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नौकरियों पर कुंडली मारकर बैठा है जेपीएससी, तीन हजार से अधिक पदों पर बहाली लंबित

झारखंड लोक सेवा आयोग के तौर-तरीकों पर राज्यपाल द्रौपदी मूर्मू ने भी नाराजगी जताई है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Sep 2018 12:25 PM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 12:25 PM (IST)
नौकरियों पर कुंडली मारकर बैठा है जेपीएससी, तीन हजार से अधिक पदों पर बहाली लंबित
नौकरियों पर कुंडली मारकर बैठा है जेपीएससी, तीन हजार से अधिक पदों पर बहाली लंबित

रांची, नीरज अंबष्ठ। झारखंड लोक सेवा आयोग और उसके अधिकारियों-कर्मचारियों की लापरवाही चरम पर है। राज्यपाल द्रौपदी मुमरू ने मंगलवार को इसे स्वयं देखा। उन्होंने विश्वविद्यालयों की समीक्षा बैठक बुलाई थी जिसमें जेपीएससी का कोई प्रतिनिधि नहीं पहुंचा था।

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उन्होंने विश्वविद्यालय शिक्षकों की नियुक्ति में हो रही देरी के लिए जेपीएससी को जिम्मेदार करार दिया। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय शिक्षकों की प्रोन्नति में देरी के लिए भी आयोग को जिम्मेदार ठहराते हुए नाराजगी जताई है।

सच तो यह है कि जेपीएससी की हालत ऐसी हो गई है कि इसकी परीक्षाओं में आप शामिल होने जा रहे हों तो फॉर्म भरकर भूल जाइए। इसके द्वारा शुरू की गई नियुक्ति प्रक्त्रियाएं साल-दो साल तक भी पूरी नहीं हो पातीं।

नियुक्तियों में नई नियमावली का फेर : कुछ आयोग की लेटलतीफी तो कुछ विभागों द्वारा बनाई गई नियुक्ति नियमावलियों के कारण दर्जनभर परीक्षाएं लटकी हुई हैं। कई नियुक्ति परीक्षाओं में शामिल होने के लिए आवेदन भरनेवाले लाखों अभ्यर्थियों से लेकर संबंधित विभाग भी परेशान हैं।

जेपीएससी ने विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों और एसोसिएट प्रोफेसरों के क्त्रमश : 70 तथा 162 पदों पर नियुक्ति के लिए नवंबर 2016 में ही नियुक्ति प्रक्त्रिया शुरू की थी।

इसके लिए आवेदन मंगाए गए। लेकिन आगे की कोई कार्रवाई आज तक नहीं हुई। इसी तरह, राजकीय पॉलीटेक्निक संस्थानों में व्याख्याताओं की नियुक्ति के लिए दिसंबर 2016 में ही आवेदन मंगाए गए। इसके बाद इसमें कोई भी कार्रवाई नहीं हुई।

चार साल सिर्फ पीटी में लग गए : चाहे जो भी कारण हो, जेपीएससी की परीक्षाओं में विवाद और देरी की हालात यह है कि छठी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा में ही चार साल लग गए।

2014-15 में शुरू हुई इसकी प्रक्त्रिया में इस साल 6 अगस्त को इसका तीसरी बार संशोधित परिणाम जारी हुआ। जबकि जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा प्रत्येक वर्ष होनी चाहिए थी।

सरकार की हो रही किरकिरी : राज्य में महज तीन खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी बचे हैं। फूड स्टैंडर्ड अथारिटी ऑफ इंडिया ने भी इसपर नाराजगी जताते हुए राज्य के मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी को कड़ा पत्र लिखा है।

खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी नहीं होने से मिलावटखोरों की चादी है। झारखंड लोक सेवा आयोग ने फरवरी 2016 में ही 24 खाद्य सुरक्षा पदाधिकारियों की नियुक्ति की प्रक्त्रिया शुरू की थी। इसके लगभग दो साल बाद 11 मार्च 2018 को इसकी परीक्षा हुई।

28 मार्च को उसके मॉडल उत्तर तथा तीन मई 2018 को संशोधित मॉडल उत्तर जारी किए गए। उत्तर जानी करने के चार माह बीत जाने के बाद भी परीक्षा का परिणाम आज तक जारी नहीं हुआ।

लटकी है 668 हेडमास्टरों की नियुक्ति प्रक्त्रिया : जेपीएससी में हाई स्कूलों के लिए 668 हेडमास्टरों की नियुक्ति प्रक्त्रिया भी लटकी हुई है। आयोग ने पिछले साल 15 जुलाई को सूचना जारी कर अभ्यर्थियों से आवेदन मंगाए थे।

इसके बाद यह नियुक्ति प्रक्रिया लटकी हुई है। इन पदों पर नियुक्ति नहीं होने से राज्य के इतने स्कूल हेडमास्टर से वंचित हैं।

आवेदन मंगाने के बाद चुप्पी : जिलों में खेल पदाधिकारी नहीं हैं। लंबे समय से यह रिक्त पद हैं, जिन्हें आज तक नहीं भरा जा सका। इससे खेल योजनाएं धरातल पर उतराने में सरकार को समस्या हो रही है। बावजूद जेपीएससी ने चुप्पी साध रखी है।

खेल पदाधिकारियों के 24 पदों पर नियुक्ति के लिए 17 मई 2017 को ही सूचना जारी कर आवेदन मंगाए थे। 25 मई 2017 को आवेदन जमा करने की तिथि बढ़ाई गई। एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी न तो इसकी परीक्षा हुई न ही इस संबंध में कोई सूचना ही अभ्यर्थियों को दी गई।


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