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सावधान! यूपीआई को हथियार बना बैंक खातों में लगा रहे सेंध, ऐसे करते हैं फर्जीवाड़ा

रांची स्थित साइबर थाने में पिछले छह महीने में 50 से अधिक मामले सामने आए हैं। राज्य का जामताड़ा शहर साइबर अपराधियों का गढ़ बताया जाता है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 28 Dec 2018 08:04 AM (IST)Updated: Fri, 28 Dec 2018 08:06 AM (IST)
सावधान! यूपीआई को हथियार बना बैंक खातों में लगा रहे सेंध, ऐसे करते हैं फर्जीवाड़ा
सावधान! यूपीआई को हथियार बना बैंक खातों में लगा रहे सेंध, ऐसे करते हैं फर्जीवाड़ा

रांची,(फहीम अख्तर)।  यूपीआई यानी यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस। इस एक सिस्टम पर मोबाइल बैंकिंग टिकी हुई है। भीम एप सहित लगभग तमाम बैंकों के एप इस सिस्टम पर काम करते हैं। अब यूपीआई पर साइबर अपराधियों की नजर है। इसे हथियार बनाकर लोगों के बैंक खातों में सेंधमारी शुरूकर दी गई है। रांची सहित पूरे देश में यूपीआई फ्रॉड के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।

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रांची स्थित साइबर थाने में पिछले छह महीने में 50 से अधिक मामले सामने आए हैं। राज्य का जामताड़ा शहर साइबर अपराधियों का गढ़ बताया जाता है।

मोबाइल नंबर को करते हैं हैक

यूपीआई जिसे हिंदी में एकीकृत भुगतान अन्तरापृष्ठ कहते हैं, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा शुरू किया गया ऑनलाइन भुगतान का तरीका है। मोबाइल प्लेटफॉर्म पर दो बैंक खातों के बीच तुरंत धनराशि स्थानांतरित कर यह अंतर बैंक लेनदेन को सुविधाजनक बनाता है। इसे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नियंत्रित किया जाता है। यूपीआई के किसी भी एप जैसे भीम एप, तेज एप, पे एप सहित अन्य बैंकों के पेमेंट एप में रजिस्टर्ड होने के लिए बैंक खाता से जुड़े मोबाइल नंबर और डेबिट कार्ड के डिटेल्स का इस्तेमाल करना पड़ता है। तब बैंकिंग एप सीधे बैंक खाते से जुड़ जाता है। साइबर अपराधी मोबाइल नंबर को हैक कर इस सिस्टम में सेंध लगा रहे हैं।

ऐसे करते हैं फर्जीवाड़ा

अपराधी खाताधारक के मोबाइल नंबर को हैक कर इसे बंद कर देते हैं। फिर संबंधित मोबाइल नंबर के खो जाने की प्राथमिकी दर्ज कराते हैं। जिसके बाद किसी तरह (टेलीकॉम कंपनी के कर्मचारी से मिलीभगत कर) इसी नंबर पर नया सिम जारी करवा लेते हैं। जब तक ग्राहक अपने बंद सिम के बारे में पता लगाता है, तब तक उसके खाते से रुपये उड़ा लिए जाते हैं।

ऐसे करते हैं मोबाइल नंबर हैक

खाताधारक के मोबाइल नंबर को हैक करने के लिए अपराधी उस नंबर पर एक कोडेड मैसेज भेजते हैं। मैसेज भेजने के बाद फर्जी बैंककर्मी बन खाताधारक को फोन करते हैं और एप को अपडेट करने या पुष्टि या फिर पुन: रजिस्टर कराने की बात कहते हुए भेजे गए मैसेज को उसी नंबर या लिंक पर फॉरवर्ड करने के लिए कहते हैं। ऐसा करते ही नंबर हैक हो जाता है। दरअसल यूपीआई एप किसी भी मोबाइल में प़़डी रजिस्टर्ड सिम को वेरिफाई कर लेता है। इससे पता चल जाता है कि यह नंबर किसी बैंक खाते से संबद्ध है। खाते से जुड़े नंबर को हैक किया जाता है। मोबाइल के साथ यह सिस्टम कंप्यूटर पर भी काम करता है।

आईपी एड्रेस नहीं होता रिकॉर्ड

इस तरह के साइबर अपराधियों को पक़़डना पुलिस के लिए चुनौती है। चूंकि अपराधी का आईपी (इंटरनेट प्रोटोकॉल) एड्रेस यूपीआई के पास रिकॉर्ड नहीं होता। रांची में सामने आए मामलों के बाद पुलिस ने नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) से यूपीआई नंबर एकत्र करने का अनुरोध किया है ताकि अपराधी तक पुलिस पहुंच सके।

संदिग्ध मैसेज न करें फॉरवर्ड

यूपीआई फ्रॉड से बचने के लिए अपुष्ट स्रोत से आने वाले कोडेड मैसेज को कतई फॉरवर्ड न करें। ऐसा करना खतरनाक हो सकता है। किसी भी कीमत यूपीआई से संबंधित मैसेज का विवरण शेयर करने से बचना चाहिए।

-सुमित प्रसाद, डीएसपी, साइबर थाना, रांची। 


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