झारखंड में छह विधायकों के दल बदल मामले में तारीख पर तारीख, कब होगा फैसला
झारखंड में छह विधायकों के पाला बदलकर भाजपा में शामिल होने के मामले की सुनवाई तारीख दर तारीख चल रही है।
राज्य ब्यूरो, रांची। कोर्ट की सुनवाई किसी नतीजे तक आने में सालों लग जाते हैं। इससे इतर चलने वाले मामले भी खासी लंबी अवधि तक चलते हैं। झारखंड में छह विधायकों के पाला बदलकर भाजपा में शामिल होने का मामला भी कुछ इसी ढर्रे पर है। लगभग चार साल से चल रहे इस मामले की सुनवाई तारीख दर तारीख चल रही है। विधानसभा परिसर में इसके लिए खास अदालत लगती है और जज की भूमिका में होते हैं विधानसभा के स्पीकर। हालांकि उन्होंने सुनवाई की प्रक्रिया में तेजी लाते हुए लगभग हर सप्ताह तारीख देने की कवायद की लेकिन गवाहों की तादाद और पक्ष-विपक्ष के दावे में यह मामला लंबा खींच रहा है।
इससे यह सवाल उठ रहा है कि आखिरकार कब इस मामले में फैसला होगा, क्योंकि विधानसभा की अवधि अब लगभग एक साल ही बची है। दरअसल, 2014 में झारखंड विधानसभा के चुनाव के बाद पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा ने आठ सीटों पर जीत हासिल की लेकिन जल्द ही उनके छह विधायक छिटक गए। इन विधायकों ने सत्ताधारी भाजपा में शामिल होने की घोषणा कर दी और पार्टी के विलय का दावा ठोक दिया। बाबूलाल मरांडी ने इसे चुनौती दी। इसके बाद से यह मामला स्पीकर की अदालत में चल रहा है।
पाला बदलने वाले विधायकों की बल्ले-बल्ले
भाजपा में शामिल होने वाले विधायकों को इसका फायदा भी हुआ। दो विधायकों अमर कुमार बाउरी और रणधीर कुमार सिंह को मंत्री की कुर्सी मिल गई जबकि तीन को अलग-अलग बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया। इस मामले में दोनों पक्षों की गवाही और शिकायत करने वाले पक्ष की बहस पूरी हो चुकी है। अब भाजपा की तरफ से बहस चल रही है। छह में से तीन विधायकों की ओर से बहस पूरी की जा चुकी है। तीन विधायकों का पक्ष जानने के बाद स्पीकर कोर्ट किसी नतीजे तक पहुंच सकता है।
वादी दलबदल, प्रतिवादी विलय की बात पर अड़ा
वादी पक्ष (झाविमो) छह विधायकों के भाजपा में शामिल होने के मामले को दलबदल करार दे रहा है। इससे इतर प्रतिवादी (भाजपा) झाविमो का विलय भाजपा में हो जाने का दावा ठोक रहा है। झाविमो जहां इस मामले में 10वीं अनुसूची के तहत संबंधित विधायकों की सदस्यता रद करने की वकालत कर रहा है, वहीं प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ता इसे यह कहकर खारिज करने पर डटे हैं कि आठ में दो तिहाई विधायकों के पार्टी छोड़ने के साथ ही संवैधानिक रूप से झाविमो का विलय भाजपा में हो चुका है।