नियम ताक पर रख रेवड़ियों की तरह बांटे आवास, करोड़ों का नुकसान
रांची : सरकारी कर्मियों को आवास आवंटन में एक बार फिर गड़बड़ी हुई है। पलभर के लिए इसे सामान्य चूक मान भी लें, तो इससे सरकार को करोड़ों का घाटा हुआ है।
रांची : सरकारी कर्मियों को आवास आवंटन में एक बार फिर गड़बड़ी हुई है। पलभर के लिए इसे सामान्य चूक मान लें लेकिन सरकार को इससे करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका और लाखों रुपये प्रति महीने का नुकसान हो रहा है। अभी हाल में ही तीन आवंटन आदेश से लगभग सौ लोगों को फ्लैट आवंटित हुए हैं उसमें भी गई गड़बड़ियां हैं। ठेके पर कार्यरत कर्मियों, कंप्यूटर ऑपरेटरों और निजी लोगों को भी सरकारी आवास आवंटन हो गए हैं। ऐसा पहली बार नहीं हुआ बल्कि अलग राज्य बनने के बाद से ही इस तरह की गड़बड़ियां जारी हैं।
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कैसे हो रहा नुकसान
सरकारी कर्मियों को आवास आवंटन के लिए बनी नियमावली के अनुसार विभिन्न पे-ग्रेड के कर्मियों को उनके वेतनमान के अनुसार आवास का आवंटन होता है। इसके बाद प्राप्त सैलरी के हिसाब से 16 फीसद राशि जो निर्धारित एचआरए है की कटौती वेतन से कर ली जाती है। अब जिनका वेतनमान ही निर्धारित नहीं है उनसे पैसे की कटौती कैसे होगी और ऐसे लोगों को आवास किस आधार पर आवंटित किया जा सकता है? मसलन कंप्यूटर ऑपरेटर, विधायक के पीए आदि को आवास तो आवंटित हो गए हैं लेकिन उनसे किराए की वसूली नहीं हो सकेगी। एक आवास के लिए जहां कोई अपने वेतन से चार से आठ हजार रुपये कटवा रहा है वहीं किसी को यही आवास मुफ्त मिल जा रहा है। इसी से सरकार को नुकसान हो रहा है।
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इस वर्ष लगभग 22 गलत लोगों को आवंटन
वर्ष 2018 में जनवरी से अब तक सौ से अधिक आवास आवंटित किए गए हैं। अगस्त महीने के अंत में 30 अगस्त को 47 लोगों को फ्लैट आवंटित हुए। इसके पूर्व जनवरी में 32 और एक बार 26 लोगों को आवास आवंटित हुए हैं। तीनों आवंटन आदेश को देखें तो 22 लोगों को गलत तरीके से आवास आवंटन हो गए हैं और इनसे किसी प्रकार की राशि की वसूली भी नहीं हो पाएगी। औसतन 6 हजार भी मान लें तो सवा लाख रुपये प्रति माह की दर से अधिक का नुकसान इससे सरकार को हो रहा है। इन लोगों में कंप्यूटर ऑपरेटर, संविदा पर कार्यरत आदेशपाल, संविदा पर कार्यरत अनुसेविका आदि शामिल हैं। इनमें विधायक के निजी सहायक भी हैं।
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गलत आदेश से भी नुकसान
आवास आवंटन के मामले देखें तो जिन लोगों को ए टाइप आवास आवंटित होने थे उन्हें बी टाइप आवास आवंटित हो गए। इस प्रकार जिस आवास से सरकार किसी कर्मी का 6-8 हजार रुपये की कटौती करती उसी आवास से 4-5 हजार रुपये की कटौती की है। इस प्रकार तीन हजार रुपये को नुकसान। ऐसे कर्मियों के वेतन से किराया तो कम कटता है लेकिन सरकार के मद में प्राप्त होनेवाली बड़ी राशि का वे नुकसान कर देते हैं। कहीं-कहीं विधानसभा कर्मियों को भी आवास आवंटित किए गए हैं लेकिन उनका पूल पहले से ही अलग है। तमाम उदाहरण को जोड़ दें तो सरकार को हर महीने चार से पांच लाख रुपये का नुकसान हो रहा है। इस प्रकार वर्ष में 50-60 लाख रुपये और अलग राज्य बनने के बाद से अब तक 8-9 करोड़ रुपये कम प्राप्ति हुई।