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गाइए गणपति जगवंदन, शकर सुवन भवानी के नंदन

आज गणेश चतुर्थी को लेकर शहर के पंडाल पूरी तरह से तैयार हो चुके हैं। पुरोहितों द्वारा पूजा पाठ के बाद पट खोले जाएंगे।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Sep 2018 09:05 AM (IST)Updated: Thu, 13 Sep 2018 09:05 AM (IST)
गाइए गणपति जगवंदन, शकर सुवन भवानी के नंदन

जागरण संवाददाता, रांची : आज गणेश चतुर्थी है और शहर गणेश पूजा को लेकर तैयार है। गुरुवार को एकदंत गणेश पंडालों के पट खुलेंगे। चारों तरफ बस गणेश पूजा की धूम होगी। पूरा शहर गणपति की वंदना करेगा..गाइये गणपति जगवंदन, शकर सुवन भवानी के नंदन। पूजा समितियां बुधवार की देर रात तक पंडालों को अंतिम रूप देने में जुटी थीं। शहर में कोकर,, थड़पकना, जालान रोड, मेन रोड, अल्बर्ट एक्का चौक, हटिया, धुर्वा, चुटिया रेलवे कॉलोनी, नीचे चुटिया, पिस्का मोड़ सहित कई इलाकों में गणेश पूजा की धूम है। इसके साथ कई जगहों पर मेले का आयोजन हो रहा है। चुटिया में मीना बाजार लग रहा है। सास्कृतिक कार्यक्रम के साथ भोग का वितरण भी किया जाएगा। मुख्य आयोजन अपर बाजार महावीर चौक स्थित श्री प्राचीन गणेश मंदिर में होगा। पूजा को लेकर सभी तैयारिया पूरी कर ली गई हैं। सुबह पूजा-अर्चना, आरती प्रसाद वितरण के कार्यक्रम होंगे।

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डोरंडा में पांच पुरोहित करेंगे उद्घाटन

श्री गणेश पूजा समिति काली मंदिर रोड डोरंडा के भव्य पूजा पंडाल का उद्घाटन न्यू काली पूजा समिति के पूजा प्रागण में पाच पुरोहितों द्वारा किया जाएगा। समारोह में राची के पूर्व सासद सुबोधकात सहाय, हटिया के विधायक नवीन जायसवाल, भारतीय जनता पार्टी प्रदेश के मंत्री सुबोध सिंह गुड्डू, श्रीमहावीर मंडल राची के अध्यक्ष जय सिंह यादव, मुनचुन राय, विनय सिन्हा दीपू आदि भाग लेंगे।

विश्वनाथ शिव मंदिर में विराजेंगे श्रीगणेश

पिस्का मोड़ स्थित विश्वनाथ शिव मंदिर में श्रीगणेश पूजा की तैयारी पूरी कर ली गई है। धूमधाम से तीन दिवसीय गणेश उत्सव मनाया जाएगा। यहां काल्पनिक मंदिर का प्रारूप बना है। विशाल पंडाल में श्रीगणेश का भव्य दरबार सजाया गया है। पूजा स्थल के आसपास आकर्षक विद्युत सज्जा की गई है। अध्यक्ष शैलेश्वर दयाल सिंह ने बताया कि गुरुवार को पूजा-अर्चना के साथ आम भक्तों के लिए पंडाल का पट खोल दिया जाएगा। दिनभर दर्शन-पूजन के बाद गणपति बप्पा की संध्या बेला में महाआरती होगी। विशेष भोग बंटेगा। साथ ही भक्ति गीतों का दौर देर शाम तक चलेगा। आयोजन में लाल संजय नाथ शाहदेव, खूबलाल, विमलेश्वर दयाल सिंह, विनोद अग्रवाल, शभू षाड़ंगी, अजय चौधरी, किनू तिवारी, नमित लाल, मनीष लाल, पंकज गुप्ता, नवनीत नंदन, अजय गुप्ता, नवीन कुमार, राजीव कुमार, गौरी षाड़ंगी, पप्पू सिंह, रतन घोष, पानकृष्णा घोष, रवि मेहता आदि गणेश उत्सव के आयोजन में योगदान दे रहे हैं।

दस दिनों तक रहेगा गुलजार

न्यू स्टार नव युवक संघ श्री गणेश पूजा समिति ने इस बार पंडाल कपड़ा और थर्माकोल से बनाया है। कोलकाता के एक मंदिर का स्वरूप है। पूजा पंडाल में तीन लाख खर्च हुआ है। कुल खर्च छह लाख हो रहा। पूजा का 21 वां साल है। यहां मेला भी लग रहा है जो दस दिनों तक रहेगा। आधे किलोमीटर तक बिजली की सजावट है। पंडाल का उद्घाटन सात बजे नगर विकास मंत्री सीपी सिंह करेंगे। सांसद राम टहल चौधरी और खिजरी विधायक राम कुमार पाहन भी होंगे।

अध्यक्ष: छत्रधरी महतो

सचिव:- प्रवीण साहू

कोषाध्यक्ष: नवीन साहू

सह कोषाध्यक्ष: संदीप मेहता

सदस्य: भूनू साहू, रंजीत रजत, अभिजीत दास, अंकित शर्मा, अमर देव, रमेश साहू, कृष्ण मुरारी मेहता, विक्रम शर्मा, जसवंत साहू, दीपक साहू, सुनील सिंह।

गणेश जी के प्रतीक

गणेशजी जी का उदर : गणेशजी का बड़ा पेट उदारता और संपूर्ण स्वीकार को दर्शाता है।

ऊपर उठा हुआ हाथ : गणेशजी का ऊपर उठा हुआ हाथ रक्षा का प्रतीक है। अर्थात, 'घबराओ मत, मैं तुम्हारे साथ हूं' और उनका झुका हुआ हाथ, जिसमें हथेली बाहर की ओर है, उसका अर्थ है, अनंत दान, और साथ ही आगे झुकने का निमंत्रण देना। यह प्रतीक है कि हम सब एक दिन इसी मिट्टी में मिल जाएंगे। एकदंत : गणेशजी एकदंत हैं, जिसका अर्थ है एकाग्रता। वे अपने हाथ में जो भी लिए हुए हैं, उन सबका भी कुछ अर्थ है। अंकुश : वे अपने हाथों में अंकुश लिए हैं, जिसका अर्थ है जागृत होना और पाश अर्थात नियंत्रण। जागृति के साथ, बहुत सी ऊर्जा उत्पन्न होती है और बिना किसी नियंत्रण के उससे व्याकुलता हो सकती है ।

चूहा : एक चूहा उन रस्सियों को काट कर अलग कर देता है जो हमें बाधती हैं। चूहा उस मंत्र के समान है, जो अज्ञान की अनन्य परतों को पूरी तरह काट सकता है। उस परम ज्ञान को प्रत्यक्ष कर देता है, जिसके भगवान गणेश प्रतीक हैं। गणेश के 12 नाम

गणेशजी के अनेक नाम हैं लेकिन ये 12 नाम प्रमुख हैं: सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन। विद्यारम्भ तथ विवाह के पूजन के प्रथम में इन नामो से गणपति की आराधना का विधान है। ये आरंभ के देवता माने गए हैं। कोई भी शुभ काम श्री गणेशाय नम: के साथ ही आरंभ किया जाता है।


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