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किसानों की तकदीर बदल सकती है गुलाब

झारखंड राज्य जहा सिर्फ अपने खनिज संपदा के लिए जाना जाता था मगर अब गुलाब के फूल से भी अच्छी कमाई हो सकती है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 01:38 AM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 01:38 AM (IST)
किसानों की तकदीर बदल सकती है गुलाब
किसानों की तकदीर बदल सकती है गुलाब

जागरण संवाददाता, राची : झारखंड राज्य जहा सिर्फ अपने खनिज संपदा के लिए जाना जाता था, मगर अब गुलाब की खेती के लिए भी जाना जाने लगा है। राची जिले की मिट्टी गुलाब की खेती के बेहद उपयुक्त है। यहा से गुलाब के फूलों की सप्लाई पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और ओडिशा में होती है। राज्य में फूलों का बड़ा कारोबार है। ये फूल केवल सुंदरता ही नहीं बढ़ाते बल्कि राज्य के किसानों की आय बढ़ाने का एक बढि़या संसाधन हैं। फर्न एंड पेटल जैसी कई बड़ी कंपनिया हैं जो किसानों से सीधे गुणवत्ता के आधार फूलों की खरीद कर लेतीं है। इसके अलावे कई छोटी कंपनिया गुलदस्ता और सजावट के लिए इसे थोक भाव में मंडी से खरीदती हैं।

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गुलाब के फूल एक बार पौधा लगाने के बाद से 7-10 सालों तक लगातार हर सीजन में फूल देते हैं। राज्य सरकार के द्वारा भी किसानों के बीच गुलाब की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। ऐसे में राची के किसानों और बाहर ये आ रहे प्रवासी मजदूरों को हम इससे जोड़कर रोजगार का एक बड़ा द्वार खोल सकते हैं।

गुलाब की खेती के लिए उपयुक्त है राची का तापमान::

गुलाब की खेती के लिए राची का तापमान और जलवायु काफी उपयुक्त है। अच्छे किस्म के गुलाब के पौधों के लिए औसत तापमान करीब 25 से 30 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान 12 से 14 डिग्री सेल्सियस उत्तम रहता है। वहीं इसके लिए मिट्टी पहाड़ी होनी चाहिए जिसमें ह्यूमस प्रचुर मात्रा हो। इसके अलावा दोमट, बलुआर दोमट या फिर मटियार दोमट मिट्टी भी गुलाब की खेती के लिए उपयुक्त मानी गई है। मिट्टी का पीएच 5.3 से 6.5 के बीच होना चाहिए। गुलाब के पौधों को खिलने के वक्त हल्की और गुनगुणी धूप की जरूरत होती है। राची के लिए उपयुक्त गुलाब के पौधे::

हाईब्रिड टीज वर्ग :: डॉ. होमी भाभा, चितवन, भीम, चित्रलेखा, चंद्बंदीकली, गुलजार, मिलिंद, मृणालिनी, रक्तगंधा, सोमा, सुरभि, नूरजहा, मदहोश, डा. बैंजमन पाल

फ्लोरीबंडा वर्ग :: दिल्ली, प्रिन्सिस, बंजारन, करिश्मा, चंद्रमा, चित्तचोर, दीपिका, कविता, जन्तार्मंतर, सदाबहार, लहर, सूर्यकिरण, समर, बहिश्त, आइसबर्ग, शबनम

ग्रेंडीफ्लोरा :: गोल्ड स्पॉट, माटेजुआ, क्वीन एलिजाबेथ

मिनिएचर वर्ग :: बेबी डाìलग, बेबी गोल्ड, स्टार, ग्रीन इसे, ब्यूटी सीकृत, ईस्टर माìनग, संड्रीलो

क्लैंग्बिंग एंड रैंबलिंग रोज वर्ग :: मार्शल नील, दिल्ली वाइट पर्ल, गोल्डन शावर, कॉकटेल, रायल गोल्ड, एलवटाइन, एक्सेलसा, डोराथी पाìकस गुलाब के लिए उत्तम है गोबर खाद

उत्तम कोटि के गुलाब के फूलों की पैदावार लेने के लिए कटाई के बाद प्रति पौधा 10 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद मिट्टी में मिलाकर सिंचाई करनी चाहिए। खाद देने के एक सप्ताह बाद जब नई कोपल फूटने लगे तो 200 ग्राम नीम की खली 100 ग्राम हड्डी का चूरा तथा रासायनिक खाद का मिश्रण 50 ग्राम प्रति पौधा देना चाहिए।

--------------------- क्या कहते हैं एक्सपर्ट------------------------

बिरसा कृषि विश्वविद्याल के उद्यान विभाग की पुष्प विशेषज्ञ डॉ पूनम होरो बताती हैं कि राची की मिट्टी और मौसम में प्राकृतिक रूप में वो सारी खूबिया है जो गुलाब की खेती के लिए जरूरी है। पिठोरिया, ओरमाझी और तुपुदाना के कई किसान गुलाब की खेती से अच्छी आमदनी कर रहे हैं। हमारे यहा उपजने वाले 100 से ज्यादा किस्म के गुलाब के फूलों की देश के कोने-कोने में माग है। हमारे यहा उपजने वाले लाल गुलाब की खासियत है कि बेंगलुरु में उपजने वाले गुलाब की तहत यह भी काफी लंबे समय तक फ्रेश रह सकते हैं।

क्या कहते हैं प्रवासी मजदूर----------------------------

अपने घर पर काम नहीं मिला इसलिए दूसरे राज्य में काम की तलाश में गये थे। मगर अब हिम्मत नहीं है फिर से जाने की।

पवन मुंडा, अगरवा धमधमिया, खलारी

दूसरे राज्य में फैक्ट्री में काम करती थी। खाने तक के पैसे नहीं बचे थे। अपने यहा सरकार की मदद करें तो यहीं किसी फैक्ट्री काम कर लगेंगे।

बलमति देवी, अगरवा धमधमिया, खलारी

दूसरे राज्य में जाकर कोई मजदूर काम नहीं करना चाहता है। वहा उसे जो काम मिलता है वो अगर यहीं मिले तो कोई बाहर नहीं जायेगा।

सोनू मुंडा, अंबाटोंगरी

अब जीवन में कभी दूर देश जाने की हिम्मत नहीं होती। जो होगा अब अपने घर पर ही काम करेंगे।

अनिल उराव, अंबाटोंगरी


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