खुद की उन्नति के लिए आध्यात्मिक जीवन जरूरी : स्मरणानंद
रांची : योगदा आश्रम। फूलों से सुवासित विशाल प्रांगण। ध्यानस्थ अनुयायी। चेहरे पर पसरी कोमलता।
रांची : योगदा आश्रम। फूलों से सुवासित विशाल प्रांगण। ध्यानस्थ अनुयायी। चेहरे पर पसरी कोमलता। शरद संगम में नहाया एक-एक शब्द, एक-एक अक्षर। ऊं की अनगिनत व्याख्या। अनिवर्चनीय वातावरण। बुधवार को समापन था। दूसरे व अंतिम सत्र में देश-विदेश के करीब 1700 अनुयायी उपस्थित थे।
स्वामी स्मरणानंद ने समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि यहां से जो सीख कर जा रहे हैं, उसके अपने दैनिक जीवन में शामिल करें। जैसे हम खाने के लिए समय निकाल लेते हैं, खेलने के लिए समय निकाल लेते हैं। अन्य कामों के लिए समय निकाल लेते हैं। उसके लिए हम कोई बहाना नहीं बनाते। इसी तरह आध्यात्मिक जीवन के लिए भी थोड़ा समय निकालें। हर सुबह और शाम ध्यान करें। इसमें कोई बहानाबाजी न करें। ये अपनी उन्नति के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा, जीवन में हर चीज अस्थायी है। उन्होंने ग्रुप ध्यान के बारे में भी बताया कि ग्रुप में भी ध्यान करें। ग्रुप ध्यान से ऊर्जा भी बांट सकते हैं। उन्होंने गुरु के चरणों में ध्यान करने को कहा। यह भी बताया कि ईश्वर पहले और सिर्फ ईश्वर है। स्वामी शुद्धानंद ने स्मरणानंद के अंग्रेजी उद्बोधन को ¨हदी में बताया। इसके साथ ही उन्होंने ध्यान मूलं गुरु मूर्ति, पूजा मूलं गुरु पदम्। मंत्र मूलं गुरु वाक्यं, मोक्ष मूलं गुरु कृपा के बारे में बताया। गुरु के महत्व को समझाया। कहा, यदि आप दस प्रतिशत भी ध्यान में मन लगाते हैं तो गुरु 90 प्रतिशत प्रयास करेगा। आप कम से कम दस प्रतिशत तो करें। मोक्ष तो गुरु के चरणों में ही संभव है। उन्होंने कहा कि गुरु के बताए मार्ग पर चलें। उनका लिखा पढ़े, वाचन करें। गीता के हर श्लोक को दो सप्ताह में एक बार पढ़े। अपना कैलेंडर तैयार करें। उन्होंने कहा, यहां से जाएं तो नियमों का पालन करें। जो सीखें हैं, उसका हर दिन उपयोग करें।
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दो सत्रों में चला शरद संगम
शरद संगम का पहला सत्र 18 नवंबर से 23 नवंबर तक चला और दूसरा सत्र 30 नवंबर से पांच दिसंबर तक चला। साढ़े तीन हजार लोग दोनों सत्रों में भाग लिए। करीब 20 देशों और देश के 26 राज्यों से लोग आए थे। भारत के सभी राज्यों से बड़ी संख्या में जुटे हजारों भक्तों ने इस बार शरद संगम में भाग लिया। इनकी संख्या करीब 3500 से भी ज्यादा थी। यही हाल विदेशों से आनेवाले भक्तों की थी, करीब 20 से अभी अधिक देशों के लोगों ने शरद संगम में भाग लेकर अपना जीवन धन्य किया। सभी ने मिलकर, पूर्व और पश्चिम के भेद को मिटाते हुए इस शरद संगम का लाभ उठाया तथा अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए, क्रिया योग का रास्ता अपनाया तथा परमहंस योगानंद के बताए मागरें पर चलने का संकल्प लिया।
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ओम प्रविधि का भक्तों ने लिया लाभ
शरद संगम में शक्ति संचार व्यायाम, हं-स: प्रविधि तथा ओम प्रविधि से भी भक्तों का साक्षात्कार कराया गया। उन्हें बताया गया कि योगदा के प्रत्येक साधक को इन तीनों विधाओं में पारंगत होना उतना ही आवश्यक है, जितना प्रत्येक प्राणियों को जीवित रखने के लिए भोजन, पानी और हवा की आवश्यकता है। शरद संगम में भाग ले रहे साधकों-भक्तों को प्रशिक्षित कर रहे ब्रह्मचारी शीलानंद एवं ब्रह्मचारी निष्ठानंद ने स्पष्ट रूप से कहा कि जब तक आप इन तीनों विधाओं में एकाग्रता को नहीं लाएंगे, ईश्वर की अनुभूति संभव नहीं है।
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सृष्टि की सबसे पहली ब्रह्मांडीय ध्वनि है ऊं
ओम प्रविधि के बारे में ब्रह्मचारी आलोकानंद ने कहा कि ऊं प्रेरणादायी है, उत्साहवर्धक है। इसे जान लेने पर कुछ नहीं बच पाता, क्योंकि यह सृष्टि की सबसे पहली ब्रह्मांडीय ध्वनि है, जिसे सुनने के लिए योगियों-ऋषियों का समूह सदैव लालायित रहता है। इसी ब्रह्मांडीय ध्वनि को जनसामान्य तक सुनाने के लिए परमहंस योगानंद ने योगदा के साधकों के लिए ओम प्रविधि के वैज्ञानिक तरीके को हम सभी के बीच में रखा, जिसका लाभ आज सभी उठा रहे हैं।
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भक्तों ने ली क्रिया योग की दीक्षा
शरद संगम के पाचवें दिन क्रिया योग की दीक्षा लेने के लिए भक्तों में होड़ सी दिखी। सारे भक्तों के हृदय में भक्ति की अविरल धारा बह रही थी, जो उनके चेहरे पर साफ दिख रही थी। ईश्वरानुभूति एवं परमानंद का भाव स्पष्ट रूप से प्रवाहित हो रहा था। योगदा सत्संग आश्रम के स्वामी ईश्वरानंद ने क्रिया दीक्षा देने के पूर्व क्रिया योग के रहस्यों से पर्दा उठाया तथा महायोगी परमहंस योगानंद के बताए क्रिया योग को भक्त कैसे जीवन में लाएं? इसकी विस्तार से चर्चा की।
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प स्तकों की प्रदर्शनी
इस शरद संगम के मौके पर पुस्तकों की प्रदर्शनी भी लगी थी। योगानंद की एक योगी की आत्मकथा कई भाषाओं में उपलब्ध थी। वहीं, गीता पर उनकी व्याख्या ¨हदी व अंग्रेजी में लोगों ने खरीदा। इसके अलावा कई प्रेरणादायी पुस्तकें, माला, गुरुओं की तस्वीरें भी भक्तों ने खरीदी।
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शरद संगम में गुरुओं ने किया संबोधित
शरद संगम में स्वामी नित्यानंद, स्वामी माधवानंद, स्वामी कृष्णानंद आदि ने भी अलग-अलग सत्र में संबोधित किया।
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व्यायाम का भी प्रशिक्षण
शरद संगम के दौरान देश-विदेश से आए भक्तों ने व्यायाम भी किया। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योग किया। मन को स्वस्थ रखने के लिए ध्यान की प्रविधि सीखी।
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द पों से जगमगाया ध्यान मंदिर
क्रिया योग की जिस दिन दीक्षा दी गई, ध्यान मंदिर मोमबत्तियों के प्रकाश से जगमग था। पूरा ध्यान मंदिर प्रकाश की रोशनी में अद्भुत दिख रहा था। इसके साथ ही पवित्र लीची वृक्ष, जिसके नीचे परमहंस योगानंद शिष्यों को शिक्षा दिया करते थे, वह भी प्रकाश से जगमग था।