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महिलाओं ने उठाई आवाज, अपने स्वाभिमान के लिए आगे आएं बेटियां

रविवार को धुर्वा में शिव शिष्य परिवार के द्वारा एक अध्यात्मिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बेटियों के विकास पर बल दिया गया, स्वामी हरीदानंद ने कहा कि बेटियां हमारा स्वाभिमान हैं।

By Edited By: Published: Mon, 29 Oct 2018 07:07 AM (IST)Updated: Mon, 29 Oct 2018 07:11 AM (IST)
महिलाओं ने उठाई आवाज, अपने स्वाभिमान के लिए आगे आएं बेटियां

रांची, जासं। शिव-शिष्य परिवार, रांची की ओर से रविवार को 'बेटी है तो सृजन है, बेटी है तो कल है' विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी 'बाग्ला सास्कृतिक परिषद' धुर्वा में हुई। कालखंड के प्रथम शिव शिष्य हरीन्द्रानन्द ने सामाजिक परिवेश के परिप्रेक्ष्य में कहा कि शिव की बनाई हुई दुनिया में हम भेदभाव क्यों करते हैं? शिव तो स्वयं अर्धनारीश्वर हैं। हम किस दौर से गुजर रहे हैं, यह समझ से परे है।

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बेटियों के बिना तो परिवार ही अधूरा हो जाता है। सम्मान तो बहुत छोटी बात है। हमारा अस्तित्व ही खतरे में आ जाएगा, क्योंकि यही बेटिया बड़ी होकर मां बनती हैं। हमारे गुरु शिव अपनी बनाई हुई सृष्टि में भेदभाव नहीं करते। शिव की शिष्यता ही मानवता के सुमन खिलाएगी और हमारी दुनिया, हमारा समाज सुवासित और समृद्ध होगा। संगोष्ठी का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ।

शिव-शिष्य परिवार के मुख्य सलाहकार अर्चित आनन्द ने बेटियों के सम्मान विषय पर बोलते हुए कहा कि हमारे समाज में बेटियों को बराबर का दर्जा मिले, इसके लिए हम कृतसंकल्पित हैं। हमारा पूरा परिवार देश की बेटियों के साथ खड़ा है। सम्मान पाना उनका हक है। हम कुछ नया नहीं कर रहे हैं अपितु हमारी संस्कृति रही है कि बेटियों को पूजा जाता है।

हाल ही में नवरात्रि में कुमारी पूजन तथा शक्ति आराधना का पर्व समूचे देश-विदेश में बड़ी निष्ठा एवं श्रद्धा से मनाया गया है। उन्होंने कहा कि शिव शिष्यता ने समाज को जागरूक करने का प्रयास किया है। आज हमारी बेटिया बाहर निकलती हैं, पढ़ती हैं, शिव चर्चा करती हैं। उपाध्यक्ष बरखा ने बेटियों को 'अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी' पर कहा कि रजिया सुल्तान, रानी लक्ष्मी बाई, इंदिरा गांधी, कल्पना चावला आदि ने बेटियों को सबला प्रमाणित किया।

हमें जागृत होना होगा एवं समाज को जागृत करना होगा। सचिव अभिनव आनंद ने भी अपने विचार रखे। जहा नारी की पूजा होगी, सम्मान होगा, वहीं देवता विराजते हैं। निहारिका एवं अन्य लोगों ने भी अपने विचार प्रकट किए। संगोष्ठी में देशभर से लगभग चार हजार लोग आए थे। महिलाओं की संख्या अधिक थी।


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