक्त प्रौद्योगिकियों का विकास और अनुप्रयोग के साथ लाभप्रदता, किसानों का प्रौद्योगिकी, बाजार, ऋण और प्रसार सेवाओं तक पहुंच को सक्षम बनाना तथा कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में उद्यमिता विकास हेतु अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र बनाना आदि विषयों को शामिल किया गया है।
बीएयू परिसर में आयोजित इस सम्मलेन के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि झारखंड के राज्यपाल एवं विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति रमेश बैस होंगे। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आइसीएआर) के महानिदेशक एवं सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग डा. त्रिलोचन महापात्रा विशिष्ट अतिथि होंगे। संघ के अध्यक्ष एवं कुलपति, सरदार वल्लभ पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ डॉ. आरके मित्तल समारोह की अध्यक्षता करेंगे।
भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित इस सम्मलेन में देश के 70 नियमित सदस्य विश्वविद्यालयों के कुलपति भाग लेंगे। संघ की स्थापना वर्ष 1967 में 9 संस्थापक सदस्य कृषि विश्वविद्यालयों से की गई थी। वर्त्तमान में संघ के 62 राज्य कृषि विश्वविद्यालय, 4 डीम्ड कृषि विश्वविद्यालय एवं 4 केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय नियमित सदस्य हैं। इनमें 44 कृषि, 6 बागवानी, 17 पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान तथा 3 मत्स्य विज्ञान विशेषज्ञता आधारित विश्वविद्यालय शामिल हैं।
कुलपति डा. ओंकार नाथ सिंह ने बताया कि कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति सम्मलेन के आयोजन से झारखंड में कृषि शिक्षा, अनुसंधान एवं प्रसार के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार का मार्गदर्शन मिलने का अवसर होगा। इससे राज्य में कृषि शिक्षा, अनुसंधान एवं प्रसार को नई दिशा दी जा सकेगी।