पार्क में दुकानदारों का कब्जा, चल रही पौध नर्सरी
कचहरी की दौड़-धूप से परेशान हाल व्यक्ति के लिए एक पार्क बना है। सुभा
संजय कृष्ण, रांची : कचहरी की दौड़-धूप से परेशान हाल व्यक्ति के लिए एक पार्क बना है। सुभाष चंद्र बोस के नाम से। पार्क के बोर्ड पर रांची नगर निगम का नाम है। यानी, उसकी देख-रेख की जिम्मेदारी निगम की है, लेकिन निगम यह काम नहीं करता। बोर्ड पर केवल उसका नाम भर है। 100 कदम की दूरी पर निगम का कार्यालय है। यहां सालों से अवैध ढंग से नर्सरी दुकानों का कब्जा है। पांच-सात नर्सरी दुकानदार पूरे पार्क पर कब्जा जमाए हुए हैं। पार्क के बाहर भी दर्जनों नर्सरी की दुकानें सजी हैं। किसी को पता नहीं कि यह पार्क है।
पार्क के अंदर लगी सुभाष चंद्र बोस की आदमकद प्रतिमा भी नर्सरी के बड़-बड़े पौधों से ढंक गई है। अंदर जाने पर पता चलता है कि यह पार्क है। रांची जिले से लोग मुकदमें के लिए आते हैं। बैठने के लिए यह एक बेहतर जगह है, लेकिन चारों तरफ नर्सरी की दुकानें हैं।
राज्यपाल ने किया है प्रतिमा का लोकार्पण
इस पार्क में सुभाष चंद्र बोस की आदमकद लगी प्रतिमा का लोकार्पण आठ दिसंबर, 1995 को तत्कालीन राज्यपाल डॉ. ए आर किदवई ने किया था। प्रतिमा के नीचे बड़े-बड़े घास-पूस है। गंदगी का अंबार है। साफ-सफाई तक की व्यवस्था नहीं है। नगर निगम की नाक के नीचे यह अवैध दुकानें सालों से चल रही हैं। अंदर भी कब्जा-बाहर भी पार्क के अंदर कई नर्सरी दुकानें हैं। बडे़-बड़े बोर्ड लगे हुए हैं। न्यू फ्रेंड्स रोज नर्सरी, रांची नर्सरी सहित आधा दर्जन दुकानें अंदर सजी हैं। जमीन इनके कब्जे हैं। छोटे से लेकर बड़े पौधे, फूल, नींबू सहित सैकड़ों पौधे यहां मिलते हैं। इसके साथ पार्क के अंदर वट और पीपल के विशाल पेड़ के चारों तरफ बने चबूतरे भी इनके कब्जे में है। जयंती पर होती है साफ-सफाई प्रतिमा की साफ-सफाई जयंती पर होती है। 23 जनवरी को जब सीएम यहां आए और प्रतिमा पर माल्यार्पण किए तो रंगाई-पुताई की गई। इसके बाद इससे कोई मतलब नहीं। तब पार्क भी कुछ घंटों के लिए खाली कर दिया जाता है। माल्यार्पण के बाद फिर जस की तस स्थिति हो जाती है।
पहले यह पार्क वन विभाग के अंदर था। अब रांची नगर निगम देखता है। बहुत पहले बाजार शाखा को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा था। इसके बाद पता नहीं चला कि उसने क्या कार्रवाई की। अब फिर से उसे देखते हैं।
संजीव विजयवर्गीय, डिप्टी मेयर, रांची नगर निगम।