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आशावान हेमंत सोरेन के ताबड़तोड़ फैसलों से झारखंडी युवाओं में बढ़ी उम्‍मीद

Jharkhand Budget News बजट में कृषि ऋण माफी के लिए अच्छी-खासी धनराशि का प्रावधान किया गया है। किसानों को समृद्ध बनाने के लिए सरकार ने खजाना खोल दिया है लेकिन उद्योग-धंधों और शहरों के मूलभूत ढांचे की बेहतरी के लिए जरूर कुछ कंजूसी दिख रही है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 12:57 PM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 01:04 PM (IST)
आशावान हेमंत सोरेन के ताबड़तोड़ फैसलों से झारखंडी युवाओं में बढ़ी उम्‍मीद
झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन। फाइल फोटो

रांची, [प्रदीप कुमार शुक्ला]। झारखंड सरकार की सोच बिल्कुल स्पष्ट है। जब तक विकास की किरण आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति तक नहीं पहुंच जाती है, तब तक न हम सशक्त बन सकते हैं ना ही समृद्ध। कोविड-19 महामारी के चुनौतीपूर्ण माहौल के बीच हेमंत सोरेन की गठबंधन सरकार के दूसरे बजट में यह स्पष्ट है कि गांव-गरीब, मजदूर और आदिवासी कल्याण सरकार की प्राथमिकता में सबसे ऊपर है। शिक्षा और स्वास्थ्य के बिना कोई समाज अथवा राज्य तरक्की नहीं कर सकता है।

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इसलिए सरकार का इस पर भी खूब फोकस है। हां, बजट में बड़ी-बड़ी योजनाओं के बजाए छोटी-छोटी महती जरूरतों पर ज्यादा ध्यान दिया गया है। उद्योग-धंधों और शहरों के मूलभूत ढांचे की बेहतरी के लिए जरूर कुछ कंजूसी दिख रही है, लेकिन अगर समग्रता में बात की जाए तो यदि सबसे कमजोर तबका मजबूत होगा तो अन्य क्षेत्रों में खुशहाली और विकास के रास्ते खुद-ब-खुद खुलते जाते हैं। पिछले बजट के ठीक बाद देश के साथ-साथ राज्य कोविड-19 महामारी की चपेट में आ गया था और आर्थिक से लेकर हर तरह की गतिविधियां लगभग ठप हो गई थीं।

राज्य की वित्तीय हालत बहुत खराब हो गई थी, फिर भी सरकार ने लाखों की संख्या में लौटे प्रवासी मजदूरों की देखभाल में कोई कोर-कसर नहीं रखी थी। प्रवासी मजदूरों की रोजी-रोटी चलती रहे, इसके लिए सरकार ने अपने सारे संसाधन झोंक दिए थे। अब जब एक बार परिस्थितियां सामान्य होती दिख रही हैं, नया बजट आशाओं से भरपूर है। कुछ क्षेत्र निराश हो सकते हैं, लेकिन बहुसंख्यक आबादी का आने वाले समय में जीवन बेहतर हो सकता है। पहली बार आउटकम बजट (परिणाम आधारित) पेश किया गया है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन काफी आशावान हैं। वह कहते हैं कि बजट से झारखंड आत्मनिर्भरता की तरफ तेजी से बढ़ेगा। बजट में कृषि ऋण माफी के लिए अच्छी-खासी धनराशि का प्रावधान किया गया है। किसानों को समृद्ध बनाने के लिए सरकार ने खजाना खोल दिया है। यदि देखा जाए तो सबसे ज्यादा खर्च कृषि और गांव के विकास पर ही होने वाला है। इसके बाद सरकार की नजर शिक्षा पर है। हेमंत सोरेन शपथ ग्रहण करने के बाद से ही यह कहते आ रहे हैं कि वह राज्य की शिक्षा व्यवस्था को देश में सबसे बेहतर बनाना चाहते हैं।

वह दिल्ली की शिक्षण पद्धति को नजीर मान उससे आगे जाने की बात कहते रहे हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य पर किया गया निवेश कई गुना रिटर्न देता है। इसलिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर सरकार बजट का लगभग 15 फीसद खर्च करने जा रही है। लीडर्स स्कूल के अलावा, 4639 विद्यालय को आदर्श विद्यालय, 80 उत्कृष्ट विद्यालय, 500 प्रारंभिक विद्यालय प्रेरक गुणवत्ता शिक्षा केंद्र में तब्दील करने की योजना आने वाले समय में शिक्षा व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन ला सकती है। बशर्ते इसे धरातल पर ठीक से उतारा जाए।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति को भी सरकार इस वित्तीय वर्ष में लागू करने की दिशा में आगे बढ़ने जा रही है। इसे भी एक सकारात्मक कदम माना जा सकता है। स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर भी बजट में चिंता झलकती है। सरकार का जोर नई निर्माण योजनाओं के बजाय मौजूदा ढांचे को दुरुस्त करने में दिख रहा है। यह अच्छी सोच है। कुपोषण और एनीमिया राज्य पर बदनुमा दाग की तरह हैं। पहली बार सरकार इससे निपटने को गंभीर दिख रही है और इसके लिए अच्छी-खासी धनराशि का प्रविधान किया गया है।

आदिवासी कल्याण की तमाम योजनाएं भी कमजोर तबके को मजबूती प्रदान करने वाली हैं। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक, पिछड़ा वर्ग तथा दिव्यांग युवाओं को स्वरोजगार के लिए सरकार 40 प्रतिशत अनुदान पर ऋण उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया है। इसी तरह 79 प्रखंडों में एकलव्य विद्यालय खोल आदिवासी बच्चों का जीवन संवारा जाएगा। कोई भूखा न सोए, इसके लिए पहले से ही चल रही मुख्यमंत्री दाल-भात केंद्रों से अतिरिक्त गुरुजी किचन योजना चलाई जाएगी। इसके तहत पांच रुपये में भोजन दिया जाएगा।

युवाओं को नौकरियों के लायक बनाने के लिए कौशल विकास पर सरकार का काफी जोर है। कौशल विद्या अकादमी की स्थापना होगी। छात्र-छात्राओं को रोजगार एवं प्रशिक्षण का अवसर प्रदान करने के लिए केंद्रीय प्लेसमेंट सेल का गठन होगा। मुख्यमंत्री प्रोत्साहन योजना (बेरोजगारी भत्ता) शुरू की जाएगी। मरंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना के तहत दस युवाओं को देश के बाहर उच्च शिक्षा मास्टर डिग्री या एमफिल के लिए आर्थिक सहायता दी जाएगी।

इस योजना काे बताते समय वित्त मंत्री डाॅ. रामेश्वर उरांव की पीड़ा भी जाहिर हो गई..। उद्योग-धंधों के बढ़ावा को लेकर बजट में उतनी चिंता नहीं दिखी, जितने की जरूरत थी। पर्यटन को लेकर जरूर सरकार आगे बढ़ी है। इसमें बड़ी संभावनाएं हैं और इससे राज्य में बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन हो सकता है। नई पर्यटन नीति में तमाम प्रावधान किए गए हैं जिससे इस क्षेत्र में निवेश को आकर्षित किया जा सके।

पर्यटन के अनुकूल माहौल बनाने की दिशा में भी तत्परता से कदम उठाने होंगे। कुल मिलाकर यह आशावादी बजट है। इसमें सभी के लिए कुछ न कुछ है। ढांचागत विकास पर सरकार थोड़ा खर्च और बढ़ाती तो विकास का पहिया और तेज गति से घूमता लेकिन विपरीत परिस्थितियों के बावजूद सरकार ने मध्य अथवा उच्च वर्ग पर नए कर का कोई बोझ नहीं डाला, यह भी कम काबिले-तारीफ नहीं है...।

[स्थानीय संपादक, झारखंड]


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