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Jharkhand Assembly: 46 संबद्ध कॉलेजों के लिए कमेटी, टाटा से 300 करोड़ वसूली

Jharkhand Assembly. बजट सत्र में शुक्रवार को सदन की कार्यवाही जारी है। विधायक बादल पत्रलेख, निर्मला देवी और गीता कोड़ा ने रसोइया को स्‍थाई नौकरी देने की मांग उठाई।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 01 Feb 2019 11:04 AM (IST)Updated: Fri, 01 Feb 2019 05:26 PM (IST)
Jharkhand Assembly: 46 संबद्ध कॉलेजों के लिए कमेटी, टाटा से 300 करोड़ वसूली
Jharkhand Assembly: 46 संबद्ध कॉलेजों के लिए कमेटी, टाटा से 300 करोड़ वसूली

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में शुक्रवार को कार्यवाही चल रही है। इस क्रम में विधानसभा के मुख्‍य द्वार पर मिड डे मील के तहत कार्य कर रहीं महिला रसोइया का मानदेय बढ़ाने व उन्‍हें नियमित करने की मांग को लेकर कुछ विधायकों ने अपनी आवाज उठाई। कांग्रेस विधायक बादल पत्रलेख, गीता कोड़ा और निर्मला देवी ने मध्‍याहन भोजन योजना से जुड़े रसोइया को लेकर हाथों में नारे लिखी तख्तियां लेकर सरकार से अपनी मांग पूरी करने की अपेक्षा रखी। प्रभारी मंत्री लुईस मरांडी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि 46 संबद्ध कॉलेजों को राज्‍य सरकार द्वारा अंगीकार करने के लिए कमेटी बनाई जाएगी। उन्‍होंने कहा कि यह कमेटी इन कॉलेजों के घाटा अनुदान पर भी निर्णय लेगी।

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झारखंड विकास मोर्चा के विधायक प्रदीप यादव ने एग्रीमेंट के तहत टाटा से प्रति वर्ष टाटा से 25 करोड़ रुपये सरकार को नहीं मिलने का मामला विधानसभा में उठाया। उन्‍होंने कहा कि वर्ष 2005 में जमीन लीज के बदले यह राशि देने का करार हुआ था। जिसके जवाब में स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने कहा कि टाटा से अभी 25 करोड़ मिले हैं। मंत्री ने सदन को आश्‍वस्‍त करते हुए कहा कि टाटा से 300 करोड़ बकाया राशि सरकार जल्‍द ही वसूल कर लेगी।

बता दें कि बीते दिन से ही स्पीकर दिनेश उरांव सख्त नजर आ रहे हैं। तीन दिन पूर्व जेपीएससी परीक्षा पर सरकार के रुख को लेकर कड़ी टिप्पणी करने वाले स्पीकर ने गुरुवार को भी कड़े तेवर दिखाए। समाज कल्याण निदेशालय द्वारा आंगनबाड़ी सेविकाओं को दिए घटिया स्मार्ट फोन के मामले की जांच मुख्य सचिव को करने का निर्देश दिया और इस मामले में जब मुख्यमंत्री ने कुछ कहना चाहा तो उन्हें बोलने से रोक दिया। सत्ताधारी दल के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर ने जब टोका तो मुख्यमंत्री को बोलने का मौका तो जरूर दिया लेकिन इस बाबत दिए गए नियमन को वापस लेने से भी इन्कार कर दिया। यह भी कहा कि जांच रिपोर्ट आने में घबराहट क्यों?


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