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जानिए, आखिर विधानसभा के विशेष सत्र से क्‍यों नदारद रहा झामुमो; और बढ़ी सत्ता पक्ष-विपक्ष की तल्‍खी

हेमंत सोरेन की पार्टी झामुमो ने नए विधानसभा भवन में बुलाए गए विशेष सत्र का बहिष्कार किया। चतुर्थ विधानसभा का विशेषसत्र भी सत्ता पक्ष और विपक्ष की टकराहट से दूर नहीं रह सका।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sat, 14 Sep 2019 08:28 AM (IST)Updated: Sat, 14 Sep 2019 05:45 PM (IST)
जानिए, आखिर विधानसभा के विशेष सत्र से क्‍यों नदारद रहा झामुमो; और बढ़ी सत्ता पक्ष-विपक्ष की तल्‍खी
जानिए, आखिर विधानसभा के विशेष सत्र से क्‍यों नदारद रहा झामुमो; और बढ़ी सत्ता पक्ष-विपक्ष की तल्‍खी

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड विधानसभा के नवनिर्मित भवन में आहूत चतुर्थ विधानसभा का विशेषसत्र भी सत्ता पक्ष और विपक्ष की टकराहट से दूर नहीं रह सका। विशेषसत्र में नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन और झामुमो के विधायक शामिल नहीं हुए। हां, जय प्रकाश भाई पटेल जरूर मुख्य विपक्षी दल की दीर्घा में बैठे दिखाई दिए। पटेल झामुमो से निष्कासित किए जा चुके हैं। हालांकि, कांग्रेस, झाविमो, मासस, माले और अन्य छोटे दलों के विधायकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। नेता प्रतिपक्ष और झामुमो विधायकों की अनुपस्थिति सभी को अखरी। सदस्यों ने अपने संबोधन के क्रम में इसका जिक्र भी किया।

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संसदीय कार्यमंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष रहते तो अच्छा रहता, लोगों में अच्छा संदेश जाता। उन्होंने तंज भी कसा। कहा, हर चीज को राजनीतिक नजरिए से नहीं देखना चाहिए। यह सदन किसी एक का नहीं है। झारखंड में रहने वाले एक-एक व्यक्ति का है। उन्होंने सदन में यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने नेता प्रतिपक्ष को आमंत्रित करने के लिए कई बार उनसे संपर्क स्थापित किया। उनके पीए से दो-दो बार बात की। लेकिन उनका फोन नहीं आया। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी अपने संबोधन के क्रम में नेता प्रतिपक्ष को आमंत्रित करने के बाबत संसदीय कार्यमंत्री के स्तर से किए गए प्रयासों से सदन को अवगत कराया। कहा, सबको सरकार ने आमंत्रित किया।

संसदीय कार्यमंत्री ने नेता प्रतिपक्ष से दो-दो बार बात करने की कोशिश की

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजनीति में प्रतिस्पद्र्धा-प्रतिद्वंदिता होती है। लेकिन झारखंड की सवा तीन करोड़ जनता की आस्था के प्रतीक लोकतंत्र के इस मंदिर से प्रतिस्पद्र्धा नहीं होनी चाहिए। संसदीय कार्यमंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने दो-दो बार नेता प्रतिपक्ष से बात करने की कोशिश की। उनके पीए ने बात कराने का आश्वासन भी दिया। ताकि बात होने पर वे मिल कर उन्हें निमंत्रित करते। लेकिन बात नहीं करायी गई। इस कारण उन्हें निमंत्रण कार्ड के माध्यम से ही आमंत्रित किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब सदन के सदस्य से ऐसे व्यवहार की अपेक्षा नहीं होनी चाहिए।


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