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सीएजी रिपोर्ट पर कृषिमंत्री ने सचिव को लिखा पीत पत्र, 24 घंटे में मांगा जवाब

रांची, राज्य ब्यूरो। विधानसभा के मानसून सत्र में पेश भारत के नियंत्रक एवं महालेखाकार की रिपोर्ट पर कृषि एवं पशुपालन मंत्री रणधीर सिंह ने कृषि सचिव पूजा सिंघल को पीत पत्र लिखा है। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में एक और चारा घोटाले की आशंका जताई थी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 03 Jan 2019 05:10 PM (IST)Updated: Thu, 03 Jan 2019 05:10 PM (IST)
सीएजी रिपोर्ट पर कृषिमंत्री ने सचिव को लिखा पीत पत्र, 24 घंटे में मांगा जवाब
सीएजी रिपोर्ट पर कृषिमंत्री ने सचिव को लिखा पीत पत्र, 24 घंटे में मांगा जवाब

रांची, राज्य ब्यूरो। विधानसभा के मानसून सत्र में पेश भारत के नियंत्रक एवं महालेखाकार की रिपोर्ट पर कृषि एवं पशुपालन मंत्री रणधीर सिंह ने कृषि सचिव पूजा सिंघल को पीत पत्र लिखा है। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में एक और चारा घोटाले की आशंका जताई थी। मंत्री ने सचिव को प्रेषित पत्र में कहा है कि राज्य के प्रधान महालेखाकार द्वारा कतिपय बिंदुओं पर आपत्ति दर्ज कराई गई है। इस संबंध में विस्तृत वस्तुस्थिति से अधोहस्ताक्षरी को 24 घंटे के अंदर अनिवार्य रूप से अवगत कराया जाए। प्रेषित पत्र में इस संदर्भ में विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार पत्रों की कतरने भी लगाई गई हैं।

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सीएजी ने जांच के दौरान पाया था : मवेशियों के समग्र स्वास्थ्य एवं दूध की उत्पादकता बढाने के लिए ंिवभाग ने तकनीकी इनपुट कार्यक्रम चलाया था। लेखा परीक्षा ने पाया कि वर्ष 2012-17 के दौरान विभाग ने इस कार्यक्रम के लिए 63 करोड़ रुपये प्रदान किया। इसमें से गव्य विकास निदेशक ने सिर्फ 2016-17 के दौरान हुए मिनरल मिक्सर की खरीदारी एवं वितरण के दस्तावेज दिखाए। लेकिन 2012-16 के दौरान 43 करोड़ रुपये पोषाहार की खरीदारी एवं वितरण से संबंधित कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया गया। इसको लेकर महालेखाकार ने एक साल में सात बार पत्र लिखकर जानकारी मांगी, लेकिन दस्तावेज नहीं दिए गए। इतना ही नहीं गव्य विकास के सहायक निदेशक ने नियमों को ताक पर रखते हुए डोरंडा कोषागार से 7.82 लाख रुपये निकाल लिया। सीएजी ने इस मामले की जांच निगरानी से कराए जाने की अनुशंसा की थी। 312 करोड़ खर्च कर लिए गए मवेशियों का कोई आंकड़ा नहीं :

कृषि पशुपालन और सहकारिता विभाग ने 2012 से 2017 के दौरान दुधारू मवेशी वितरण योजना सहित छह गव्य विकास योजनाओं में 312 करोड़ खर्च किया। जांच के दौरान पता चला कि विभाग के पास 18 जिलों में खरीदे गए मवेशियों की संख्या के बारे में न तो कोई आंकड़ा उपलब्ध था और न ही राज्य के बैंकों में पड़ी हुई सब्सिडी की राशि के बारे में ही ंिवभाग को कोई जानकारी है।


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