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किसानों को शारीरिक दूरी के साथ खेती सिखा रहा बीएयू

कोरोना की वजह से लॉकडाउन में सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 02:22 AM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 06:21 AM (IST)
किसानों को शारीरिक दूरी के साथ खेती सिखा रहा बीएयू

जागरण संवाददाता, राची : कोरोना की वजह से लॉकडाउन में सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को उठाना पड़ा है। खेती में उत्पाद के बर्बाद होने से लेकर बाजार में सही भाव न मिलने की दोहरी मार किसानों को झेलनी पड़ी है। ऐसे में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) द्वारा किसानों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए वृहद स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) और कृषि विभाग द्वारा किसानों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए विभिन्न तरीके बताए जा रहे हैं। इसके साथ ही कृषि कार्य में ज्यादा से ज्यादा मशीनों के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है।

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किसानों को कर रहे जागरूक :

बीएयू के डीन एग्रीकल्चर डॉ. एमएस यादव ने बताया कि फसल की कटाई पूरे राज्य में पूरी हो चुकी है। इसके बाद गरमा फसल की देखरेख में लगे हुए हैं। ऐसे में गाव में विभिन्न माध्यमों से उन्हें शिक्षित किया जा रहा है। जैसे कई बार किसान पैसा मिला कर चारा काटने की मशीन खरीदते हैं, जिसका इस्तेमाल कई लोग मिलकर करते हैं। ऐसे में किसानों को बता रहे हैं कि हस्त चालित कृषि उपकरणों के उपयोग में जितनी बार उसका उपयोग करें, उतनी बार हाथों को धोएं। खेत में निकाई-गुड़ाई का काम करते हुए शारीरिक दूरी पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। खेतों में काम करते वक्त एवं खाना खाने के समय दो व्यक्तियों के बीच की कम से कम पांच मीटर की दूरी रखनी चाहिए। खाने-पीने का बर्तन बिल्कुल अलग-अलग रखें, उन्हें साबुन के पानी से अच्छी तरह धोकर ही उपयोग में लाएं। कृषि कार्य के समय खेतों में पर्याप्त मात्रा में पीने का पानी और साबुन के पानी की व्यवस्था रखें। खेत में काम करते हुए एक व्यक्ति द्वारा उपयोग में लाया जाने वाला उपकरण का दूसरा व्यक्ति प्रयोग नहीं करे। कृषि कार्य से जुड़े व्यक्ति अपना अलग-अलग कृषि उपकरण रखें।

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मशीन का करें इस्तेमाल :

कृषि अभियांत्रिकी के विभागाध्यक्ष डीके रूसिया ने बताया कि खेतों में कम लोग काम करेंगे, तो संक्रमण का खतरा भी कम होगा। इसके साथ ही किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी। खेत में जब ज्यादा मानव काम करेंगे, तो उससे फसल की लागत बढ़ती है। जबकि, मशीन से सुरक्षित तरीके से किसान अपना काम कम समय में कर सकता है। ऐसे में अब सबसे पहला सवाल आता है कि मंदी की मार झेल रहे किसान नई तकनीकों वाली मशीन कैसे ले सकते हैं? इसके लिए कृषि विभाग के द्वारा 70-80 फीसद तक किसानों को मशीनों की खरीद पर सरकार की तरफ से सब्सिडी दी जा रही है।

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कुछ मशीन जिनका इस्तेमाल खेती के लिए कर सकते हैं

जीरो टिलेज : इस मशीन की खासियत है कि किसान बिना पूरे खेत की जुताई किए गेंहू समेत अन्य फसलों की बुवाई कर सकते हैं। इस मशीन में लागत भी कम लगती है। इससे एक फसल कट जाने के बाद सीधे दूसरे फसल की बुआई की जाती है।

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डिस्क हैरो : इसका उपयोग बगीचों और पेड़ों के बीच करना अच्छा माना जाता है। इससे खेत की तैयारी में लगभग 40 फीसद तक लागत कम लगती है। फसल की पैदावार बढ़ती है। अगर खेत में पेड़ हो बगीचे में कोई फसल लगा रहे हैं तो इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

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रोटावेटर : इस कृषि यंत्र से शुष्क और नमीयुक्त भूमि को तैयार किया जाता है। इस यंत्र के उपयोग से खेत की मिट्टी में हरी खाद और भूसा अच्छी तरह मिलाया जाता है। इस तरह मिट्टी भुरभुरी हो जाती है। इस यंत्र द्वारा खेती में लगने वाली लागत को 60 फीसद तक कम किया जा सकता है। इससे फसल की पैदावार अच्छी होती है।

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धान ड्रम सीडर : इस यंत्र की मदद से धान के खेत में पहले से जमा बीजों को लेवा बनाकर खेत में बोया जाता है। इससे कम से कम 20 फीसद बीज की बचत होती है। इस तरह फसल की बुवाई अच्छी तरह हो जाती है, जो कि फसल की पैदावार और गुणवत्ता को बढ़ाता है। बाद में फसल काटने वक्त भी आसानी होती है।

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पावर ट्रिलर : किसानों के लिए बेहद उपयोगी मशीन है। राज्य में छोटे किसानों की संख्या काफी ज्यादा है। इसके साथ ही खेती की जमीन भी टेरेंस की तरह है। ऐसे में इस मशीन से खेती की जुताई करना बैलों की तुलना में काफी आसान हो जाता है। इस मशीन पर सरकार की तरफ से 90 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जा रही है।


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