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मुफ्त की गैस खत्म, अब नहीं जल रहा उज्ज्वला का चूल्हा

ग्रामीण क्षेत्रों के निम्नवर्गीय परिवार अपनी गरीबी के कारण इस योजना का सही लाभ नहीं ले पा रहे हैं। उनके पास दोबारा गैस भरवाने के लिए पैसे नहीं हैं।

By Alok ShahiEdited By: Published: Mon, 29 Oct 2018 02:29 PM (IST)Updated: Mon, 29 Oct 2018 02:29 PM (IST)
मुफ्त की गैस खत्म, अब नहीं जल रहा उज्ज्वला का चूल्हा
मुफ्त की गैस खत्म, अब नहीं जल रहा उज्ज्वला का चूल्हा

रांची, विनोद श्रीवास्तव। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना कई मोर्चो पर झारखंड में दम तोड़ती प्रतीत हो रही है। शहर और उससे सटे इलाकों को छोड़ दें तो ग्रामीण क्षेत्रों के निम्नवर्गीय परिवार चाहकर भी इस योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। ऐसी बात नहीं है कि वे इस योजना से अछूते रह गए हैं।

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मुफ्त में मिले गैस सिलेंडर और चूल्हा उनकी झोपडिय़ों  की शोभा तो बढ़ा रहे हैं। लेकिन आर्थिक विपन्नता के कारण पैसे खर्च कर सिलेंडर भरवाना उनके बूते से बाहर है। जबकि नाममात्र के खर्च या मुफ्त में उन्हें आसपास लकड़ी और कोयला जलावन के लिए मिल जाता हैै। राज्य के विभिन्न जिलों के ग्रामीण इलाकों में दैनिक जागरण की पड़ताल इसकी तस्दीक करती है कि मुफ्त का गैस खत्म होते ही कई घरों में उज्ज्वला का चूल्हा नहीं जल रहा है।

सुदूर क्षेत्रों के अधिकतर ग्रामीण परिवार आज भी जलावन के नाम पर लकड़ी, कोयला और गोयठा का उपयोग कर रहे हैं। चूंकि शहरी क्षेत्रों में कुकिंग गैस ही भोजन पकाने का मुख्य साधन होता है और लोगों की आर्थिक स्थिति भी थोड़ी ठीक होती है, इसलिए वहां कई लोग गैस खरीदते हैैं। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में धान उबालने से लेकर पशु चारा तक की व्यवस्था में ईंधन की जरूरत होती है।

ऐसे में 14.2 किलोग्राम का सिलेंडर उनके लिए नाकाफी साबित हो रहा है। पड़ताल में ऐसे दो-चार ग्रामीण ही मिले, जिन्होंने लगभग हजार रुपये के सिलेंडर भरवाने की हिम्मत जुटाई। कई घरों में प्लास्टिक में लिपटा चूल्हा और किनारे रखा सिलेंडर यूं ही पड़ा है।

प्रयास अच्छा लेकिन परिणाम असंतोषजनक : झारखंड में उज्ज्वला योजना को और भी प्रभावी बनाने के लिए राज्य सरकार ने एक कदम आगे बढ़कर लाभुकों को चूल्हा तक मुफ्त में उपलब्ध कराया। सरकार के इन प्रयासों की सराहना की जानी चाहिए। इससे इतर चयनित लाभुकों की मूलभूत जरूरतों पर सरकार का ध्यान नहीं गया। बमुश्किल दो जून की रोटी का जुगाड़ कर पाने में खुद को अक्षम महसूस कर रहे इस योजना के लाखों परिवार हजार रुपये का सिलिंडर कैसे भरवाएंगे, किसी ने इसकी सुध नहीं ली।

फैक्ट फाइल : -राज्य सरकार ने 28 लाख 53 हजार 904 परिवारों को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से जोडऩे का लक्ष्य रखा है।-24 लाख 80 हजार 109 परिवारों के नाम जारी हुआ कनेक्शन।-20 लाख 93 हजार 109 परिवारों के घर में कुकिंग गैस की उपलब्धता सुनिश्चित करने का सरकार ने किया दावा।-महिलाविहीन तीन लाख 18 हजार 614 परिवारों को नहीं मिला उज्ज्वला का लाभ।

सीधी बात : गांव में गैस का उपयोग करने वाले ढूंढने पर ही मिलेंगे। एक तो गैस भरवाना हो तो 20 किलोमीटर दूर कुमारडुंगी जाओ, दूसरी तरफ एकमुश्त नौ सौ रुपये का भुगतान करो। इतने में तो एक माह का राशन आ जाएगा। रोज कमाने खाने वालों के लिए यह कहां संभव है। जहां तक ईंधन की बात है, कल भी जंगल से लकडिय़ां लाते थे, आज भी यह क्रम जारी है। -पौती देवी, (रायकमन), बासो देवी, (कुमारडुंगी), पश्चिमी सिंहभूम

दलमा की गोद में बसे आदिवासी बहुल गांव चाकुलिया के 35 परिवार गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। उज्ज्वला योजना की सफलता में यहां आर्थिक तंगी बाधक बनी हुई है। इन परिवारों में से 10-15 भी ऐसे नहीं हैं, जो दोबारा सिलिंडर भरवा सके। -नरसिंह सरदार मुखिया, चिलगु पंचायत (दलमा) जमशेदपुर

छह माह पहले पंचायत के मुखिया दिलीप मुंडा के प्रयास से गैस कनेक्शन मिला था। बेटा मजदूरी कर परिवार चलाता है। गैस पर सारा काम करने से गैस एक से डेढ़ माह ही चलता है। तत्काल की जरूरतों की पूर्ति के लिए ही गैस का इस्तेमाल करते हैं। धान उबालनेे, पानी गर्म करने का काम आज भी लकड़ी के चूल्हे पर हो रहा है। -रूपी लकड़ा, सिदरौल, रांची

गैस कनेक्शन मिला, परंतु मुझे संबंधित कागजात नहीं मिले। गैस खत्म होने वाली है, कैसे भरवाएं? -बिरसी पूर्ति व सुनीता कच्छप बालीडीह, शिवपुरी कॉलोनी, बोकारो

दोबारा गैस भरवाने के लिए पैसे की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। अभी जंगल की लकड़ी से काम चल रहा है।-नमिता देवी, कसमार, बोकारो


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