10 हजार सिमकार्ड के आतंकी कनेक्शन पर एटीएस खाली हाथ, अब दिल्ली आइबी करेगी जांच
बल्क में 10 हजार सिमकार्ड के सवाल पर कंपनी संतोषजनक जवाब नहीं दे पा रही है। इस मामले में पकड़े गए तीनों संदिग्धों को थाने से छोड़ दिया गया है।
रांची, राज्य ब्यूरो। बल्क में 10 हजार सिमकार्ड के सवाल पर सिमकार्ड आवंटित करने वाली कंपनी के अधिकारी आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) को टहलाते रहे। शुक्रवार को दिनभर की पूछताछ में भी एटीएस को संतोषजनक जवाब नहीं मिल सका। कंपनी के अधिकारियों ने यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया है कि व्यवसायिक कार्य के लिए सभी सिमकार्ड आवंटित किए गए हैं जो नियम के तहत किया गया है।
अब एटीएस के अधिकारी सिमकार्ड आवंटित करने वाली कंपनी के गोलमटोल जवाब का काट ढूंढ रहे हैं, ताकि कंपनी की जालसाजी का खुलासा किया जा सके। वहीं इस मामले की जांच अब दिल्ली आइबी की टीम करेगी।
छोड़े गए तीन युवकों में दो सगे भाई : सिमबॉक्स के साथ हिरासत में लिए गए तीनों युवकों को एटीएस ने शुक्रवार को पीआर बांड पर छोड़ दिया है। इनमे से एक बिहार के औरंगाबाद का और दो लातेहार के बालूमाथ के सगे भाई हैं। पूछताछ में तीनों ने बताया है कि वे जावेद अहमद की कंपनी में काम करते थे। यह कंपनी कांटाटोली स्थित हसीबा इनक्लेव के एक फ्लैट में संचालित है जो बल्क एसएमएस भेजने का काम करती है।
एडीजी ने कहा, जांच अभी पूरी नहीं : सीआइडी के एडीजी अजय कुमार सिंह ने बताया कि जांच अभी पूरी नहीं हुई है। सिमबॉक्स के साथ संदेह के आधार पर पूछताछ के लिए लाए गए युवकों ने अपनी कंपनी को रजिस्टर्ड बताया है। वहीं, सिमकार्ड आवंटित करने वाली कंपनी भी इसे नियम के तहत दिया जाना बताया है। फिर भी जांच के कई बिंदु अभी बाकी हैं, जिसपर छानबीन जारी है। जांच पूरी होने के बाद ही कुछ भी कहा जा सकेगा।