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मजदूर दिवस पर रिलीज होगी आदिवासियों के संघर्ष पर बनी स्प्रिंग थंडर

रांची लह लह ईंट बनाने वाले भट्ठी को सुलगाने वाले खड़ी धूप के नीचे अक्सर

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Feb 2020 10:28 PM (IST)Updated: Wed, 19 Feb 2020 10:28 PM (IST)
मजदूर दिवस पर रिलीज होगी आदिवासियों के संघर्ष पर बनी स्प्रिंग थंडर

जागरण संवाददाता, रांची : लह लह ईंट बनाने वाले, भट्ठी को सुलगाने वाले, खड़ी धूप के नीचे अक्सर, सूखे चने चबाने वाले दिखते हैं कमजोर मगर, तुम जोर से इनसे मत भिड़ना.. बोल का जोशीला गीत इन दिनों लोगों की जुबान पर चढ़ रहा है। यह गीत श्रीराम डाल्टन की फिल्म स्प्रिंग थंडर का है। इसे उन्होंने सात साल की मेहनत से बनाया है।

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पलामू में जन्मे श्रीराम बीएचयू से फाइन आर्ट्स में स्नातक कर चुके हैं। पहली फिल्म के रूप में यह सुभाष घई की फिल्म किसना में काम कर चुके हैं। वे अब तक 20 डॉक्यूमेंट्री भी बना चुके हैं। आने वाले वक्त में वे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद तथा झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन को केंद्र में रखकर फिल्म बनाने जा रहे हैं। आदिवासियों तथा माफिया के संघर्ष पर बनी फिल्म

स्प्रिंग थंडर के बारे में श्रीराम कहते हैं कि यह फिल्म आदिवासियों तथा माफिया के बीच के संघर्ष पर बनी है। इसमें विस्थापन तथा खनिज संसाधनों के लूट को मुद्दा बनाया है। इस फिल्म के मूल केंद्र में यूरेनियम खनन के माफिया के विरुद्ध मूल निवासियों के संघर्ष को दिखाया गया है। उन्होंने इस फिल्म को 2014 में बनाना शुरू किया। चूंकि फिल्म का प्लॉट काफी बड़ा था, उनके पास संसाधन नहीं थे इसलिए वक्त को ही संसाधन बना लिया। उन्होंने चारों मौसम को पकड़ा और फिल्म की शूटिंग शुरू कर दी। इस दौरान उन्हें लगा कि वे जल, जंगल और जमीन के मुद्दे को ठीक से समझ नहीं पाए हैं। इसके बाद उन्होंने फिल्म को तीन हिस्सों में बांटा और तीन साल में फिल्म पूरी की। पहले साल जल, दूसरा जंगल तथा तीसरा साल इन्होंने जमीन को केंद्र में रखकर पूरा किया। 2014 में मिल चुका है नेशनल अवार्ड

अब तक लगभग 20 फिल्म बना चुके श्रीराम को उनकी शॉर्ट फिल्म द लॉस्ट बहरूपिया के लिए 2014 में नेशनल अवार्ड मिल चुका है। इससे पूर्व वह नवाजुद्दीन सिद्दीकी के साथ ओप स्टॉप स्मेलिंग योर शॉक्स को लेकर फिल्मी दुनिया में चर्चा में आए थे। वह बताते हैं कि नवाज के साथ उन्होंने यह फिल्म तब की थी जब वह मशहूर नहीं हुए थे। उस दौर में यह फिल्म समीक्षकों के बीच सराही गई थी। उनकी इस शॉर्ट फिल्म को 2.6 मिलियन लोग देख चुके हैं।

फिलहाल श्रीराम डाल्टन अपनी फिल्म स्प्रिंग थंडर के लिए चर्चा में हैं। इस फिल्म की सारी शूटिंग झारखंड के ही आदिवासी इलाके में की गई है। इसके लिए 2018 में कैलिफोर्निया के बासा फिल्म फेस्टिवल में श्रीराम डाल्टन को सर्वश्रेष्ठ डायरेक्टर के अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। जून में स्प्रिंग थंडर की स्क्रिनिंग लंदन इंडियन फिल्म फेस्टिवल में होने जा रहा है। ऑस्ट्रेलियाई एक्ट्रेस अमाडा ब्लूम

भी हैं फिल्म में

फिल्म में आकाश खुराना, अरशद खान, सुधीर संकल्प, रवि शाह और ऑस्ट्रेलियाई एक्ट्रेस अमाडा ब्लूम के अलावा स्थानीय कलाकारों ने अभिनय किया है। यह फिल्म प्रकृति के असंतुलन के प्रभाव को बड़े विस्तार से दिखाती है। वह बताते हैं कि इस फिल्म को बनाने के लिए उन्होंने झारखंड के 240 गांव के लोगों की मदद ली। इस फिल्म में 3 लाख लोगों के साथ काम किया है। कुछ लोगों ने अपने घरों से मुर्गा तक लाकर लोगों को फिल्म बनाने में मदद की। चार-पांच प्रोफेशनल लोगों को छोड़ दें तो इस फिल्म में किसान, शिक्षक, मैकेनिक के साथ-साथ ऐसे लोग इस फिल्म में हैं जिन्होंने कभी बिजली नहीं देखी। जब फिल्म में आप उनका अभिनय देखेंगे तो यकीनन हैरान रह जाएंगे क्योंकि जिस चीज पर यह कहानी है उंसे उन लोगों ने हकीकत में जिया है।


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