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दूसरी हरित क्रांति में झारखंड की होगी महत्वूर्ण भूमिका : कुलपति

रांची : खाद्यान्न सुरक्षा के साथ-साथ पोषण सुरक्षा का महत्व बढ़ता जा रहा है। देश में खाद्यान्न सुरक्षा

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Aug 2018 10:45 AM (IST)Updated: Sat, 25 Aug 2018 10:45 AM (IST)
दूसरी हरित क्रांति में झारखंड की होगी महत्वूर्ण भूमिका : कुलपति
दूसरी हरित क्रांति में झारखंड की होगी महत्वूर्ण भूमिका : कुलपति

रांची : खाद्यान्न सुरक्षा के साथ-साथ पोषण सुरक्षा का महत्व बढ़ता जा रहा है। देश में खाद्यान्न सुरक्षा एवं पोषण सुरक्षा की ओर कृषि वैज्ञानिक लगातार शोध कर रहे हैं। बीते वर्ष देश में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है और 5.4 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादकता की दर रहा है। जिसमें पौधा प्रजनक वैज्ञानिकों का विशेष योगदान रहा है। देश में दूसरी हरित क्रांति का दौर चल रहा है, इसके लिए उत्तर पूर्वी राज्यों पर विशेष फोकस किया जा रहा है। जिसे देखते हुए दूसरी हरित क्राति के लक्ष्य प्राप्ति में झारखंड की काफी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। झारखंड में सूक्ष्म सिंचाई तकनीक से जल प्रबंधन कर रबि फसलों के क्षेत्र पर प्रसार की काफी संभावनाएं है। ये बातें अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना की गेहूं एवं जौ की 57वीं वार्षिक कार्य समूह के तकनीकी उद्घाटन सत्र में बीएयू कुलपति डॉ. परविंदर कौशल ने कही।

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इस अवसर पर भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल के निदेशक डॉ. जीपी सिंह ने पूरे देश में गेहूं एवं जौ अनुसंधान से संबंधित वार्षिक प्रगति प्रतिवेदन से आगंतुकों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि खाद्यानों में गेहूं दुनिया भर की दूसरी सबसे बड़ी फसल है। जिसमें करीब 219 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं तथा 48 मिलियन हेक्टेयर भूमि में जौ की खेती की जाती है। ये दोनों पोषणयुक्त अनाजों का देश के सभी अनाजों की तुलना में करीब 37 फीसद खपत है। डॉ. सिंह ने बताया कि देश में पिछले दस वषरें में पंजाब एवं हरियाण के अलावा उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल एवं बिहार आदि राज्यों में गुणवत्तायुक्त गेहूं के क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है और देश की उत्पादित गेहूं की गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय मानक के करीब हैं।

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फसल विकास व प्रबंधन पर चर्चा

दूसरे तकनीकी सत्र की अध्यक्षता बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर के कुलपति डॉ. अजय कुमार सिंह ने की। इस सत्र में डॉ. रवीश चतरथ, डॉ. आर्क शर्मा, डॉ. डी पी सिंह, डॉ. सेवा राम, डॉ. एएस खारु, डॉ. सत्यवीर सिंह एवं डॉ. एम एन सिंह सहित भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल के प्रधान वैज्ञानिकों ने फसल विकास, संसाधन प्रबंधन, फसल सुरक्षा, गेहूं एवं जौ गुणवत्ता का कार्यक्रम, अग्रपंक्ति प्रत्यक्षण का प्रभाव पर विचार-विमर्श किया गया। स्वागत भाषण निदेशक अनुसंधान डॉ. डीएन सिंह तथा धन्यवाद डॉ. जेडए हैदर ने दिया। सभा का संचालन शशि सिंह ने किया। इस राष्ट्रीय बैठक में गेहूं एवं जौ से संबंधित 300 से अधिक वैज्ञानिक तथा पंजाब, मध्यप्रदेश एवं उत्तरप्रदेश के कुल पाच कृषक प्रतिनिधि भी भाग ले रहे हैं।


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