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यहां तो दीवारें भी कविता सुनाती हैं, नेहा गुप्ता की प्रतिभा के सभी कायल

रांची के एसएसपी अनीश गुप्ता की पत्‍नी नेहा के कविता प्रेम के सभी कायल हैं। गालिब से लेकर हर बड़े शायर की रचनाएं इन्हें पसंद हैं।

By Edited By: Published: Mon, 05 Nov 2018 07:39 AM (IST)Updated: Mon, 05 Nov 2018 07:42 AM (IST)
यहां तो दीवारें भी कविता सुनाती हैं, नेहा गुप्ता की प्रतिभा के सभी कायल
यहां तो दीवारें भी कविता सुनाती हैं, नेहा गुप्ता की प्रतिभा के सभी कायल

रांची, संजय कृष्ण। एसएसपी अनीश गुप्ता की पत्‍‌नी नेहा अनीश गुप्ता ने वैसे तो कानून की पढ़ाई की हैं, लेकिन दिल-दिमाग से वह एक कलाकार, कवि और कहानीकार हैं। हमने अब तक किसी ड्राइंग रूम के टेबल पर किसी कवि की कविता नहीं देखी, लेकिन यहां टेबल पर मुनव्वर राणा हाजिर थे। पूरे टेबल पर राणा की पंक्तियां थीं। टेबल पर ही नहीं, उनके घर की दीवारें भी कविता सुना रही थीं। ये कविताएं खुद नेहा की लिखी थीं।

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नेहा के अब तक तीन संग्रह आ चुके हैं। वे हिंदी, पंजाबी और अंग्रेजी में कविताएं लिखती हैं। अमृता प्रीतम की लेखनी की हैं कायल अमृता प्रीतम की लेखनी से प्रभावित हैं। उन्हें खूब पढ़ती हैं, लेकिन दूसरे रचनाकारों को भी पढ़ने से गुरेज नहीं। उनके घर की दीवारों पर कविताएं अंकित हैं। कविता के प्रति ऐसा लगाव कम ही दिखता है। कविता के प्रेम उनके घर की बोलती दीवारों और ड्राइंग रूम को देखकर लगाया जा सकता है।

नेहा कविता के अलावा कहानी और समसामयिक विषयों पर लेख भी लिखती हैं। टेराकोटा में काम लगाव सिर्फ कविता तक सीमित नहीं है। वे टोराकोटा का काम भी करती हैं। खूंटी, चाइबासा, हजारीबाग और अब रांची के कुम्हारों को साथ लेकर घर सजाने के कई आइटम बनाती हैं। मिट्टी के झालर, मिट्टी के लैंप से लेकर बहुत कुछ। बिजली का हर आइटम स्वदेशी। माटी भी देसी।

नेहा कहती हैं, कुम्हारों के साथ काम करके अच्छा लगता है। उनके साथ घंटों बैठकर उन्हें बताती-सिखाती हूं। परंपरा से हटकर वे कुछ अलग बनाकर प्रसन्न होते हैं। अपने काम को नाम भी दिया है 'मोरपखं'। शौकिया शुरू हुआ यह काम धीरे-धीरे पहचान का हिस्सा बन गया तो अब काम भी होने लगा।

फ्लोर लैंप, टेबल लैंप, क्लॉक, टेबल्स, टेराकोटा बाक्स और भी आइटम वे बनवाती हैं। सबसे बड़ी बात, वे अपने साथ कुम्हारों को जोड़ती हैं। उन्हें हर स्तर पर मदद करती हैं। उन्हें दक्ष बनाती हैं। कुम्हार जो केवल दीया और घड़ा बनाते थे, अब वे तरह-तरह के सजावटी आइटम भी बना रहे हैं।


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