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झारखंड में खतरनाक साबित हो रहीं आनुवंशिक बीमारियां

झारखंड में आनुवंशिक (जेनेटिक) बीमारियां थैलीसीमिया, सिकल बीटा पीड़ितों की संख्या बढ़ी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Oct 2018 07:54 AM (IST)Updated: Sun, 07 Oct 2018 07:54 AM (IST)
झारखंड में खतरनाक साबित हो रहीं आनुवंशिक बीमारियां
झारखंड में खतरनाक साबित हो रहीं आनुवंशिक बीमारियां

नीरज अम्बष्ठ, रांची। झारखंड में आनुवंशिक (जेनेटिक) बीमारियां थैलीसीमिया, सिकल बीटा थैलीसीमिया, थैलीसीमिया माइनर, सिकल सेल एनीमिया आदि खतरनाक साबित हो रही है। राज्य सरकार द्वारा रांची तथा जमशेदपुर में गर्भवती महिलाओं व बच्चों की जांच में यह बात सामने आई है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने केंद्र से अविलंब सहयोग की मांग की है।

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हिमोग्लोबिनोपैथी कंट्रोल प्रोग्राम के तहत रांची के 7,925 बच्चों व गर्भवती महिलाओं तथा जमशेदपुर के 605 बच्चों की जांच की गई। जिन 8,530 की जांच हुई, उनमें 270 बच्चों में सिकल सेल बीमारियों के लक्षण मिले, जबकि 23 में इस बीमारी के होने की पुष्टि हुई। इसी तरह, उनमें 166 बच्चों में थैलीसीमिया के लक्षण मिले, जबकि 11 में इस बीमारी के होने की पुष्टि हुई। राज्य सरकार ने केंद्र को इसकी जानकारी देते हुए राज्य में प्री नेटल डायग्नोस्टिक सेंटरों (प्रसव पूर्व इन बीमारियों की जांच के लिए सेंटर) तथा बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन यूनिट की स्थापना के लिए आर्थिक सहयोग की मांग की है। साथ ही रिम्स में इन बीमारियों की जांच व इलाज के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की मांग की गई है। प्रदेश की स्वास्थ्य सचिव निधि खरे ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन को पत्र लिखकर आनुवंशिक बीमारियों की भयावहता को देखते हुए इसपर तत्काल निर्णय लेकर स्वीकृति देने का अनुरोध किया है।

सात अन्य जिलों में भी होगी जांच

केंद्र ने इस प्रोग्राम के तहत पायलट बेसिस पर तीन जिलों का चयन किया था, जिनमें देवघर में जांच होना बाकी है। केंद्र ने इस साल गुमला में बीटा चेक मेथड से जांच की स्वीकृति दी है। वहीं, इस साल सिमडेगा, हजारीबाग, पश्चिमी सिंहभूम, दुमका तथा खूंटी में भी बच्चों व गर्भवती महिलाओं में आनुवंशिक बीमारियों की जांच होगी।

बीमारी में राष्ट्रीय औसत से दोगुनी है राज्य की दर

राज्य में जन्म लेने वाले एक हजार नवजातों में तीन से चार नवजातों में थैलीसीमिया तथा सिकल सेल एनीमिया पाई जाती है। रांची के रिम्स में कराए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई कि यहां इलाजरत मरीजों में 0.38 फीसद से लेकर 4.17 से ऊपर तक आनुवंशिक बीमारियों के मरीज थे। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में ऐसी जेनेटिक बीमारियों की दर आठ फीसद है, जो राष्ट्रीय दर 3.8 से लगभग दोगुनी है।

क्या है जेनेटिक बीमारियों का हाल (आंकड़े प्रतिशत में)

थैलीसीमिया : 4.17, सिकल बिटा थैलीसीमिया : 2.53, सिकल सेल डिजीज : 3.03, थेलीसीमिया माइनर : 0.25, आइडीए : 2.27, जिनकी जांच नहीं होती : 0.38

क्या है बीमारी

सिकल सेल एनीमिया तथा सिकल सेल बीटा थैलीसीमिया आनुवंशिक बीमारी है, जो बच्चों को माता-पिता से प्राप्त होती है। आदिवासियों में होनेवाली यह बीमारी लाइलाज है, जिसका समय रहते बचाव ही बेहतर उपाय है। इस बीमारी से प्रभावित होने पर संक्रमण, एनीमिया, छाती में दर्द, आघात, पांव में अल्सर आदि समस्याएं आती हैं।

टरबीडिटी टेस्ट से चलता है पता

बच्चों में रक्त के टरबीडिटी टेस्ट से इस बीमारी का पता चलता है। बाद में इस बीमारी की पुष्टि एचपीएलसी टेस्ट के माध्यम से होती है, जो अभी रिम्स में ही उपलब्ध है।

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