कांग्रेसी पूछ रहे सवाल, राहुल गांधी ने दिया इस्तीफा-अजय कब देंगे; कांग्रेस में बढ़ी किचकिच
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का इस्तीफा स्वीकार हो जाने के बाद झारखंड के कांग्रेसी अब प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार के इस्तीफे को लेकर टकटकी लगाए हुए हैं।
रांची, राज्य ब्यूरो। राहुल गांधी की अगुआई में लोकसभा चुनाव में भाजपा के हाथों बुरी तरह मात खाने वाली कांग्रेस पार्टी में अंदरुनी कलह चरम पर है। नेता-कार्यकर्ता में किचकिच का आलम यह है कि कोई एक-दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहा रहा। चुनावों में मिली करारी हार के बाद से जहां कांग्रेस पार्टी में इस्तीफों का दौर जारी है। वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का इस्तीफा स्वीकार हो जाने के बाद झारखंड के कांग्रेसी अब प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार के इस्तीफे को लेकर टकटकी लगाए हुए हैं।
डॉ अजय को हटाने की लामबंदी इतनी तेज है कि झारखंड कांग्रेस के आधा दर्जन से अधिक वरीय नेता नई दिल्ली में विभिन्न दरबारों में हाजिरी भी बना आए हैं और उनकी शिकायतें भी खूब हुई हैं। दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की ओर से अनुशासनहीनता को लेकर की गई शिकायत पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। समझा जा रहा है कि कार्रवाई तब तक नहीं होगी जब तक नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो जाता।
- राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद अब झारखंड के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष निशाने पर
- डॉ अजय का विरोध कर रहे सीनियर नेताओं ने दिल्ली दरबार में दी दस्तक
- महाराष्ट्र के अध्यक्ष का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद झारखंडी नेताओं की सरगर्मी बढ़ी
- मसले को बढ़ाना नहीं चाहता शीर्ष नेतृत्व, नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा तक लटका मामला
एक तरफ देखें तो राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष का इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया गया है और इसके बाद कई राज्यों में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को बदलने की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है। झारखंड में भी हलचल तेज है। कांग्रेस के कई वरीय नेता और पूर्व सांसद नई दिल्ली में विभिन्न दफ्तरों में पहुंचकर डॉ. अजय कुमार की शिकायत कर चुके हैं। शिकायतों में संगठन को बर्बाद करने तक का आरोप लगाया गया है।
वहीं दूसरी तरफ झारखंड कांग्रेस में महीनों से उपाध्यक्ष, महासचिव जैसे पद खाली हैं और पूरी कमान प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने अपने हाथों में ले रखी है। बदले में प्रवक्ताओं की फौज तैयार कर दी गई है जो सिर्फ रांची में ही केंद्रित होकर बयान तो देते हैं लेकिन धरातल पर काम करनेवालों की कमी हो गई है। नेताओं ने मीडिया का काम देख रहे कांग्रेसी टीम की भी शिकायत की है।
ऐसे में एक अनुमान यह भी है कि जब राष्ट्रीय अध्यक्ष ही इस्तीफा देकर निकल लिए तो तमाम कमेटियां स्वत: भंग मानी जाएंगी और इसी आधार पर कुछ कांग्रेसी डॉ. अजय कुमार की टीम को अपदस्थ मानने लगे हैं। हालांकि, अभी खुलकर उनका विरोध नहीं हो रहा है। जबकि कुछ दिन पहले प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह के सामने ही कांग्रेसी भिड़ गए थे। तब अजय गो बैक के नारे भी कांग्रेसियों ने लगाए थे।
डॉ अजय के समर्थन में एक धड़ा
डॉ. अजय कुमार की ओर से भी उनकी टीम ताल ठोंककर डटी है। इनका तर्क है कि कांग्रेस को शून्य से बढ़ाकर एक सीट पर जीत दर्ज कराने और दो सीटों पर कड़ा मुकाबला होने में प्रदेश कांग्रेस को श्रेय जाता है। जो लोग हारे हैं वे जनता के बीच कहीं से भी सक्रिय नहीं थे। कुछ लोगों को टिकट मिलने में देरी होने के कारण मुकाबला एकतरफा हो गया। तमाम तर्कों के साथ डॉ. अजय कुमार के समर्थक कांग्रेसी मान रहे हैं कि कांग्रेस को डॉ. कुमार के कारण ताकत मिली है। उनके आने के बाद हुए विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस की जीत को भी इसका आधार बताया जा रहा है।