मंत्री सरयू राय ने कहा- रखवाला ही चोर तो खजाना कैसे सुरक्षित रहेगा?
Saryu Roy. खान विभाग की अनियमितताओं को उठाते हुए अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा करने वाले मंत्री सरयू राय ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को चिट्ठी लिखी है।
रांची, राज्य ब्यूरो। खान विभाग की अनियमितताओं को उठाते हुए लगातार अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा करने वाले मंत्री सरयू राय ने एक बार फिर मुख्यमंत्री रघुवर दास को कड़ा पत्र लिखा है। राय ने अपने पत्र में जिक्र किया है कि जब रखवाला ही चोर होगा तो खजाना कैसे सुरक्षित रहेगा? उन्होंने खान विभाग के वरीय अधिकारियों के साथ-साथ राज्य सरकार के महाधिवक्ता के कामकाज के तौर तरीके पर भी सवाल उठाए हैं।
स्पष्ट कहा है कि इन अधिकारियों ने पर्याप्त साक्ष्य के बावजूद छद्म खनन (प्रॉक्सी माइनिंग) में लिप्त कंपनियों पर कड़ी कार्रवाई करने के बजाए उन्हें बचाने की कोशिश की है। हालांकि राय ने अपने पत्र में किसी अधिकारी का नाम नहीं लिया है। राय ने अपनी शैली में मुहावरों का प्रयोग करते हुए सिस्टम पर तंज कसा है। यह भी लिखा है कि जब मेड़ ही खेत को खा जाने पर उतारू हो जाएगी तो फसल की रक्षा कैसे होगी? रखवाला ही चोर हो जाएगा तो खजाना कैसे सुरक्षित रहेगा?
सरयू राय ने कहा, सूचना है कि जिन खनन पट्टाधारियों ने खनिज समुदान नियमावली-1960 के नियम-37 का उल्लंघन कर छद्म खनन किया है उन पर लगे आरोपों को साबित करने वाले कागजात को विभागीय अधिकारियों ने सुनवाई के समय सदस्य, राजस्व पर्षद के सामने प्रस्तुत नहीं किया है। यह भी कहा कि महाधिवक्ता जैसे राज्य सरकार के विद्वान वकील न्यायालय के समक्ष पूर्व प्रमाणित सबूतों को प्रस्तुत नहीं करेंगे तो राज्यहित एवं नियम-कानून की कीमत पर दोषियों का समूह अपने फायदे के लिए नियम-कानून तोड़ता रहेगा और राज्यहित और जनहित पर करारी चपत लगाता रहेगा।
राय ने कहा कि जिन अधिकारियों ने सदस्य, राजस्व पर्षद के समक्ष सुनवाई के दौरान तमाम सबूतों के रहते हुए भी पेश नहीं किए हैं उनपर कठोर कारवाई की जानी चाहिए। ऐसे अधिकारियों का समूह अवैध खनन करने वालों की तुलना में अधिक दोषी है। सरयू ने हवाला दिया कि कैसे पूर्व में शाह आयोग ने कम समय में ही झारखंड के लौह अयस्क खनन क्षेत्रों में बरती गई गंभीर अनियमितताओं का पर्दाफाश किया और अवैध खननकर्ताओं पर करीब 13,000 करोड़ रुपये का अर्थदंड लगाया।
राय ने इन कंपनियों के मामले में उठाए सवाल
केस-1 : एनकेपीके (निर्मल कुमार प्रदीप कुमार) के पक्ष में राज्य के महाधिवक्ता ने 20 किश्तों में बकाया अर्थदंड का भुगतान करने की सहमति माननीय उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार से पूछे बिना अपने विवेक से दे दी है।
केस : 2 देवकाबाई भेलजी, पद्म कुमार जैन, रामेश्वर जूट मिल्स एवं कतिपय अन्य लौह अयस्क खनन पट्टाधारियों पर भी खनिज समुदान नियमावली-1960 के नियम-37 का उल्लंघन कर छद्म खनन कराने के पर्याप्त प्रमाण खान विभाग और जांच समितियों की संचिकाओं में मौजूद हैं।
केस : 3 सिंहभूम मिनरल्स ने 2013 मे ही नियम -37 का उल्लंघन कर छद्म खनन करने का दोष स्वीकार कर लिया था और इसके लिये क्षमायाचना कर लीज नवीकरण का अनुरोध सरकार से किया था। पर तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इसकी लीज रद कर दी थी। अब पुन: इसकी संचिका विभिन्न स्तरों की प्रक्रियाओं से होती हुई अनुमोदन के लिए मुख्यमंत्री के समक्ष पहुंच गई है और कई महीनों से वहां पड़ी हुई है। सवाल है कि ऐसी संचिका को मुख्यमंत्री तक पहुंचने देने के लिये कौन जिम्मेदार है?