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झाविमो ने कहा-कृषि विभाग में ट्रांसफर-पोस्टिंग के नाम पर हो रहा बड़ा खेल

पूर्व मुख्‍यमंत्री बाबूलाल मरांडी की अगुआई वाली पार्टी झारखंड विकास मोर्चा ने रघुवर सरकार के कृषि मंत्री रणधीर सिंह पर मनमानी का अारोप लगाया है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 04:55 PM (IST)Updated: Fri, 09 Nov 2018 04:55 PM (IST)
झाविमो ने कहा-कृषि विभाग में ट्रांसफर-पोस्टिंग के नाम पर हो रहा बड़ा खेल
झाविमो ने कहा-कृषि विभाग में ट्रांसफर-पोस्टिंग के नाम पर हो रहा बड़ा खेल

रांची, राज्य ब्यूरो। झाविमो ने कृषि विभाग में चल रहे ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर कृषि मंत्री रणधीर सिंह को निशाने पर लिया है। झाविमो के केंद्रीय सचिव संतोष कुमार ने स्पष्ट कहा है कि कृषि विभाग में ट्रांसफर-पोस्टिंग में बड़ा लेनदेन हो रहा है। इसमें विभागीय मंत्री रणधीर सिंह खुद भी संलिप्त हैं।

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संतोष कुमार ने हजारीबाग और रामगढ़ के जिला कृषि पदाधिकारी के पद को अतिरिक्त प्रभार में देने के मंत्री के निर्णय को आधार बनाया है और इस बाबत साक्ष्य भी जारी किए हैं। झाविमो के केंद्रीय सचिव ने कहा कि चार माह पूर्व शैलेंद्र कुमार को लोहरदगा का जिला कृषि पदाधिकारी बनाया गया। जबकि वे इस पद की योग्यता भी नहीं रखते थे।

इतना ही नहीं राज्य में कई योग्य पदाधिकारियों के होने के बावजूद हजारीबाग और रामगढ़ में स्थायी पोस्टिंग न कर लोहरदगा के जिला कृषि पदाधिकारी को इन जिलों का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया। यह व्यवहारिक तौर पर भी उचित नहीं है क्योंकि लोहरदगा से रामगढ़ और हजारीबाग की दूरी लगभग 200 किमी है। संतोष कुमार ने इस मामले में कृषि मंत्री पर सीधा आरोप लगाया है।

कहा, रामगढ़ और हजारीबाग के रिक्त पड़े प्रभार देने को लेकर कृषि निदेशक के स्तर से पांच पदाधिकारियों का नाम नामित किया गया था। लेकिन इन प्रस्तावित नामों को छोड़कर कृषि मंत्री ने जिला कृषि पदाधिकारी लोहरदगा के पद पर काबिज पदाधिकारी को रामगढ़ और हजारीबाग का जिला कृषि पदाधिकारी का अतिरिक्त प्रभार देने को लेकर संचिका में आदेश अंकित कर दिया। इससे स्पष्ट है कि रणधीर सिंह विभाग के हित को रखकर केवल अपने निजी स्वार्थ पूर्ति और जातिवाद को ध्यान में रखकर कार्य कर रहे हैं।

इन पदाधिकारियों की गई थी अनुसंशा : संतोष कुमार ने आरोप लगाया कि रामगढ़ और हजारीबाग के जिला कृषि पदाधिकारी के लिए कृषि निदेशक ने पांच अधिकारियों के नाम की अनुसंशा की थी। इनमें मुनेंद्र राज, विजय आनंद, ब्रह्मदेव साह, रवीश चंद्रा, मेहरपाल सिंह का नाम शामिल था। लेकिन मंत्री ने इनमें से किसी को इस प्रभार के उपयुक्त नहीं समझा।


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