चांद निकला तो चहक उठीं सुहागिनें
परंपरागत तरीके से उल्लास के साथ मना करवा चौथ, चलनी से हुआ चांद और महबूब का दीदार
जागरण संवाददाता, रांची : करवा चौथ का त्योहार शनिवार को शहर में धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर सुहागिन महिलाओं ने दिनभर व्रत रखकर पति की लंबी आयु के लिए दुआ मांगी। पंजाबी और मारवाड़ी समाज समेत यूपी, हरियाणा की महिलाओं ने इसके लिए काफी पहले से ही तैयारी कर रखी थी। दिनभर उपवास रख महिलाओं ने विधि-विधान, परंपरा एवं पूरे उत्साह के साथ इस मौके पर पूजा की।
दिनभर के उपवास के बाद जब शाम में आसमान में चांद नजर आया तो मानो सुहागिनों की मन मांगी मुराद पूरी हो गई। चलनी से चांद का दीदार कर महिलाओं ने पूजा-पाठ करते हुए पति को भी चलनी से देखा और उनकी सलामती की दुआ मांगी। पंजाबी भवन समेत कई जगहों पर समूह में भी महिलाओं ने पूजा की। इसके अलावा कई अपार्टमेंट में भी महिलाएं समूह में पूजा करती देखीं गईं। ----
उमड़ पड़ा सजना का प्यार शाम में चांद निकला तो नजारा ही कुछ और था। चांद के दीदार को बेताब सुहागिन महिलाएं छत की ओर भागीं, तो कुछ लंबे समय से चांद के इंतजार में पहले से ही छत पर खड़ी थीं। नई नवेली दुल्हनों में त्योहार को लेकर खासा उत्साह था। उन्हें कई दिन पहले से बड़े बुजुर्गो से लगातार त्योहार को लेकर नसीहतें भी मिली थीं, जिनका उन्होंने खासा ध्यान रखा। शाम में पूजा की बारी आई तो पतियों का प्यार भी अपनी जीवन संगिनियों पर उमड़ पड़ा। पत्नी ने जहां आरती उतार कर और चलनी में चांद की तरह देखकर उनकी पूजा की वहीं पति ने भी अपने हाथों से सजनी का व्रत तुड़वाया। एक-दूसरे से लोग गले भी मिले। प्यार की बारिश हुई और व्रत पूरा हुआ। दिन में भी पति अपनी दुल्हनों की फिक्र करते नजर आए।
परियों सी सजीं दुल्हनें, खूब हुआ श्रृंगार
शनिवार सुबह से ही सुहागिनें सज धज कर करवा चौथ व्रत की तैयारी के लिए जुटी रहीं। इस दौरान मेहंदी लगाने वालों की दुकानों पर काफी भीड़ रही। महिलाओं ने एकत्रित होकर थाली बदलने की रस्म भी निभाई। सुंदर परिधानों में सजी महिलाओं में व्रत को लेकर काफी उत्साह रहा। इस दौरान सुहागिनों ने गीत गाकर ठुमके भी लगाए। कई जगह भजन और धार्मिक गीत भी बजते सुनाई दिए। महिलाओं ने इसके लिए खूब खरीदारी भी की। मंदिरों में भी पूजा को लेकर काफी भीड़ थी। गौरी-शंकर-गणेश व कार्तिकेय की भी हुई पूजा कार्तिक माह की चतुर्थी को मनाए जाने वाला करवा चौथ पर्व सुहागिनों के लिए काफी अहमियत रखता है। इस दिन चंद्रमा के साथ भगवान शिव, पार्वती, गणेश और कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है। नियम, उपवास और विधि-विधान के साथ संपन्न होने वाले सुहाग के इस पर्व के बारे में मान्यता है कि इस व्रत को रखने से जहां महिलाओं के पतियों की आयु लंबी होती है वहीं पतियों की अन्य मुश्किलें भी दूर होती हैं। इस पर्व के बारे में कई कहानियां और मान्यताएं प्रचलित हैं। यह भी कथा है कि सावित्री द्वारा यमराज से अपने पति सत्यवान को मृत्यु के बाद वापस मांग लेने के पीछे भी इस व्रत की महत्ता और ताकत थी। त्योहार के मौके पर पूजा के उपयोग में आने वाले करवा समेत अन्य पूजन सामग्री की भी जमकर बिक्री हुई। चलनी और पूजा की थाल को भी महिलाओं ने फूलों और अन्य सजावटी सामान से सजाया था। पतियों ने उपहार स्वरूप आभूषण व अन्य पसंद की चीजें भी पत्नी को भेंट कीं।