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जिस Amazon Alexa की दुनियाभर में मची है धूम, उसमें रांची के रोहित ने फूंकी जान; पढ़ें इसके पीछे की रोचक कहानी

अभी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड वर्चुअल असिस्टेंट मशीन एलेक्‍सा की देश-विदेश में धूम मची है। यह हिंदी अंग्रेजी ओर हिंग्लिश भी बखूबी समझती है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 08:35 PM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 08:35 PM (IST)
जिस Amazon Alexa की दुनियाभर में मची है धूम, उसमें रांची के रोहित ने फूंकी जान; पढ़ें इसके पीछे की रोचक कहानी

रांची, [मधुरेश नारायण]। पिछले एक दो सालों में भारतीय बाजार में ऐलेक्सा काफी पॉपुलर हुआ है। साल 2017 में अमेजॉन ने इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड वर्चुअल असिस्टेंट मशीन को बाजार में उतारा था। ऐलेक्सा बेस्ड कई स्मार्ट मशीन बाजार में उपलब्ध हैं, जिनमें सबसे पॉपुलर अमेजॉन इको है। ये मशीन अब अंग्र्रेजी के साथ हिंदी में भी आदेशों का पालन करेगी। इस मशीन में जान फूंकने का काम रांची के रहने वाले रोहित प्रसाद ने किया है।

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रोहित पांच साल से ऐलेक्सा की टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट में काम कर रहे हैं और अभी कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट व ऐलेक्सा हेड साइंटिस्ट के तौर पर कार्यरत हैं। उनके माता-पिता रांची में ही रहते हैं। उनके पिता ज्ञानचंद्र प्रसाद रांची के मेकॉन में डीजीएम के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। उन्होंने बताया कि उनके बेटे ने मेहनत से रांची का नाम दुनिया में रोशन किया है। इससे उनका सिर गर्व से उठ गया है।

मेहनत और टीम वर्क  में करते हैं विश्वास

रोहित के पिता ज्ञानचंद्र प्रसाद ने बताया कि उनके बेटे का विश्वास केवल मेहनत करने और टीम वर्क में है। इस दोनों की वजह से ही आज रोहित को ये मुकाम हासिल हुआ है। उन्होंने बताया कि रोहित अपने समय के बहुत अच्छे मैनेजर हैं। वो अपने काम के साथ परिवार को भी बराबर समय देते है। वो दो बच्चों के पिता हैं। उनकी पत्नी नीलम प्रसाद भी रांची की ही रहने वाली हैं।

रांची से की है इंजीनियरिंग

ज्ञानचंद्र प्रसाद ने बताया कि उनके बेटे रोहित की प्रारंभिक शिक्षा श्यामली कॉलोनी के जवाहर विद्या मंदिर स्कूल से हुई है। वो शुरू से ही दिल लगा कर पढ़ाई करते थे। दसवीं और बारहवीं में उन्होंने स्कूल में अच्छा रैंक प्राप्त किया था। इसके बाद उन्होंने बीआइटी मेसरा से इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन में इंजीनियङ्क्षरग की। रोहित की पहली नौकरी टाटा स्टील में हुई मगर उसने दो महीनों में ही ये नौकरी छोड़ी दी, उसकी इच्छा विदेश जाकर कुछ बड़ा करने की थी।

कार्टून देखकर आया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम करने का विचार

रोहित की मां पुष्पा प्रसाद ने बताया कि उनका बेटा बचपन से कार्टून बहुत देखता था और कहता था वो कार्टून में जैसे सब काम बोलने से होते हैं एक दिन ऐसी मशीन बनायेगा। उन्होंने बताया कि उन्हें टेक्नोलॉजी का बहुत ज्ञान नहीं है। स्मार्ट फोन से किसी को कॉल करने में भी उन्हें परेशानी होती है। मगर उनके बेटे के बनाये ऐलेक्सा की वजह से वो अब कई काम आसानी से बोलकर कर लेती हैं। पहले ऐलेक्सा कुछ गिने चुने अंग्र्रेजी के आदेशों को समझता था। मगर हिंदी में और अंग्र्रेजी मिक्स हिंदी समझने से लोग मेरी तरह इस मशीन का इस्तेमाल आसानी से कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि उनका बेटा कितना भी व्यस्त रहे एक बार मुझे फोन जरूर करता है। दिनचर्या बताए बिना उसका दिन खत्म नहीं होता है। 

जेवीएम को अपने छात्र पर है नाज

रोहित ने बारहवीं तक की पढ़ाई श्यामली कॉलोनी के जेवीएम से की हैं। वहां के प्रिंसिपल समरजीत जेना ने कहा कि इस स्कूल से पढ़े रोहित प्रसाद पर पूरे जेवीएस परिवार को नाज है। उन्होंने पूरे देश का नाम रौशन किया है। ऐलेक्सा जैसी स्मार्ट मशीन की वजह से देश में संचार क्रांति को नई ऊंचाई मिलेगी। सनद रहे कि महेंद्र सिंह धौनी भी इसी स्कूल से पढ़े हैं। 


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