लोकमंथन से निकलने वाले निष्कर्ष से देश को मिलेगा लाभ : दिनेश उरांव
-पद्मश्री अशोक भगत ने कहा, झारखंड की संस्कृति एवं परंपरा किसी रत्न से कम नहीं है। वे प्रदर्शनी के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे। -लोकमंथन में
-पद्मश्री अशोक भगत ने कहा, झारखंड की संस्कृति एवं परंपरा किसी रत्न से कम नहीं -लोकमंथन में भारत दर्शन प्रदर्शनी का हुआ उद्घाटन, आम लोगों के लिए रहेगा खुला जागरण संवाददाता, रांची : भोपाल से प्रारंभ हुई राष्ट्रवादी चिंतकों की यात्रा का दूसरा पड़ाव रांची है। बुधवार को लोकमंथन के द्वितीय अध्याय का शुभारंभ खेलगाव के टाना भगत स्टेडियम में प्रदर्शनी के उद्घाटन से हो गया। प्रदर्शनी का उद्घाटन विधानसभा अध्यक्ष डॉ. दिनेश उरांव, पदश्री अशोक भगत, पद्मश्री यशोधर मठवाल, पद्मश्री सिमोन उराव, सदानंद, जगलाल पाहन एवं केंद्रीय विश्वविद्यालय से कुलपति प्रो. नंद कुमार इंदु उपस्थित रहे। इस मौके पर दिनेश उरांव ने कहा कि झारखंड की पावन धरती पर इस कार्यक्रम का आयोजन गर्व की बात है। इस प्रदर्शनी में झारखंड के वैभव व भारत के शहीदों को समर्पित प्रदर्शनी भी लगाई गई है। भारत के विकास के लिए लोकमंथन कार्यक्रम में मंथन के बाद निकलने वाले निष्कर्ष से देश को भविष्य में फायदा पहुंचेगा।
पद्मश्री अशोक भगत ने अपने संबोधन में कहा कि झारखंड के गर्भ मे रत्न भरे पड़े हैं। यहा की संस्कृति यहा की परंपरा किसी रत्न से कम नही है। हमारा समाज एक है। हम सभी संस्कृति और साहित्यिक रूप से भी जुड़े हुए हैं। पहले झारखंड में व्याप्त गरीबी, शोषण आदि को दिखाया जाता था लेकिन अब स्थिति अलग है। हमारे जनजाति भाई बहन प्रगति कर रहें हैं और राज्य और देश का विकास हो रहा है।
पद्मश्री यशोधर मठवाल ने कहा कि भारत में साहित्यिक परंपरा और लोक परंपरा अभी भी जीवित है। उन्होंने कहा कि मध्य भारत में सबसे अधिक जनजातियां रहती हैं और आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ है कि जनजाति और सामान्य जाति में मनमुटाव हुआ हो। इसका उल्लेख रामायण में भी है। यह एक अच्छी शुरुआत है कि हम एक हो कर आपस में ज्ञान विज्ञान का आदान प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोकमंथन इसके लिए एक मंच दे रहा है। उन्होंने छात्रों को कहा कि ज्ञान का पहला मंत्र है विनम्र होना है। विनम्रता से ज्ञान की प्राप्ति होती है।
सीमोन उराव ने अपने संबोधन में कहा कि भगवान ने आकाश, पृथ्वी का निर्माण किया और इंसान इन सबका दुरुपयोग कर रहा है। आज सभी प्राकृतिक संपदा का विनाश किया जा रहा है। जल सभी की जरूरत है, इंसान और जानवर सभी का जल पर समान अधिकार है। उन्होंने कहा कि अपने जीवनयापन कार्यो के बाद कुछ समय निकालें और देश के लिए काम करें।
युवाओं को मिलेगें अवसर :
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जगलाल पहान ने कहा कि लोकमंथन के इस प्रदर्शनी से युवाओं को भारत को समझने और जानने का मौका मिलेगा। अपने इतिहास को जानने से ही हम बेहतर कल का निर्माण कर सकेंगे। कला संस्कृति मंत्री अमर कुमार बाउरी ने कहा कि यह कार्यक्रम भारत बोध का है। उन्होंने प्रश्न पूछा कि क्या हम सभी भारत को जानते हैं। अगर हमने भारत को जान लिया तो हम अपने देश पर गर्व करेंगे और यहा व्याप्त हीन भावना स्वत: ही समाप्त हो जाएगी। उन्होंने कहा कि लोकमंथन में कर्मशील, साहित्यिक, अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री आदि विशेषज्ञों का समागम हो रहा है। उन्होंने सीमोन उराव का उदाहरण दिया कि वे बिना किसी डिग्री के अपने अनुभव से लोगों को जागरूक कर रहे हैं। उन्होने नई पीढ़ी से आग्रह है कि वे भारत को जाने और जब वे भारत को जान जाएंगे तो भारत को विखंडित करने वाली शक्ति स्वत: ही दूर हो जाएगी। सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रदर्शनी का आयोजन :
उद्घाटन समारोह में सांस्कृतिक कार्यकम का आयोजन भी किया गया। तथा झारखंड की कला संस्कृति का परिचय दिया गया। उद्घाटन के दौरान मांदर के धुनों पर कलाकारों ने कार्यक्रम प्रस्तुत किया। इस अवसर पर विभिन्न स्थानों से आए स्वदेशी सामानों के स्टॉल भी लगाए गए। जिसका उदेश्य देश की संस्कृति और प्रतिभा को पहचान दिलाना है। प्रदर्शनी में जंगलों में मिलने वाली जड़ी बूटी, बांस के सामान जो ध्यान करने व ऊर्जा उत्पादन के लिए, मिट्टी के नये जमाने के सजावटी सामान, खादी के कपड़े, जैविक खेती, पत्तों के सामान आदि के स्टॉल लगाए गए। साथ ही विभिन्न प्रारूपों की सहायता से गांव के जन जीवन को दिखाने का भी प्रयास किया गया।
इस अवसर पर आरएसएस के सह सहकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले, जे नंदकुमार, मंत्री अमर बाउरी, क्षेत्र संघचालक सिद्धिनाथ सिंह, प्रांत प्रचारक रविशंकर, रामाशीष सिंह, रांची विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रमेश पांडेय, डॉ. रश्मि, डॉ. रंजना कुमारी, क्षेत्र सेवा प्रमुख अजय कुमार, राजीव कमल बिंट्टू, डॉ. डीएन तिवारी, मेयर आशा लकड़ा, संजय आजाद, याज्ञवल्क्य शुक्ला, मयंक रंजन, विवेक भसीन, विवेक कुमार सहित बड़ी संख्या में शहर के गण्यमान्य लोग एवं विभिन्न स्कूलों के बच्चे उपस्थित थे।