जिंदगी बिता दी बेटी पढ़ाने में, अब नहीं बन रहा जाति प्रमाण पत्र
रांची : राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के सदस्य दिलीप के हाथीबेड ने गुरुवार को समाहरणालय में सफ
रांची : राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के सदस्य दिलीप के हाथीबेड ने गुरुवार को समाहरणालय में सफाईकर्मियों के विभिन्न यूनियन सदस्यों के साथ बैठक की। इस दौरान सफाईकर्मियों ने जाति प्रमाण पत्र नहीं बनाए जाने का मामला उठाया। आयोग के सदस्य के समक्ष अपनी फरियाद व्यक्त करते हुए एक सफाईकर्मी ने बताया कि मैने अपनी जवानी व पूंजी लगा दी बेटी को पढ़ाने में। उनके बच्चे भी आज उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं। सीबीएसई बोर्ड के तहत उनके बच्चे भी 10 सीजीपीए हासिल कर रहे हैं। फिर भी उच्च शिक्षा के लिए उनके बच्चों का जाति प्रमाण पत्र नहीं बन रहा है। मुख्यमंत्री ने भी पत्र लिखकर दिया, फिर भी तीन माह बाद तक जाति प्रमाण पत्र नहीं बना। अब ऐसी नौबत आ गई है कि उनके बच्चे सफाईकर्मी बनें, आत्महत्या करें या फिर नक्सली बनें।
यह सुनते ही आयोग के अध्यक्ष ने उप नगर आयुक्त संजय कुमार से कहा कि आप 40-50 साल पूर्व का रिकॉर्ड निकलवाएं और उस आधार पर जाति प्रमाण पत्र निर्गत कराएं। कहा, यदि सफाईकर्मी संपन्न होते तो झाड़ू नहीं लगाते। इनके पास जमीन कहां से आएगा। पूर्व के रिकॉर्ड के आधार पर ही सत्यापन करें। जांच कमिटी में थोड़ी शिथिलता लाई जाए। सफाईकर्मियों ने उन्हें बताया कि फिलहाल सफाईकर्मियों के लगभग 10 मोहल्ले हैं। लिहाजा उनके सर्विस बुक के आधार पर जाति प्रमाण पत्र निर्गत किया जाए।
एक सफाईकर्मी ने यह भी कहा कि जाति मामले में अधिकारी खतियान की मांग करते हैं। अब नगर निगम के अधिकारी ही यह बता रहे हैं कि खतियान के बिना भी जाति प्रमाण पत्र बनाया जा सकता है। यदि यह संभव है तो अधिकारियों ने इस प्रक्रिया का प्रचार-प्रसार क्यों नहीं किया। इस अवसर पर नगर आयुक्त मनोज कुमार, सहायक लोक स्वास्थ्य पदाधिकारी डॉ. किरण कुमारी, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी ईशा खंडेलवाल समेत कई अधिकारी उपस्थित थे।
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सफाईकर्मियों से पूछा, क्वार्टर की सुविधा मिली या नहीं
बैठक में आयोग के अध्यक्ष ने सफाईकर्मियों से पूछा कि उन्हें क्वार्टर की सुविधा दी जा रही है या नहीं। जवाब में कर्मी भगत बाल्मीकि ने बताया कि बेलदार मोहल्ला, ¨हदपीढ़ी, भुइयां टोली व बाल्मीकि नगर में कुछ खपरैल व कुछ एस्बेस्टस के क्वार्टर हैं। 30-40 वर्ष पूर्व इन क्वार्टरों की मरम्मत करायी गई थी। फिलहाल भवन निर्माण विभाग की जमीन पर नगर निगम के सफाईकर्मी कई वर्षो से रह रहे हैं। हालांकि अब तक सफाईकर्मियों के आवासीय सुविधा के लिए कोई सर्वे भी नहीं कराया गया है। उप नगर आयुक्त ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उपायुक्त ने 8.5 एकड़ जमीन उपलब्ध कराई है। वहां सफाईकर्मियों को आवास बनाकर उपलब्ध कराए जाएंगे।
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पीएफ एकाउंट में कितने पैसे जमा हुए, सफाईकर्मियों को नहीं है जानकारी
आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि सफाईकर्मियों को यह भी पता नहीं कि उनके पीएफ एकाउंट में कितने पैसे जमा हैं। हालांकि उप नगर आयुक्त ने बताया कि फिलहाल पीएफ एकाउंट खोले जा चुके हैं, लेकिन पासबुक की सुविधा उपलब्ध नहीं है। उन्होंने यह भी पूछा कि सफाईकर्मियों के स्वास्थ्य की जांच की जाती है या नहीं। जवाब में सहायक लोक स्वास्थ्य पदाधिकारी डॉ. किरण कुमारी ने बताया कि साल में दो बार सफाईकर्मियों के स्वास्थ्य की जांच कराई जाती है। सफाईकर्मियों ने आयोग के सदस्य से कहा कि उन्हें सातवें वेतनमान का लाभ नहीं दिया जा रहा है। जवाब में उप नगर आयुक्त ने कहा कि सातवें वेतनमान के तहत रांची नगर निगम को 15-20 करोड़ रुपये अतिरिक्त राशि का वहन करना होगा। बैठक में सफाईकर्मियों के आश्रितों को नौकरी देने का मामला भी उठा। जवाब में उप नगर आयुक्त ने बताया कि फिलहाल 19 आश्रितों को निगम में नौकरी दी गई है।