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Railway News: सुरक्षा से खिलवाड़ कर रहा रेलवे, मालगाड़ी चालकों को पैसेंजर ट्रेन से दे रहा ट्रेनिंग

Railway News रांची रेल मंडल रेलवे बोर्ड के आदेश का उल्लंघन कर रहा है। मालगाड़ी चलाने के लिए चालकों को पैसेंजर ट्रेन से ट्रेनिंग दी जा रही है। पिछले 2 महीने से मालगाड़ी के चालक को पैसेंजर ट्रेन से रोड लर्निंग के लिए भेजा जा रहा है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 14 Dec 2020 01:00 PM (IST)Updated: Mon, 14 Dec 2020 06:27 PM (IST)
Railway News: ट्रेनिंग को लेकर रेलवे बोर्ड का अलग-अलग गाइडलाइन है।

रांची, [शक्ति सिंह]। Railway News रांची रेल मंडल सुरक्षा मानकों से खिलवाड़ कर रहा है। मालगाड़ी के चालक (लोको पायलट) को पैसेंजर ट्रेन से रूट की ट्रेनिंग दी जा रही है। जबकि दोनों ट्रेनों के परिचालन में जमीन आसमान का फर्क है। चाहे स्पीड देना हो या ब्रेक लगाना हो, चढ़ाई हो या ढलान, दोनों के अलग-अलग मानक हैं। हैरत की बात तो यह है कि इस मामले में रांची रेल मंडल रेलवे बोर्ड के आदेशों की भी अनदेखी कर रहा है। ट्रेनिंग को लेकर रेलवे बोर्ड का अलग-अलग गाइडलाइन है।

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इसमें मुकम्मल तरीके से ट्रेनिंग की बात है। यानी मालगाड़ी चलाना हो तो उसी से रोड लर्निंग देना है। लेकिन रांची रेल मंडल ने उस आदेश को दरकिनार कर अपना आदेश जारी किया है। ड्राइवरों को मालगाड़ी चलाना है लेकिन रोड लर्निंग पैसेंजर ट्रेन से दिया जा रहा है। इस विसंगति भरे प्रशिक्षण के लिए रांची रेल मंडल हर सप्ताह दर्जनभर से अधिक लोको पायलट को पैसेंजर ट्रेन से ट्रेनिंग के लिए भेज रहा है।

भिन्न है दोनों ट्रेन का परिचालन

दरअसल दोनों ट्रेन के परिचालन में लोको पायलट को खास ध्यान रखना पड़ता है। क्योंकि दोनों ट्रेन का नेचर अलग-अलग है। मालगाड़ी में लोड अधिक रहता है, जबकि पैसेंजर ट्रेन में लोड कम रहता है। दोनों ट्रेन में ब्रेक का इस्तेमाल करने का तरीका अलग-अलग है। पैसेंजर ट्रेन का ब्रेक सिग्नल के करीब लिया जाता है। लेकिन मालगाड़ी में लोड अधिक होने पर लोको पायलट काफी पहले से ब्रेक का इस्तेमाल शुरू कर देते हैं। दोनों ट्रेन के चाल की गति में अंतर रहता है। मालगाड़ी अमूमन 50 से 70 किलोमीटर प्रति घंटे के बीच पटरी पर दौड़ती है।

जबकि पैसेंजर ट्रेन की गति 100 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक रहती है। वहीं, लोको पायलट भी इस रोड लर्निंग से संतुष्ट नही हैं। क्योंकि ऐसी व्यवस्था के बीच ट्रेन का परिचालन करना दुर्घटना को दावत देने के समान है। मालगाड़ी की अपेक्षा पैसेंजर ट्रेन का ब्रेक ज्यादा बेहतर रहता है। ग्रेडियंट में कितना पावर इंजन को कब और कहां देना है, इसकी जानकारी ठीक ढंग से नहीं होने पर व्हील स्लिप यानी पटरी को नुकसान पहुंच सकता है या फिर ऊंची जगह पर ट्रेन चढ़ाई नहीं कर पाएगी। इसके लिए अलग से अतिरिक्त बैंक (इंजन) बुलाना होगा।

30 के करीब लोको पायलटों को दिया गया ट्रेनिंग

पिछले 2 महीने में 30 से अधिक लोको पायलटों को रोड लर्निंग के लिए भेजा जा चुका है। यह सिलसिला अब भी जारी है। रेलवे द्वारा ऐसा करने का मकसद यही है कि लोको पायलट पैसेंजर ट्रेन से अपने गंतव्य स्थल पर जल्दी जाकर ड्यूटी के लिए वापस जल्दी आ जाएंगे। इसी मंशा से उन्हें एक्सप्रेस ट्रेन से रोड लर्निंग पर भेजा जा रहा है।

कई मालगाड़ी के चालक हो चुके हैं निलंबित

कई मालगाड़ी के चालक को रोड लर्निंग की जानकारी होने के बाद भी चढ़ाई पर ट्रेन को नहीं चढ़ा पाते हैं। कई बार ये ड्राइवर टाटी और गौतमधारा सेक्शन की चढ़ाई पर ट्रेन को चढ़ा नहीं पाएं हैं। लोको पायलट द्वारा जबरन ट्रेन को चढ़ाने पर पटरी को नुकसान पहुंचता है। इन्हीं परेशानियों से लोको पायलट को दो-चार होना पड़ रहा है।

पहले नहीं होता था ऐसा

पुरानी व्यवस्था के तहत पहले मालगाड़ी के ड्राइवर को मालगाड़ी से ही प्रशिक्षण देने के लिए भेजा जाता था। लेकिन बीते 2 महीनों से यह नई व्यवस्था लागू की गई है। इसे रांची रेल मंडल अपने तरीके से सही ठहराने में लगा हुआ है।

'यह कहना सही नहीं होगा। रोड लर्निंग के दौरान सभी मानकों का ख्याल रखा जाता है। इसमें किसी भी ट्रेन से रोड लर्निंग के लिए लोको पायलट को भेजा जा सकता है। इसमें किसी भी तरह की बाध्यता नहीं है।' -नीरज कुमार, सीपीआरओ, रांची रेल मंडल।


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