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अपडेट : एफसीआइ नहीं दे रहा चावल, सैकड़ों स्कूलों में मिड डे मील बंद

रांची : राज्य सरकार एक ओर राष्ट्रीय सुपोषण सप्ताह मना रही है तो दूसरी तरफ केंद्र की महत्व

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Sep 2018 08:58 AM (IST)Updated: Fri, 07 Sep 2018 08:58 AM (IST)
अपडेट : एफसीआइ नहीं दे रहा चावल, सैकड़ों स्कूलों में मिड डे मील बंद

रांची : राज्य सरकार एक ओर राष्ट्रीय सुपोषण सप्ताह मना रही है तो दूसरी तरफ केंद्र की महत्वाकांक्षी मध्याह्न भोजन योजना को पलीता लग रहा है। राज्य के कई जिलों के सैकड़ों स्कूलों में चावल उपलब्ध नहीं होने से योजना बंद है और बच्चों को मिड डे मील नहीं मिल रहा है। वहीं, शीघ्र चावल उपलब्ध नहीं होने पर कई अन्य स्कूलों में भी मिड डे मील बंद हो जाएगा।

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पूर्व बकाये को लेकर फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआइ) द्वारा चावल की आपूर्ति नियमित रूप से जिलों को नहीं की जा रही है। राज्य सरकार द्वारा शीघ्र बकाया भुगतान के आश्वासन के बाद एफसीआइ किसी तरह एक-एक माह का चावल आपूर्ति कर रहा है। सूत्रों की मानें तो पिछली बार इसके द्वारा जुलाई माह के लिए चावल की आपूर्ति की गई थी। जिन स्कूलों में अतिरिक्त चावल उपलब्ध कराया गया वहां तो यह योजना चल रही है, लेकिन जिन स्कूलों में चावल का स्टॉक खत्म हो गया वहां मिड डे मील प्रभावित है।

2010-11 से 2015-16 तक का है बकाया

केंद्र के पास चावल की बकाया राशि 37 करोड़ रुपये 2010-11 से 2015-16 तक की है। केंद्र से राशि नहीं मिलने से राज्य सरकार फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया को नहीं दे पा रही है, जिससे यह बकाया बढ़ता गया है। जून माह में तत्कालीन केंद्रीय शिक्षा सचिव अनिल स्वरूप (वर्तमान में झारखंड में राज्य योजना परिषद के सीईओ) रांची दौरे के क्रम में राज्य के मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी तथा स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के पदाधिकारियों ने इस ओर ध्यान भी आकृष्ट कराया था। लेकिन केंद्र से यह राशि आज तक नहीं मिल सकी। केंद्र से 37 करोड़ रुपये बकाया नहीं मिलने का मामला 'दैनिक जागरण' ने 16 जून के अंक में उठाया था।

ऐसे रह गया बकाया

राज्य के पदाधिकारियों द्वारा केंद्रीय शिक्षा सचिव को जो जानकारी दी गई थी, उसके अनुसार विभिन्न वित्तीय वर्षो में ओपनिंग बैलेंस दिखाने से केंद्र से बजट की स्वीकृति उक्त राशि को काटकर होती रही। इधर, एफसीआइ से वित्तीय वर्ष के अंतिम माह में खाद्यान्न का उठाव होता रहा, लेकिन केंद्र से आवंटन नहीं मिलने से भुगतान नहीं हो सका।

लागू है जीरो टॉलरेंस की नीति

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर चलाई जा रही मध्याह्न भोजन योजना में जीरो टॉलरेंस की नीति लागू है। इसके तहत किसी स्कूल के कार्य अवधि में एक भी दिन मिड डे मील बंद नहीं हो सकता। खाद्य सुरक्षा कानून में भी इस योजना के बंद होने के लिए जहां अधिकारियों की जवाबदेही तय की गई है, वहीं बच्चों को मिड डे मील नहीं देने पर भत्ता देने का भी प्रावधान किया गया है।

चावल का वितरण ठीक से नहीं

अधिकारियों की मानें तो जिला व प्रखंडों में चावल का स्कूलों में वितरण छात्र संख्या के आधार पर नहीं करने से भी परेशानी होती है। किसी स्कूल में चावल जरूरत से अधिक दे दिया जाता है तो कहीं कम। इससे कुछ स्कूलों में कई माह का स्टॉक हो जाता है तो कुछ में योजना बंद होने लग जाता है। इसके लिए संबंधित डीएसई व बीईईओ जिम्मेदार होते हैं।

कहां कितने स्कूलों में मिड डे मील बंद

पाकुड़ : 75, देवघर : 38, गिरिडीह : 200, पश्चिमी सिंहभूम : 240, गढ़वा : 25, धनबाद : 549

नोट : कुछ अन्य जिलों के भी कुछ स्कूलों में बच्चों को मिड डे मील नहीं मिल रहा है। कई ऐसे स्कूल हैं जहां तुरंत चावल नहीं पहुंचने से मिड डे मील बंद हो जाएगा।

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कोट

एफसीआइ का बकाया पुराना है। पिछले तीन वर्ष से उसे नियमित भुगतान हो रहा है। एफसीआइ को आपूर्ति नहीं रोकनी चाहिए थी। चावल की आपूर्ति के लिए उससे अनुरोध किया गया है, जिसका आश्वासन भी मिला है।

-शैलेश कुमार चौरसिया, निदेशक, झारख्ाड माध्यमिक मध्याह्न भोजन प्राधिकरण।

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