Black Fungus Infection Symptoms: यहां चेक करें ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस के लक्षण Black Fungal Disease
Black Fungus and White Fungus Symptoms कोरोना संक्रमितों में ब्लैक फंगस और व्हाइट फंगस तेजी से फैल रहा है। ब्लैक फंगस के मरीजों की तो आंखें भी निकालनी पड़ रही है। नई बीमारी से सहमी सरकारें इस खतरनाक और जानलेवा बीमारी को लेकर अलर्ट मोड में है।
रांची, जेएनएन। Black Fungus and White Fungus Symptoms कोरोना संक्रमितों में ब्लैक फंगस और व्हाइट फंगस तेजी से फैल रहा है। ब्लैक फंगस के मरीजों की तो आंखें भी निकालनी पड़ रही है। ब्लैक फंगस का सबसे ज्यादा खतरा मधुमेह के मरीजों को है। इस बीमारी के संक्रमण की बात करें तो अनियंत्रित मधुमेह वाले लोगों, स्टेरॉयड के इस्तेमाल से इम्यूनिटी घटने, लंबे समय तक वेंटिलेटर पर रहने तथा वोरिकोनाजोल थेरेपी से ब्लैक फंगस होता है। नई बीमारी से सहमी सरकारें इस खतरनाक और जानलेवा बीमारी को लेकर अलर्ट मोड में है। इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ब्लैक फंगस और व्हाइट फंगस के मरीजों की पहचान, उनका इलाज और उनकी दवाओं को लेकर एडवाइजरी जारी की है।
म्यूकर मायकोसिस (ब्लैक फंगस) कोरोना संक्रमित मरीजों में होनेवाली खतरनाक बीमारी है। जबकि पटना में व्हाइट फंगस के मरीजों की पुष्टि हुई है। झारखंड में रविवार तक 27 कोरोना मरीज ब्लैक फंगस की चपेट में आ चुके हैं। जिनमें 4 मरीजाें की जान जा चुकी है। राज्य सरकार ने सभी जिलों को इस जानलेवा बीमारी से अलर्ट करते हुए ऐसे मरीजों की जानकारी मांगी है। बहरहाल, मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) द्वारा इस बीमारी से बचने के लिए आवश्यक एहतियात तथा उपचार को लेकर जारी एडवाइजरी का अनुपालन करने के निर्देश दिए गए हैं।
किसे हो रहा ब्लैक फंगस
डॉक्टरों ने ब्लैक फंगस की मरीज बढ़ने के पीछे अधिक शुगर होने तथा स्टेरॉयड के अधिक उपयोग को बड़ी वजह बताया है। यह समस्या युवाओं में भी हो रही है। मधुमेह से पीड़ित कोविड या पोस्ट कोविड मरीजों को आंख की पलक में सूजन, कम दिखना आदि लक्षण हो तो यह ब्लैक फंगस के लक्षण हो सकते हैं। आइसीएमआर ने कहा है कि कोरोना मरीज ब्लैक फंगस के लक्षणों पर नजर रखें, इसकी अनदेखी न करें। ब्लैक फंगस के लक्षण मिलने पर स्टेरॉयड की मात्रा कम करने या फिर बंद करने का सुझाव दिया गया है।
यहां देखें, ब्लैक फंगस के लक्षण
- धुंधला या दोहरा दिखाई देना
- चेहरे पर एक तरफ दर्द होना या सूजन
- दांत या जबड़े में दर्द
- दांत टूटना
- सीने में दर्द
- सांस में परेशानी
- नाक जाम होना
- नाक से काला या लाल स्राव होना
- गाल की हड्डी में दर्द होना
ब्लैक फंगस से ऐसे बचें
- स्टेरॉयड का इस्तेमाल न करें
- ब्लड ग्लूकोज पर नजर रखें
- खून में शुगर की मात्रा ज्यादा न होने दें
- एंटीबायोटिक दवाएं न लें
- एंटीफंगल दवाओं का इस्तेमाल कम करें
ब्लैक फंगस का ये है इलाज
मधुमेह से गंभीर रूप से पीड़ित मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा सबसे अधिक होता है। इससे बचने के लिए शुगर नियंत्रण में रखना चाहिए। ब्लैक फंगस संक्रमण त्वचा से शुरू होकर शरीर के अन्य भागों में फैल जाता है। इसमें आंखों को अधिक नुकसान पहुंचता है। इलाज के तौर पर ब्लैक फंगस संक्रमित मरीजों की मृत और संक्रमित ऊतकों को हटाने के लिए सर्जरी की जाती है। इसके लिए मरीजों का ऊपरी जबड़ा या आंख निकालना भी पड़ सकता है। ब्लैक फंगस के इलाज में एंटी-फंगल थेरेपी का छह सप्ताह का कोर्स शामिल है।
ब्लैक फंगस से बचने के लिए बरतें एहतियात
- धूल भरी जगह पर जाने से बचें
- अनियंत्रित मधुमेह से बचें
- घर-बाहर हर जगह मास्क लगाएं
- स्टेरॉयड न लें
- इम्यून सिस्टम को मजबूत करें
- स्क्रब बाथ लें
- सफाई पर पूरा ध्यान दें
- शरीर को जूते, ग्लव्स से पूरी तरह ढंककर रखें
व्हाइट फंगस के लक्षण
- मुंह में चकते होना
- जीभ में छाले होना
- स्वाद नहीं आना
- मुंह सुन्न हो जाना
राज्य में भी ब्लैक फंगस महामारी (अधिसूचित बीमारी) घोषित
राज्य में सभी निजी व सरकारी अस्पतालों, चिकित्सकों को ब्लैक फंगस (म्यूकर माइकोसिस) के रोगियों या इसके संभावित रोगियों की जानकारी जिला प्रशासन के माध्यम से राज्य सरकार को अनिवार्य रूप से देनी होगी। राज्य सरकार ने भी इस बीमारी को महामारी (अधिसूचित बीमारी) में शामिल करने का निर्णय लिया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान, झारखंड के आइईसी कोषांग के राज्य नोडल पदाधिकारी सिद्धार्थ त्रिपाठी ने कहा कि शीघ्र ही इस संबंध में आदेश जारी हो जाएगा।
ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए रिम्स बना नोडल सेंटर
इधर, स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने सभी उपायुक्तों व सिविल सर्जनों को पत्र लिखकर इस बीमारी से ग्रसित मरीजों की सूचना निर्धारित फारमेंट में जिला सर्विलांस पदाधिकारी के माध्यम से इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलासं प्रोग्राम (आइडीएसपी) को देने को कहा है। इस बाबत सभी मेडिकल कॉलेजों व सरकारी तथा निजी अस्पतालों को आवश्यक निर्देश देने को कहा है। साथ ही उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी के अनुपालन के निर्देश दिए हैं। इधर, राज्य सरकार ने राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) को ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए नोडल सेंटर बनाने का निर्णय लिया है। स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव ने रिम्स निदेशक व अधीक्षक को इसे लेकर आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश देते हुए टेक्निकल एक्सपर्ट ग्रुप गठित करने के भी निर्देश दिए हैं। इस ग्रुप में विभिन्न विभागों के विशेषज्ञ चिकित्सक शामिल होंगे।
अबतक ब्लैक फंगस के 27 मरीज
सिद्धार्थ त्रिपाठी ने रविवार को बताया कि राज्य में अबतक ब्लैक फंगस के 27 केस की रिपोर्टिंग हुई है। उनके अनुसार, इस बीमारी से कोई मौत की सूचना नहीं है। हालांकि राज्य में अबतक चार मरीजों की मौत हो चुकी है।
महामारी घोषित होने से यह होगा अनिवार्य
- सभी निजी एवं सरकारी अस्पतालों, नर्सिंग होम द्वारा ब्लैक फंगस से संबंधित जांच, इलाज एवं प्रबंधन के मामले में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा।
- यदि कोई भी संस्थान उक्त प्रावधानों का उल्लंघन करता है, तो ऐपिडमिक डिजीज एक्ट के प्रविधानों के तहत दंडनीय अपराध होगा।