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नाम का रहा हिल स्टेशन, रांची की हवा भी हुई जहरीली; बीमारियों की चपेट में लोग

रांची में प्रदूषित धूलकण (पीएम 10) निर्धारित मानक के डेढ़ से दो गुना तक बढ़ चुका है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 06 Nov 2018 07:03 PM (IST)Updated: Wed, 07 Nov 2018 08:10 AM (IST)
नाम का रहा हिल स्टेशन, रांची की हवा भी हुई जहरीली; बीमारियों की चपेट में लोग
नाम का रहा हिल स्टेशन, रांची की हवा भी हुई जहरीली; बीमारियों की चपेट में लोग

रांची, आनंद मिश्र। कभी हिल स्टेशन के तौर पर जानी जाने वाली रांची की हवा भी अब जहरीली होती जा रही है। हालात दिल्ली सरीखे तो नहीं, लेकिन ये कहने से भी गुरेज नहीं है कि हमारी रांची भी वायु प्रदूषण के मामले में कुछ उसी दिशा में बढ़ रही है। यहां भी वायु प्रदूषण के आंकड़े निर्धारित मानकों को पार कर रहे हैं, जो गंभीर संकेत है। यदि हम अभी नहीं चेते तो स्थिति बेकाबू हो सकती है।

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सेंट्रल फॉर एन्वॉयरोमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) ने सेंट्रल पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट के हवाले से रांची के वायु प्रदूषण के बाबत जो रिपोर्ट जारी की है, वह चौकाने वाली है। ये रिपोर्ट बताती है कि रांची में प्रदूषित धूलकण (पीएम 10) निर्धारित मानक के डेढ़ से दो गुना तक बढ़ चुका है। वर्ष 2018 के पहले चार माह में यह औसत 140 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा है। जबकि राष्ट्रीय मानक 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है। रिपोर्ट यह भी कहती है कि पीएम 2.5 का स्तर भी निर्धारित मानक से अधिक रहा है। जिसके फलस्वरूप फेफड़े संबंधी, हृदय रोग, लंग कैंसर और स्ट्रोक जैसी जानलेवा बीमारियां तेजी से पनप रही हैं।

वायु प्रदूषण की वजह से प्रतिवर्ष औसतन 1096 मौतें:

सीईईडी ने आइआइटी दिल्ली के सहयोग से 'नो व्हाट यू ब्रीद' रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट की मानें तो रांची में वायु प्रदूषण के चलते प्रति वर्ष 1096 मौतें असमय हो रही हैं। पीएम 2.5 को निर्धारित मानक के दायरे में लाकर प्रतिवर्ष 585 लोगों को वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों से बचाया जा सकता है।

इनसे बढ़ रहा वायु प्रदूषण:

ट्रांसपोर्ट, इंडस्ट्री, धूल, कचरा, डीजल जेनरेटर, ईट भट्टा। सीड की मानें तो ट्रांसपोर्ट की वजह से सबसे अधिक वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। वहीं, अंधाधुंध जंगलों की कटाई के कारण भी प्रदूषण अनियंत्रित हो रहा है।

जानें, क्या कहते हैं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव:

झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव राजीव लोचन बक्शी कहते हैं कि रांची में वायु प्रदूषण की स्थिति निर्धारित मानक के दायरे में रही है। हालांकि वे स्वीकारते हैं कि कभी-कभी पीएम 10 की वैल्यू 130-140 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक जाती है। सदस्य सचिव सीड की रिपोर्ट को नकारते नहीं है लेकिन यह अवश्य कहते हैं कि जो आंकड़े जारी की गए हैं वे माह के औसत नहीं हैं, बल्कि अधिकतम आंकड़े हो सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने मांगा ब्योरा:

सुप्रीम कोर्ट ने दीपावली के दौरान पूरे देश की वायु प्रदूषण की स्थिति पर रिपोर्ट तलब की है। कोर्ट के इस आदेश के आलोक में झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी राज्य के पांच प्रमुख शहरों जिनमें राजधानी रांची, जमशेदपुर, धनबाद, हजारीबाग और दुमका में वायु प्रदूषण की जांच कर रहा है। इन शहरों में दीपावाली के सात दिन पहले और सात दिन बाद की रिपोर्ट को प्रदूषण बोर्ड के माध्यम से 22 नवंबर को केंद्र को भेजा जाएगा।

प्रदूषण बोर्ड की अपील रात, आठ से दस के बीच ही फोड़े पटाखे

झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राज्य के आम लोगों से अपील की है कि वे रात आठ से दस बजे के बीच ही पटाखे फोड़े। यह भी स्पष्ट किया कि अस्तपाल, शिक्षण संस्थान, न्यायालय अथवा ऐसे क्षेत्र जिन्हें शांत घोषित किया गया है उसके आसपास 100 मीटर तक पटाखों का प्रयोग वर्जित है। वैसे पटाखे जिसके फोड़े जाने के बिंदु से चार मीटर की दूरी पर 125 डेसीबल अथवा 145 डेसीबल से अधिक का शोर उत्पन्न होता है, उनका प्रयोग भी वर्जित है।  

जनवरी से अप्रैल के बीच ये रही पीएम 10 की वैल्यू

माह पीएम 

10 जनवरी 140

फरवरी 137

मार्च 138

अप्रैल 139

(नोट : आंकड़े माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर में हैं।)


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