धनतेरस पर अपनी राशि के अनुसार करें खरीदारी, सोना-चांदी खरीदना सबके लिए शुभ
धनतेरस को लेकर राजधानी रांची का बाजार सज-धज कर तैयार हो गया है। खासकर सोने-चांदी की दुकानों और बर्तन-पूजन सामग्रियों की दुकानें निखर रही हैं।
रांची, जासं। धनतेरस पंच दिवसीय दीपावली उत्सव का प्रथम दिन है। कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को ही समुद्र मंथन के क्रम में धन की देवी माता लक्ष्मी प्रकट हुईं थीं। इसीलिए इसे धनतेरस या धनत्रयोदशी कहते हैं। इसी दिन देव लोक के वैद्य भगवान धन्वंतरी जी भी अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे।
अत: इस दिन को धन्वंतरी जयंती भी मनाई जाती है। धनतेरस के दिन धनलक्ष्मी पूजन व यम देव के पूजन का विधान है। आज के दिन ही अकाल मृत्यु से बचाव के लिए रात्रि में यमराजको दीपदान किया जाता है। इसबार धनतेरस अर्थात धन त्रयोदशी पांच नवंबर सोमवार को मनाया जाएगी।
धनतेरस के दिन खरीदारी होती है शुभ : ऐसी मान्यता है कि सभी वस्तुओं में माता लक्ष्मी का वास है। इसीलिए माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने एवं धन की वृद्धि की कामना से वस्तुओं का क्रय किया जाता है। इस दिन माता सुख समृद्घि में वृद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है। माता हिरण्यवर्णा अर्थात सोने के समान रंग की हैं। अत: सोना या स्वर्ण आभूषण के क्रय से माता विशेष प्रसन्न होती हैं, ऐसी अवधारणा बनी हुई है।
राशि के अनुसार वस्तु का क्रय : मेष- ताम्रपात्र, भूमि भवन, स्वर्ण या पूजा पात्र। वृष- चांदी, हीरा जडि़त आभूषण, भवन, सफेद अन्न।मिथुन- सोने के आभूषण, इलेक्ट्रानिक वस्तुएं, कासां के पात्र, वाहन। कर्क-चांदी के आभूषण या पात्र, घरेलू उपयोग के सामान, जल पात्र, इलेक्ट्रानिक वस्तु। सिंह -तांबा के पात्र, सोना, भोजन निर्माण से संबंधित पात्र या उपकरण।
कन्या-आभूषण, पठन पाठन संबंधी उपकरण, टेलीवीजन या कम्प्यूटर। तुला- चांदी का सिक्का, हीरा के आभूषण, मकान, वस्त्र या सफेद वस्तु। वृश्चिक-भोजन निर्माण संबंधी उपकरण, भूमि भवन, पूजन पात्र, स्वर्णाभूषण। धनु-सोना या कांसा से निर्मित वस्तु, पूजनपात्र, लकड़ी से निर्मित फर्नीचर आदि। मकर-स्टेनलेस के उपकरण, वाहन, लोहे की वस्तु, आलमीरा, शौक कीइलेक्ट्रानिकवस्तु। कुंभ- जल पात्र, चांदी के आभूषण, घरेलू प्रयोग के उपकरण, भवन एवं वाहन आदि। मीन-सोना या कांसे से बनी वस्तु, भूमि भवन, जल पात्र, पूजन पात्र, जल शोधन यंत्र।
त्रयोदशी तिथि रविवार 4 नवंबर को रात्रि 12:51 बजे से प्रारम्भ होकर दूसरे दिन सोमवार 5 नवंबर को रात्रि 11:17 बजे तक रहेगी। अत: धनतेरस का पावन पर्व सोमवार 5 नवंबर को मनाना शास्त्र सम्मत रहेगा।
सोमवार धनतेरस को वस्तु-क्रय का मुहूर्त चौघडिय़ा मुहूर्त: अमृत-प्रात: 5:57 से प्रात: 7:35 बजे तक। शुभ- दिवा 8:43 से दिवा 10:06 बजे तक। लाभ-दिवा 2:14 से दिवा 3:37 बजे तक। अमृत-दिवा 3:37 से संध्या 5:00 बजे तक। लाभ-रात्रि 9:50 से रात्रि 11:27 बजे तक।
स्थिर लग्न मुहूर्त : वृश्चिक:प्रात: 6:50 से दिवा 9:06 बजे तक। कुंभ-दिवा 12:57 से दिवा 2:29 बजे तक। वृष- संध्या 5:38 से रात्रि 7:38 बजे तक। प्रदोषकालीन मुहूर्त- संध्या 5:00 बजे से रात्रि 7:38 बजे तक।
माता लक्ष्मी व कुबेर का आह्वान व पूजन प्रदोष काल या वृष लग्न में करना श्रेयस्कर रहेगा। यम को दीप दान प्रदोषकाल के उपरांत रात्रि में करें। दिनांक 6 नवंबर मंगलवार को हनुमान जयंती, नरक चतुर्दशी मनाते हुए निशीथ कालीन अमावस्या तिथि में महाकाली पूजा की जाएगी। दीपावली का पर्व बुधवार दिनांक 7 नवंबर को मनाया जाएगा। ।। शुभमस्तु ।।
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