रांची में दूसरे दिन भी रहा तनाव, संवेदनशील इलाकों सहित मेन रोड में पुलिस बल तैनात
रांची राजधानी रांची में शुक्रवार को हुए बवाल के दूसरे दिन भी तनाव रहा। हालांकि पुलिस संवेदनशील इलाकों सहित मेन रोड में तैनात रही। स्थिति पूरी तरह नियंत्रित है।
राज्य ब्यूरो, रांची : प्रदेश में मॉब लिंचिंग के विरोध में शुक्रवार को एक समुदाय विशेष की रांची के डोरंडा में 'आक्रोश जनसभा' के बाद लगातार दो जगह उपद्रव होने की घटना के दूसरे दिन भी शहर में तनाव रहा। एक ओर जहां मामले को लेकर पुलिस व पीड़ित पक्ष की ओर से चार प्राथमिकियां दर्ज हुईं वहीं मामले पर राजनीति भी गर्म रही। पुलिस ने 8 नामजद समेत 200 अज्ञात लोगों पर प्राथमिकी दर्ज कराई है। वहीं सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से भी उपद्रवियों की पहचान हो रही है।
डीआइजी ने एसएसपी व एसपी के साथ की बैठक
घटना के दूसरे दिन भी रांची में तनाव रहा। घटना की गंभीरता को देखते हुए रांची रेंज के डीआइजी अमोल वी. होमकर ने एसएसपी अनीश गुप्ता व एसपी सिटी हरिलाल चौहान के साथ शनिवार को कंपोजिट कंट्रोल रूम में बैठक की। बैठक के बाद जैप व एसटीएफ के करीब 1000 अतिरिक्त जवानों को शहर के संवेदनशील क्षेत्रों में प्रतिनियुक्त कर दिया गया है। स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन आक्रोश की चिंगारी धीरे-धीरे सुलग रही है।
शुक्रवार की घटना के बाद राजधानी में डोरंडा, हिदपीढ़ी व लोअर बाजार थाने में अलग-अलग चार प्राथमिकियां दर्ज की गई है। इनमें तीन प्राथमिकियां प्रशासन ने, जबकि चौथी प्राथमिकी जख्मी युवक के बयान पर दर्ज की गई है। सभी प्राथमिकियों में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश संबंधित धाराएं लगाई गई हैं।
डोरंडा में आठ नामजद व 200 अज्ञात को बनाया गया है आरोपित
डोरंडा थाने में अरगोड़ा के अंचलाधिकारी रवींद्र कुमार के बयान पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। इसमें आठ नामजद व 200 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है। जिन्हें आरोपित किया गया है, उनमें आक्रोश जनसभा के अध्यक्ष डॉ. मौलाना ओबैदुल्लाह कासमी, उपाध्यक्ष मौलाना असगर मिसबाह, शहर काजी कारी जान मोहम्मद मुस्तफी, कार्यकर्ता एजाज गद्दी, मोहम्मद सलाउद्दीन उर्फ संजू (पूर्व पार्षद, वार्ड-17), झारखंड तंजीम के अध्यक्ष शमशेर आलम, आजम अहमद, मोहम्मद शाहिद व 200 अन्य अज्ञात शामिल हैं। इनपर सभा के दिए गए अनुमति के विपरित कार्य करते हुए सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने तथा राह चलते वाहनों का शीशा तोड़कर जान-माल का नुकसान पहुंचाने का आरोप है। साथ ही इनपर हाई कोर्ट के आदेश के उल्लंघन का भी आरोप है।
अंचलाधिकारी ने दर्ज प्राथमिकी में लिखा है कि पांच जुलाई को मुत्तहदा मुस्लिम महाज संस्था के डा. मौलाना ओबैदुल्लाह कास्मी ने जनसभा बुलाई थी, जो 'आक्रोश जनसभा' में तब्दील हो गई। अंचलाधिकारी वहां विधि-व्यवस्था ड्यूटी में दंडाधिकारी के रूप में प्रतिनियुक्त थे। आयोजकों को सभा के लिए केवल दो हजार व्यक्तियों की अनुमति थी, लेकिन यहां करीब दस हजार व्यक्ति उपस्थित थे। इतना ही नहीं, सभा में आने वालों को जुलूस की शक्ल में आने की अनुमति नहीं थी, इसके बावजूद वे जुलूस की शक्ल में आ रहे थे। सभा में आने वाले व्यक्ति तख्तियों पर भड़काऊ नारे लिखे थे, जिससे सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की गई। सभा करीब पौने पांच बजे समाप्त होने के बाद जुलूस के रूप में मेन रोड स्थित ऊर्दू लाइब्रेरी तक एमजी रोड (मेन रोड) से गई। हाई कोर्ट ने मेन रोड पर जुलूस निकालने पर प्रतिबंध लगाया है। इसके बावजूद जुलूसों पर आयोजकों का कोई नियंत्रण नहीं था। जुलूस लौटने के क्रम में राजेंद्र चौक के निकट दूसरी ओर से आ रही छोटी बस पर पत्थरबाजी कर शीशे तोड़ दी। शांति व्यवस्था भंग करने की कोशिश की।