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Good news: अब बच्चों को भी लग सकेगी कोवैक्सीन, डाक्टर बोले - गाइडलाइंस जारी होते ही पैरेंट्स लगवाएं टीका

Good news बड़ों के साथ अब बच्चों को भी कोवैक्सीन की डोज लग सकेगी। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने इसकी मंजूरी दे दी है। अब गाइडलाइंस का इंतजार किया जा रहा है। गाइडलाइंस आते ही बच्चों को कोवैक्सीन लगनी शुरू हो जाएगी।

By Kanchan SinghEdited By: Published: Tue, 12 Oct 2021 04:19 PM (IST)Updated: Tue, 12 Oct 2021 04:19 PM (IST)
Good news: अब बच्चों को भी लग सकेगी कोवैक्सीन, डाक्टर बोले - गाइडलाइंस जारी होते ही पैरेंट्स लगवाएं टीका
बड़ों के साथ अब बच्चों को भी कोवैक्सीन की डोज लग सकेगी।

रांची, जासं। बड़ों के साथ अब बच्चों को भी कोवैक्सीन की डोज लग सकेगी। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने इसकी मंजूरी दे दी है। अब गाइडलाइंस का इंतजार किया जा रहा है। गाइडलाइंस आते ही बच्चों को कोवैक्सीन लगनी शुरू हो जाएगी। रांची में भी लंबे समय से बच्चों के वैक्सीन का इंतजार किया जा रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि पेरेंट्स बच्चों को लेकर किसी तरह की आशंका न रखें। गाइडलाइन आते ही बच्चों को टीका लगवाएं।

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सिविल सर्जन डा. विनोद कुमार का कहना है कि कोवैक्सीन की जो ट्रायल स्टडी रिपोर्ट है, उसमें भी बताया गया था कि यह वैक्सीन बच्चों के लिए पूरी तरह सुरक्षित होगी। अब पूरा ट्रायल हो चुका है उसमें भी वैक्सीन के बच्चों के लिए पूरी तरह कारगर होने की बात कही गई है। कोविड-19 को देखते हुए जब गाइडलाइन जारी हो जाए, तब अभिभावक बच्चों को जरूर कोवैक्सीन लगवाएं। रिम्स की मेडिकल ऑफिसर और पीडियाट्रिक्स में कार्यरत डा. दिव्या सिंह ने बताया कि क्लिनिकल ट्रायल के बाद जब वैक्सीन तैयार होती है तो उसमें किसी तरह की कोई आशंका नहीं रहती। गवर्नमेंट की ओर से पूरी तैयारी के साथ इसका ट्रायल किया जाता है।

इसलिए ग्लोबल पैनडेमिक को देखते हुए लोगों को इसका लाभ लेना चाहिए। बच्चों को टीका लगवाना चाहिए। हालांकि शुरुआती दौर में थोड़ी बहुत परेशानी होगी क्योंकि बच्चों को लेकर लोग रिस्क नहीं लेना चाहते। ऐसे में लोगों में जागरूकता फैलानी होगी। रांची के चिकित्सक डा. रविकांत चतुर्वेदी का कहना है कि जब कोविड-19 पीक पर था तब उस समय सारे लोग डरे हुए थे। जब वैक्सीन आई तब लोगों को थोड़ी राहत मिली। लेकिन बच्चों को लेकर डर बना हुआ था। जब से वैक्सीन लगने की प्रक्रिया शुरू हुई उसके कुछ समय बाद से ही इसकी स्वीकार्यता बढ़ी है। हां शुरुआती दौर में थोड़ी बहुत परेशानी रही, लेकिन बाद में गांव-गांव, शहर शहर कोविड-19 को लेकर वैक्सीन के प्रति आशंका खत्म हुई है।

डा. रविकांत का कहना है कि हमें तीन चीजों को फोकस करना होगा। पहला, बच्चों को शुरू से ही टीका लगता रहा है। जो वैक्सीनेटर हैं वे पेरेंट्स को बताएं, कनवींस करें कि किस तरह कोवैक्सीन उनके बच्चे के लिए सेफ रहेगा। इससे बच्चों के वैक्सीनेशन में काफी मदद मिलेगी। दूसरा. हमें पॉजिटिव वातावरण बनाना होगा और लोगों को बताना होगा कि कोविड-19 वैक्सीन बच्चों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है। इसके लिए कैंपेन चलाना होगा। लोगों के बीच में जागरूकता फैलानी होगी। साथ ही स्कूल में प्रिंसिपल और शिक्षकों की भी भूमिका रहेगी। वो भी पेरेंट्स को बताएं कि बच्चों के लिए वैक्सीनेशन कितना जरूरी है।

इस बात की पूरी संभावना है कि जब शुरू में वैक्सीन लगेगी तो बच्चों को बुखार आएगा या दूसरी परेशानी बढ़ेगी। लेकिन इससे घबराना नहीं है, यह लोगों को समझाना होगा। जैसे दूसरे टीकों में बच्चों को बुखार आता है इसमें भी ऐसा ही होगा। तीसरा, हमारी सोसाइटी इसमें बहुत मददगार साबित हो सकती है। उदाहरण के लिए जब कोई अभिभावक अपने बच्चे को टीका लगवाएगा तो दूसरे लोगों को भी कह सकते हैं कि हमने अपने बच्चों को टीका दिलवाया और किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं है। इस तरीके से हम सोसाइटी के बीच में राय बना सकते हैं।

शिशु रोग विशेषज्ञ डा. एस सिडाना का मानना है कि वैक्सीन लगने के बाद बच्चों में मानसिक विकार खत्म हो जाएगा। बच्चे दूसरी बीमारियों से जूझ रहे हैं तो वैक्सीन से उनकी परेशानी कम हो जाएगी। सबसे बड़ी बात यह है कि कोवैक्सीन लगने के बाद बच्चों में जब टीकाकरण पूरा हो जाएगा तो बच्चों के स्कूल जाने का रास्ता भी पूरी तरह से खुल जाएगा। बच्चों में पॉजिटिविटी बढ़ेगी। बच्चों में बढ़ा मोटापा खत्म होगा। बच्चों के बीच में इंटरेक्शन होगा और उससे उनके बीच क्रिएटिविटी भी बढ़ेगी।


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