Move to Jagran APP

झारखंड में विकास योजनाओं के 21 हजार करोड़ रुपये सरेंडर

Jharkhand Government. राज्य गठन के बाद पहली बार इतनी बड़ी राशि हुई सरेंडर। वित्तीय वर्ष के अंतिम माह में कोरोना का व्यय पर दिखा स्पष्ट असर।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 01 Apr 2020 11:31 AM (IST)Updated: Wed, 01 Apr 2020 11:31 AM (IST)
झारखंड में विकास योजनाओं के 21 हजार करोड़ रुपये सरेंडर
झारखंड में विकास योजनाओं के 21 हजार करोड़ रुपये सरेंडर

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड में एक वर्ष में दो-दो चुनाव (लोकसभा और विधानसभा चुनाव) और साल की अंतिम तिमाही में कोरोना का लॉकडाउन। जाहिर है वित्तीय लेखे-जोखे के परिणाम पर इसका असर दिखना ही था और यह दिखा भी। पांच माह प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से कामकाज तकरीबन थमा रहा और विकास योजनाओं की बड़ी राशि व्यय के अभाव में सरेंडर करनी पड़ी। मंगलवार शाम तक की रिपोर्ट को आधार बनाया जाए तो करीब 21 हजार करोड़ की राशि सरेंडर होने का अनुमान है।

loksabha election banner

झारखंड गठन के बाद पहली बार इतनी बड़ी राशि सरेंडर की गई है। सरेंडर की जाने वाली राशि का आंकड़ा कुछ कम भी हो सकता था यदि कोरोना के कारण लॉक डाउन स्थिति न बनती। हालांकि, राशि खर्च न होने का व्यवहारिक पहलू यह है कि सरकार के पास विभिन्न स्रोतों (केंद्र व राज्य के अपने स्रोत) से अपेक्षाकृत राशि जुटी ही नहीं तो खर्च कहां से होती। राज्य सरकार का साफ्टवेयर व्यय राशि को कुल बजट की राशि से घटा देता है, जिसे तकनीकी भाषा में कहा जाता है कि यह राशि सरेंडर हो गई।

बताते चलें कि वित्तीय वर्ष 2019-20 का मूल बजट 85429 करोड़ का था। अनुपूरक बजट की राशि को भी इसमें समाहित कर लें तो इसका आकार करीब 86027 करोड़ हो जाता है। इसमें योजना मद के लिए 52283 करोड़ का प्रावधान किया गया था। 31 मार्च शाम तक की रिपोर्ट के अनुसार व्यय 64-65 हजार करोड़ के बीच रहा। हालांकि वित्त विभाग को स्पष्ट आंकड़े जुटने में कुछ दिन का वक्त लग सकता है लेकिन यह तय है कि यदि इसमें सुधार भी हुआ तो आंकड़ा बहुत हद तक एक हजार करोड़ और ऊपर जाएगा।

ऐसी स्थिति में हम यह मानकर चल सकते हैं कि 20-21 हजार करोड़ रुपये सरेंडर हुए हैं। यहां यह भी बता दें कि फरवरी तक खर्च 56000 करोड़ के करीब था। कोरोना का व्यापक असर ट्रेजरी भुगतान पर पड़ा है। कोरोना के कारण अधिकतर सरकारी कार्यालय बंद हैं। सचिवालय और समाहरणालयों में बंद के बाद कामचलाऊ व्यवस्था के तहत ही काम हो रहा है।

पीएल एकाउंट में राशि डालने को लेकर सख्त रहा सरकार का रवैया

विकास योजनाओं की राशि तय समय पर खर्च न होने की स्थिति में आम तौर पर सरकार द्वारा लचीला रुख अपनाया जाता था। विभागों के स्तर से खजाने से पैसे निकाल कर उन्हें बैंक खातों या पीएल एकाउंट में जमा कर दिया जाता है। वित्तीय वर्ष समाप्ति के बाद भी कुछ समय तक इस राशि का उपयोग किया जाता है। लेकिन इस बार सरकार का रुख सख्त रहा। वित्त विभाग की ओर से कुछ दिन पहले स्पष्ट कर दिया गया था कि अति विशेष स्थिति में ही राशि को पीएल एकाउंट या बैंक खातों में रखा जाए। अनावश्यक राशि ऐसे एकाउंट में रखने से पूरी प्रक्रिया प्रभावित होती है।

खजाने की हालत रही खस्ता

वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर व्यय के अभाव में बड़ी राशि का सरेंडर होना तकनीकी पहलू है। व्यवहारिक पहलू यह है कि सरकार के तमाम संसाधनों से राजस्व प्राप्तियों का जो अनुमान लगाया गया था, वह राशि प्राप्त ही नहीं हुई। खजाने की हालत पूरे साल खस्ता रही, जब राशि आई ही नहीं तो खर्च कैसे होती। राज्य के अपने संसाधनों से आने वाला राजस्व लक्ष्य के समीप नहीं पहुंच सका।

केंद्रीय हिस्सेदारी, गैर कर राजस्व से भी जो राशि मिलनी थी वह नहीं मिल सकी। हां, भारत सरकार से मिलने वाला ग्रांट समय से मिल गया, जो राशि करीब 14,699 करोड़ रही। खजाने के खस्ता हाल को राज्य सरकार ने स्वीकार करते हुए विधानसभा के बजट सत्र में श्वेत पत्र भी पेश किया था। जिसमें यह भी स्पष्ट किया गया था कि 85,429 करोड़ की प्राप्तियों के सापेक्ष जनवरी तक 55,867 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए हैं जो कि लक्ष्य का महज 62.23 फीसद था।

मुख्यमंत्री बाइक एंबुलेंस सहित कई योजनाएं अधर में लटकी

राज्य सरकार की कई बड़ी योजनाएं शुरू नहीं हो सकीं हैं। वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट में इसके लिए प्रावधान किए गए थे, लेकिन योजनाएं शुरू नहीं हो पाने के कारण राशि खर्च नहीं हो पाई। इनमें से कुछ योजनाओं की राशि जहां पहले ही सरेंडर कर दी गई थी, वहीं कुछ योजनाओं की राशि मंगलवार को सरेंडर हो गई। जो योजनाएं शुरू नहीं हो सकीं उनमें मुख्यमंत्री बाइक एंबुलेंस योजना भी शामिल है।

इसके लिए 5 करोड़ रुपये के प्रावधान किए गए थे। इसी तरह होम्योपैथ को टेलीमेडिसिन से जोडऩे की योजना भी शुरू नहीं हो सकी। इसके लिए 20 करोड़ रुपये के प्रावधान किए गए थे। वहीं निजी क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए प्रोत्साहन राशि देने की भी योजना शुरू नहीं हुई। इसके लिए भी 20 करोड़ रुपये के प्रावधान किए गए थे।

कोरोना राहत को हर जिले में हुई 50-50 लाख की निकासी

कोरोना को लेकर राहत कार्य चलाने के लिए राज्य के सभी जिलों में अंतिम दिन जिला कोषागार से 50-50 लाख रुपये की निकासी हुई। राज्य के 24 जिलों में इस मद में 12 करोड़ रुपये निकाले गए।

अंतिम दिन कहां कितनी निकासी

गोड्डा में 8.83 करोड़, कोडरमा में सात करोड़, सिमडेगा में 16.47 करोड़, बोकारो में 7.60 करोड़, चाईबासा में 7.25 करोड़, हजारीबाग में 12 करोड़, चतरा में 5.79 करोड़, पाकुड़ में 3.79, गढ़वा में 13.6, जबकि पलामू में 11 करोड़ रुपये की निकासी हुई। इससे इतर साहिबगंज में 12 करोड़ रुपये सरेंडर किए गए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.