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लोकमंथन : पद्मश्री अशोक भगत बोले, सभी काम सरकार के भरोसे नहीं छोड़ सकते

लाेक मंथन में पद्मश्री अशोक भगत ने न विधानसभा न लोकसभा सबसे बड़ी है ग्रामसभा का नारा बुलंद किया।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sat, 29 Sep 2018 06:48 PM (IST)Updated: Sat, 29 Sep 2018 06:48 PM (IST)
लोकमंथन : पद्मश्री अशोक भगत बोले, सभी काम सरकार के भरोसे नहीं छोड़ सकते
लोकमंथन : पद्मश्री अशोक भगत बोले, सभी काम सरकार के भरोसे नहीं छोड़ सकते

रांची, जागरण संवाददाता। विकास भारती के सचिव पद्मश्री अशोक भगत ने कहा कि सभी काम सरकार के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। लोकतंत्र में हर व्यक्ति सरकार है। सरकार क्या नहीं कर सकती इसकी सूची बननी चाहिए और उन सभी कामों को समाज को करने दीजिए।

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उन्होंने एक बार फिर अपने पुराने नारे न लोकसभा, न विधानसभा, सबसे ऊंची ग्राम सभा के नारे को बुलंद करते हुए कहा कि कुछ लोग पत्थलगड़ी के नाम पर इसका दुरुपयोग कर रहे हैं। ग्राम स्वायत्तशासी हो इसका यह अर्थ नहीं है कि हम केंद्र व राज्य की सरकारें एवं भारतीय संविधान को नहीं मानते हैं। यह बातें उन्होंने प्रज्ञा प्रवाह की ओर से आयोजित चार दिवसीय लोकमंथन कार्यक्रम के तीसरे दिन सुबह के सत्र में व्यवस्थावलोकन विषय पर अपनी बात रखते हुए कही। 

उन्होंने अपने 33 वर्षों के काम के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि मैं व्यवस्था परिवर्तन का सिपाही रहा हूं। व्यवस्था से टकराव, लडऩा एवं सहयोग देना यह सब करते हुए काम करके दिखाया है। आदिवासी समाज के उत्थान के लिए काम किया और उनकी अच्छी बातों को समाज को बताने का काम किया, जिसे लोग नहीं जानते थे। अशोक भगत ने कहा कि एक बार मैंने कोर्ट, कचहरी, थाना व पुलिस का बहिष्कार करो एवं गांव का शासन में का भी नारा दिया था।

मैंने कहा था कि जनता जिसे बोझ समझती है उसकी जरूरत क्या है। अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि एक बार नक्सलियों ने जब मुझे घेरा तो कहा कि तुम आरएसएस के हो, बाहर से आए हो इसलिए तुमसे दुश्मनी है। परंतु एक बात अच्छी है कि तुम जमींदारों के खिलाफ लड़ रहे हो इसलिए तुमको छोड़ रहा हूं।

यहां जनता के नाम पर जनता को लोग बेवकूफ बनाते हैं : अशोक भगत ने कहा कि जब मैं उत्तर प्रदेश से बिशुनपुर में काम करने आया तो गांवों में जाता था। लोगों को समझता था और लोग स्वागत भी करते थे। इससे जनता को बेवकूफ बना रहे पादरी घबराया और लोगों को मना किया कि इसकी बात मत मानो। मैंने जब जाकर पूछा तो कहा कि तुम्हें मैं जानता नहीं, तुम बाहर के हो। तुम पैसा कहां से लाओगे। मैंने कहा कि केवल पैसे के बल पर ही विकास नहीं हो सकता। इस बात को आप गांठ बांध लीजिए।

भारत की परंपरा में बातें व गपशप करना महत्वपूर्ण है : भगत ने भारत की प्राचीन परंपरा निरंतर बातें करना, गपशप करना को महत्वपूर्ण बताया। कहा, इससे कई तरह की बातें सामने आती है। खेती भी हमारी परंपराओं को बताती है।

प्रशासनिक अधिकारियों को पता नहीं कि किसी व्यक्ति के लिए हर मिनट कितना महत्वपूर्ण : जयंत सिन्हा : केंद्रीय नागरिक उड्यन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने लोकमंथन कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा कि लोगों में जागरूकता, प्रशासनिक अधिकारियों में काम करने की क्षमता एवं उनकी जवाबदेही से ही काम के अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। आजकल के अधिकतर अधिकारियों को समय का महत्व पता नहीं है। उन्हें यह पता नहीं है कि किसी व्यापारी के लिए एक मिनट भी कितना महत्वपूर्ण है।

वे यह नहीं जानते कि उनका काम नहीं होने के कारण एक-एक मिनट में उन्हें कितना नुकसान होता है। सिन्हा ने कहा कि गुड गर्वनेंस के लिए जागरुकता महत्वपूर्ण है। उन्हें यह पता न होना चाहिए कि सरकार क्या कर रही है। यह क्या चीज है। लोग केवल यह चाहते हैं कि मेरा पेट भर जाए। गर्वनेंस ठीक करने के लिए जागरूकता जरूरी है।

बीपीएल कार्ड केवल गरीब को मिले यह जागरूकता बनानी होगी। उन्होंने हजारीबाग की चर्चा करते हुए कहा कि वहां स्कोर कार्ड की परंपरा शुरू की। जो अब जिला से लेकर प्रखंड स्तर तक लागू है। इसके माध्यम से प्रशासनिक कार्यों का मूल्यांकन एवं उसके उपरांत सुधार की संभावनाओं को तलाशने का प्रयास किया जा रहा है। इसके प्रशासनिक कार्यकुशलता में वृद्धि हुई है।

भारत तेजी से विकास कर रहा है: माधवराव चितले : इस अवसर पर माधव राव चितले ने कहा कि भारत तेजी से विकास कर रहा है। प्रगति की दृष्टि से यह 60 फीसद की गति से चल रहा है। संपत्ति की दृष्टि से यह 10 वर्ष में दोगुनी और 30 वर्ष में आठ गुनी बढ़ जाएगी। 10 वर्ष बाद वित्तीय दृष्टि से दोगुना सघन रहेंगे। उन्होंने कार्यकर्ताओं में नेतृत्व क्षमता विकसित करने की बात कही। विकास की आधुनिक दृष्टि की क्षमता कार्यकर्ताओं में चाहिए। जहां ऐसा मिला वहां बदलाव आया।


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