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झारखंड में भाजपा को झटके के आसार, छिटकने की तैयारी में आजसू पार्टी

तीन राज्यों में शिकस्त के बाद संभलने में लगी भाजपा को झारखंड में झटका लग सकता है।

By Edited By: Published: Sat, 15 Dec 2018 06:30 AM (IST)Updated: Sat, 15 Dec 2018 06:34 AM (IST)
झारखंड में भाजपा को झटके के आसार, छिटकने की तैयारी में आजसू पार्टी
झारखंड में भाजपा को झटके के आसार, छिटकने की तैयारी में आजसू पार्टी

रांची, जेएनएन। तीन राज्यों में शिकस्त के बाद संभलने में लगी भाजपा को झारखंड में झटका लग सकता है। कयास लगाया जा रहा है कि आजसू पार्टी खुद को भाजपा गठबंधन से अलग कर सकती है। गौरतलब है कि दोनों दलों ने पिछला विधानसभा चुनाव तालमेल कर लड़ा था। राज्य में भाजपानीत गठबंधन सरकार में आजसू कोटे से एक मंत्री भी है। हालांकि, सरकार गठन के बाद से लेकर अबतक ऐसे कई मौके आए जब आजसू ने सरकार के नीतिगत फैसलों के खिलाफ अपना विरोध सार्वजनिक किया।

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जमीन संबंधी कानून में संशोधन, स्थानीयता नीति की घोषणा आदि पर आजसू का रूख सरकार से अलग था। हाल में पारा शिक्षकों के आंदोलन से कड़ाई से निपटने का भी आजसू ने विरोध किया। आजसू प्रमुख सुदेश महतो सरकार के कामकाज के तरीके से भी संतुष्ट नहीं दिखते। वे अक्सर सरकार की खिंचाई करते हैं। कुछ दिन पूर्व पार्टी की केंद्रीय समिति की बैठक में भाजपा से अलग राह अख्तियार करने के उन्होंने स्पष्ट संकेत दिए हैं। पार्टी ने राज्य सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि दो माह के भीतर अगर नियुक्ति प्रक्रिया में सुधार नहीं किया गया तो आजसू कड़ा निर्णय करेगी। संभव है कि इसी बहाने आजसू पार्टी भाजपा से अलग होने का एलान कर दे। उपचुनाव में बढ़ी थी खटास आजसू पार्टी और भाजपा के बीच की तल्खी पिछले विधानसभा उपचुनाव के दौरान बढ़ी थी। दो सीटों सिल्ली और गोमिया में उपचुनाव के दौरान आजसू ने भाजपा से समर्थन मांगा था।

भाजपा ने सिल्ली में समर्थन दिया लेकिन गोमिया में अपना प्रत्याशी खड़ा कर दिया। सिल्ली से आजसू प्रमुख सुदेश महतो खुद उम्मीदवार थे। हालांकि, यह सीट भाजपा-आजसू के हाथ से छिटक गई। इससे आजसू को गहरा धक्का लगा। जनवरी में बड़ी रैली करेगा आजसू आजसू ने चुनावी तैयारी तेज कर दी है। पार्टी ने 13 जनवरी को राजधानी में एक लाख युवाओं तथा फरवरी में 5000 गांवों के लोगों की सभा करने का निर्णय किया है। स्वराज स्वाभिमान यात्रा के तहत पार्टी लगातार जनसंपर्क कर रही है। आजसू के शीर्ष नेतृत्व का मत है कि राज्य में नेतृत्वकर्ता गैर जिम्मेदार है और अफसर गैर उत्तरदायी। इससे लोकतंत्र की बुनियाद कमजोर हो गई है।


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