विकास की वर्तमान आवधारण शोषकों की है : घनश्याम
आज संविधान खतरे में है, सरकार आरक्षण, छात्रवृत्ति, काश्तकारी कानून गलत है।
जागरण संवाददाता, रांची
आज संविधान खतरे में है, सरकार आरक्षण, छात्रवृत्ति, काश्तकारी कानून, झारखंड में अनुसूचित जनजाति उपयोजना (टीएसपी) और अनुसूचित जाति उपयोजना (एससीएसपी) जैसी कल्याणकारी नीतियों को खत्म करने पर तुली हुई है। ये बात वरिष्ठ समाज सेवी घनश्याम ने एचआरडीसी सभागार में झारखंड में टीएसपी और एससीएसपी : कार्यान्वयन और चुनौतिया विषयक पर आयोजित दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला में कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान विकास की आवधारण शोषकों की अवधारणा है। इस अवधारणा के लोग वंचित समुदायों को उठ कर खड़ा नहीं होने देना चाहते हैं। इसलिए वे अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति उपयोजना पर कानून नहीं बनाना चाहते हैं। आज सरकार खुद कानून तोड़ रही है, ऐसी स्थिति में वंचित समुदाय आर्थिक अधिकार की माग कर रहा है। कार्यशाला का आयोजन एनसीडीएचआर, पीबीआई और भोजन का अधिकार अभियान, झारखंड द्वारा किया गया था।
कार्यशाला में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के अनियमितता को रोकने के लिए एक राज्य स्तरीय कमेटी का गठन किया गया है, जिसमें संताल परगना क्षेत्र से मेरी निशा हंसदा, शिखा पहाड़िया, इमेलिया हंसदा, उत्तरी छोटानागपुर क्षेत्र से सुधा टुडू और अफजल अनिश, कोल्हान क्षेत्र से कमल पूर्ति और जेवियर हंसाय, पलामू प्रमंडल से गणेश रवि, फिलिप कुजूर, राची क्षेत्र से दीपक बाड़ा और रेजन गुड़िया को समिति का सदस्य बनाया गया है। सुनील मिंज और मिथिलेश कुमार को इस राज्य कमेटी का संयोजक बनाया गया है। जबकि समिति के परामर्श मंडल में सौरभ कुमार, घनश्याम, अभय खाखा, जेम्स हेरेंज, बलराम को रखा गया है। यह समिति चार राज्यों में बने कानून का अध्ययन कर एक ड्राफ्ट तैयार कर राज्यपाल को सौंपेगी।