अब बच्चों की सुरक्षा से मुंह नहीं मोड़ सकेंगे प्राइवेट स्कूल, तय होगी स्कूलों की जवाबदेही
सभी प्राइवेट स्कूलों में पैरेंट्स-टीचर्स एसोसिएशन (पीटीए) गठित करने को कहा गया है। यह बच्चों की सुरक्षा के प्रति पूरी जवाबदेही से कार्य करेगा।
रांची, नीरज अम्बष्ठ। प्राइवेट स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्कूलों की जवाबदेही तय होगी। प्रत्येक प्राइवेट स्कूलों में पैरेंट्स-टीचर्स एसोसिएशन (पीटीए) गठित किए जाएंगे। ये एसोसिएशन अपने स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर वर्क प्लान तैयार करेंगे। बच्चों की सुरक्षा को लेकर पीटीए के सुझावों या शिकायतों पर कार्रवाई नहीं करने पर प्राइवेट स्कूलों के विरुद्ध दंड के भी प्रावधान किए गए हैं।
केंद्र ने बकायदा इसे लेकर गाइडलाइन तैयार कर राज्य सरकार से उसपर सुझाव मांगा है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अवर सचिव सुशील भूषण द्वारा राज्य के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के प्रधान सचिव एपी सिंह को भेजे गए पत्र व गाइडलाइन के ड्राफ्ट के अनुसार, स्कूलों में गठित होनेवाले पीटीए में तीन चौथाई सदस्य अभिभावक होंगे।
इसके तहत प्रत्येक कक्षा व सेक्शन से एक-एक अभिभावक इसके लिए मनोनीत किए जाएंगे। इन अभिभावकों में एक चौथाई वैसे बच्चों के अभिभावक होंगे जो बीपीएल श्रेणी से स्कूलों में नामांकित हैं। पीटीए में प्री-प्राइमरी, प्राइमरी, अपर प्राइमरी, सेकेंड्री तथा सीनियर सेकेंड्री से एक-एक शिक्षक सदस्य के रूप में शामिल होंगे। इनके अलावा इसमें स्थानीय निकायों के एक तथा स्कूल प्रबंधन के एक प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।
प्राइवेट स्कूलों में गठित किए जानेवाले पैरेंट्स-टीचर्स एसोसिएशन के सदस्यों में 50 फीसद महिलाएं होंगी।
एसोसिएशन का गठन प्रत्येक शैक्षणिक सत्र के लिए होगा। इसकी नियमित बैठकें होंगी और उनमें लिए गए निर्णय व मिनट्स की कॉपी अनुपालन के लिए प्राचार्य को दी जाएगी। पीटीए स्कूलों का निरीक्षण भी कर सकेगा। एनसीपीसीआर द्वारा तैयार चेकलिस्ट के आधार पर इसकी जांच करेगा कि गाइडलाइन का अनुपालन हो रहा है या नहीं।
एक से पांच फीसद रेवेन्यू की हो सकती है वसूली : ड्राफ्ट गाइडलाइन के अनुसार पीटीए के सुझावों के अनुपालन नहीं करने पर इसकी शिकायत बीईईओ या डीईओ से की जाएगी। इसके बाद भी स्कूल द्वारा कोई पहल नहीं की जाती है तो डीसी द्वारा मामले की जांच की जाएगी। डीसी द्वारा स्कूल को दोषी पाए जाने पर स्कूल के पिछले वर्ष के कुल रेवेन्यू के एक फीसद राशि का दंड या नामांकन से डिबार करने का दंड लगा सकते हैं। दूसरी व तीसरी बार में भी अनुपालन नहीं करने पर यह दंड राशि तीन व पांच फीसद भी हो सकती है।
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर कार्रवाई : सर्वोच्च न्यायालय ने इसी साल 15 अप्रैल को जारी अपने एक आदेश में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को लेकर स्कूल मैनेजमेंट की जवाबदेही तय करने के लिए गाइडलाइन तैयार करने का निर्देश केंद्र को दिया है। कोर्ट के आदेश पर केंद्र ने राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के सहयोग से गाइडलाइन का ड्राफ्ट तैयार किया।
यह भी प्रावधान : -पीटीए के सदस्यों के नाम स्कूलों की वेबसाइट तथा नोटिस बोर्ड पर लगाने होंगे।
-प्रत्येक स्कूलों में बाल लैंगिक अपराधों की शिकायतों के लिए अलग से कमेटी गठित की जाएगी।