दूसरों के लिए जीना है मीना का मकसद
रांची : अपने लिए जिए तो क्या जिए, तू जी जमाने के लिए। दूसरों के दुख-दर्द को अपना बना लिया।
सलोनी पांडेय, रांची : अपने लिए जिए तो क्या जिए, तू जी जमाने के लिए। दूसरों के दुख-दर्द को अपना समझना और उनके लिए कुछ कर पाना, ऐसा बहुत कम लोग ही कर पाते हैं। मीना वर्णवाल भी इन्हीं कुछ लोगों में से हैं जो दूसरों की मदद करना ही अपने जीवन का लक्ष्य मानती हैं। शहर के खेलगाव में रहने वाली मीना वहीं के गाव लालखटंगा व टाटीसिलवे में रहने वाली महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण देती हैं, वह टेबल मैट, बेडशीट पर पैच वर्क, कपड़े का बैग, भगवान का पोशाक आदि बनाती हैं और इन्हें बेच कर जो पैसे आते हैं इससे वह बैसाखी खरीद कर दिव्यागों को देती हैं, अब तक वह 100 से ज्यादा दिव्यागों को बैसाखी बाट चुकीं हैं। इस तरह पैदा हुआ जुनून
मीना को एक टीवी के एक प्रोग्राम से दूसरों की मदद की प्रेरणा मिली। इसके बाद उन्होंने इसे जीवन का लक्ष्य बना लिया। और बेसहारा लोगों की मदद का सिलसिला शुरू हो गया। उनके पति बीसीसीएल से सेवानिवृत्त हो चुके हैं और बेटे दूसरे शहरों में काम करते हैं। उनका पूरा परिवार इस नेक काम में उनका साथ देता है। एक दशक से जारी है अभियान
मीना नौ वर्षो से वे महिलाओं को सिलाई व कढ़ाई जैसे कामों का प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वावलंबी बना रही हैं, रांची से पहले वह धनबाद में थीं और वहां भी वह इस काम को कर रहीं थीं। रांची में अब तक वे 25 से अधिक महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा कर चुकी हैं। मीना के संपर्क में आने से बदल गई महिलाओं की जिंदगी चारों तरफ से हताश-निराश महिलाओं को कुछ सूझ नहीं रहा था। बाद में महिलाएं मीना के संपर्क में आईं। उनका कहना है कि सबसे पहले उन्होंने इन महिलाओं की काउंसिलिंग की। इसके बाद धीरे-धीरे उन्हें सिलाई का प्रशिक्षण देकर योग्य बनाया। धीरे-धीरे उन महिलाओं की जिंदगी में सुधार आता गया। उनके जीवन में आए बदलाव के चलते कुछ और महिलाएं उनसे जुड़ीं। उन्हें सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण दिया गया। आज ये महिलाएं न केवल अपने पैरों पर खड़ी हैं, बल्कि परिवार का पालन-पोषण करने में भी अहम भूमिका निभा रही हैं। बड़े शहरों में पहुंच रहे उत्पाद
मीना ने धीरे-धीरे अपने रिश्तेदार, दोस्तों, परिवार वालों की मदद से खुद के व महिलाओं द्वारा बनाई गई चीजों को अलग-अलग शहरों में भेजना शुरू किया। चेन्नई, दिल्ली, पुणे जैसे शहरों से उन्हें अच्छा रिस्पास मिला और अभी भी उन्हे बाहर से ऑर्डर मिल रहे हैं। भविष्य की योजना
आने वाले दिनों के बारे में पूछे जाने पर मीना ने बताया की वह बैसाखी के साथ-साथ व्हीलचेयर खरीद कर भी जरूरतमंदों के बीच बाटने के बारे में सोच रही हैं। भविष्य में यह जरूर करेंगी। कुछ दिन पूर्व ही उन्होंने ज्वेलरी मेकिंग का प्रशिक्षण भी महिलाओं को देना शुरू किया है जिसे वह और आगे लेकर जाना चाहती हैं।